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आरम्भ...

आरम्भ.....
आरंभ कहा से करे? जीवन की उन ऊंचाइयों को छुने का। जिसका न रास्ता, न लक्ष्य, न कमजोरियां और न ही मजबूतिया का कोई ज्ञान हो। प्रतिदिन हजारो विचार मन मे आते है । पर कौन से विचार से आरंभ करे, किस विचार को अपने लिये सही समझे, क्या कोई हमे सही राह , सही विचार की तरफ ले जा सकता है? बहुत से लोगो ने अपने जीवन मे किसी ना किसी रूप मे, कभी ना कभी,किसी न किसी लक्ष्य को ध्यान मे रखकर, मंजिल को पाने के लिये, कही से तो सुरुवात जरूर की होती है। अपना मन अंदर से आदेश प्रेचित करता है। इसीलिए मन जीतना मजबूत होगा, उतनी ही तेजी से हम किसी कार्य का शुभारंभ कर पाएंगे।
जब आप यह विचार मन मे लाते हो की - अपने लिए सुरुवात करनी है। जो लक्ष्य है वो सिर्फ मेरा है। मै ही रात - दिन उसके बारे मे सोचूँगा। जो आँखों से दूर मंजिल है ,उस तक सिर्फ मेरा आत्मविश्वास ही ले जायेगा। फिर देखो आप की सारी इंद्रियाँ इस बारे मे आप को संदेश देना शुरू कर देगी।
मेरा एक दोस्त,जिसे मै जब भी पूछता की तुझे आगे क्या करना है।तो उसके चेहरे पर एक उदासी सा जाती थी। वो अपनी आँखे मेरे सामने झुका कर बात करता था। क्युकी उसे अपना लक्ष्य क्या है ? कैसे उस तक पहुँचा जायेगा? समय सीमा कितनी है? वो इन सब बातो पर गौर ही नही करता था।उसके पास सिर्फ स्कूल की पढ़ने की किताबे थी। रात दिन वो किताबो मे डुबा रहता था। क्लास दर क्लास पढ़ता पर उसे यह पता नही था। की आखिर उसे जाना कहा है? कौन सी राह का उसको पथिक बनना है। लक्ष्य कई होंगे अपने सामने पर किस लक्ष्य को अपना बनाना है यह कोई और नही अपने अंदर चुप हुए उस पथिक से पूछना, अपने मन की, अपने दिल की चुनना और अपने लक्ष्य की और पहला कदम पूरी ताकत से बढ़ाना।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विलियम जेम्स का कहना है की " अगर आपको अपनी जिंदगी बदलनी है, तो उसकी शुरुवात फौरन करे। "
तो क्या जल्दी शुरुवात लाभदायक होती है?
हा, अगर आप एक खुशनुमा, जोश से भरे, जिंदगी को आनंद से जीने वाले, आप दुसरो के लिए प्रेरणा देने वाले इंशान हो, कमजोरों के साथी एवं समाज मे गहरा सहयोग करने वाले एवं सकारात्मक नजरिया अगर आप का जीवन के प्रति है तो आप कोई भी कार्य हो फौरन शुरू कर देना चाहिए।
किसी भी काम को तुरंत आरंभ करे जिससे की,आप दुसरो से दो कदम पहले ही आगे बढ़ चुके होंगे। दुसरो से दो कदम मंजिल आप की पहले से ही निकट आ चुकी होगी।
सिर्फ आरंभ करने के लिए आरंभ ना करे, बल्कि संस्कारी जीवन जीते हुए सफलता को प्राप्त करना अपना लक्ष्य बनाये।
जब आप ने एकबार आरम्भ कर लिया, उसके बाद उस कार्य के प्रति, उस लक्ष्य के प्रति इतनी भूख जगा दो की सारी सीमाये पछोटी लगे, आसमान भी तुम्हारी मेहनत के सामने छोटा लगने लगे। अपने आप से वादा करो की जब तक लक्ष्य पा नही लेता तब तक आखरी सांस तक इसी ओर,इसी वेग से, इसी पथ पर चलता हुआ अपने काम को पूरा करूँगा।
आरम्भ हमेशा मुश्किल भरा होता है। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार किसी नई सड़क के निर्माण की तरह , पहले जमींन को समतल करने की सुरुवात करते है जब जमींन उबड़ खाबड हालातो मे होती है। कही गहरे गड्ढे ,तो कही नदी नाले, कही पड़े पौधों, तो कही पहाड़ का चीना चीर कर रोड बनाने का कार्य आरंभ करना पढ़ता है। ठीक उसी प्रकार हमारे जीवन मे भी कार्य की सुरुवात थोड़ी कठिन होती है। हमे सही से मार्गदर्शन नही मिल पाता, लक्ष्य तो सोच लेते है, पर उसे किस तरह आसानी से हासिल किया जाए । इसकी रूपरेखा का, रास्ते के काँटों का, सफर का सही से आंकलन न करने की वजह से सुरुवात थोड़ी कठिन लगती है। लेकिन ब्रिआन ऐडम्स ने सही ही कहा है -
"धीरज से आत्मविश्वास , दृढ़ता और समझदारी भरा नजरिया पैदा होता है, जिससे आखिरकार कामयाबी हासिल होती है। "
इसीलिए अगर आप ने किसी काम की सुरुवात कर दी है,तो फिर धीरज और आत्मविश्वास आप का गहना होना चाहिए, लक्ष्य के प्रति आप का नजरिया बहुत सकारात्मक और दृढ़निश्चय वाला होना चाहिए, आप अंदर से इतने मजबूत, अपने आप पर इतना आत्म नियंत्रण होना चाहिए कि कोई आपको, आपके द्वारा चुने गए आपके सपने को ,आपकी मंजिल को आपसे कोई दूर नहीं कर सके।
कुछ लोग दिशाहीन सुरुवात करते है क्युकी उसके दोस्त ने, पड़ोसी ने, या फिर साथी पाटनर ने कुछ नई सुरुवात की है बस इसीलिए वो भी करना चाहते है। मैंने कही लोगो को इस तरह की दिशाहीन सुरुवात से नुकसान उठाते देखा है। आखिरकार उनके मुह से यही सुनने को मिलता है की ' ये मेरे भाग्य मे नही था ' भाग्य ने मेरा नही, मेरे दोस्त का साथ दिया। जबकि उसके दोस्त ने सही तरीके से योजना बनाकर अपने व्यापार को बढाया, जबकि आप ने क्या किया उसके देखा देखी अपने घुटने तुड़वा दिया। जरूर किसी का देखकर प्रेरणा लेनी चाहिए, लेकिन साथ ही साथ अपनी चादर से पैर बाहर भी नही निकालने चाहिए। अपने अच्छे- बुरे गुणों को अपने आप से ज्यादा कोई नही जनता । इसीलिए अपनी ताकत को देखते हुए। किसी भी कार्य की सुरुवात फोरन कर देनी चाहिए। ताकि हम किसी के लिए प्रेरणा बन सके।

भरत (राज)








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