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अब आगे ....
अगर मरते हुए से कहा जाए कि उसे चंद सांसे ज्यादा मिल रही है तो यकीनन उसके चेहरे की खुशी देखने लायक होगी....भले ही बाद में उसका मरना तय ही क्यूं ना हो....!!
कुछ यही खुशी उन सबके चेहरों पर भी थी ....उनमें से कोई नहीं जानता था कि वो चमकती रोशनी से नहाया हुआ वो रास्ता उन सबका कहां तक साथ देगा ....ये भी हो सकता था कि...वहां से आगे जाना उनके लिए ....खुद को मुसीबतों में डालने का एक जरिया ही होता!!!.....लेकिन फिर भी उन्हें कदम आगे बढ़ना अच्छा लग रहा था। शायद हर किसी को आगे बढ़ना ही पसंद होता है ...भले ही रास्ते अनजान क्यूं ना हो...हम भी तो अक्सर यही करते हैं ... जब खुद की मंजिल खोखली लगती है तो एक नई मंजिल की तलाश में अनजान राहों पर निकल जाते हैं। ऐसा ही उन सब में भी किया था।
धीरे धीरे वहां से निकलती हुई वो नीली रोशनी कम हो रही थी...और आखिर में कुछ साफ दिख रहा था तो वो था उपर की तरफ बढ़ता हुआ वो रास्ता ....जिसपर बिखरी वो चमकती हुई सी धूल...उसकी सतह से कुछ ऊंचाई पर फैली हुई थी...जिसको देखकर ऐसा लग रहा था मानो पूरे रास्ता सूरज की पहली नारंगी किरण से नहाई ओस की बूंदों से घिर गया हो।
वो सब जड़ बने हुए उस पूरे नज़ारे को आंखों में समेट रहे थे। सबको कभी-कभी तो लग रहा था ..कि शायद यह सिर्फ उनकी आंखों का भ्रम मात्र है। लेकिन सबको एक जैसा भ्रम होना भी तो हमारा भ्रम ही होता है।
"यह क्या बला है यार" कल्कि ने उसकी तरफ हैरानी से देखते हुए कहा....
ये चाहे कुछ भी बला हो लेकिन मैंने आज से पहले कभी ऐसा कुछ नहीं देखा है....."यूवी ने भी खोए हुए से अंदाज में कहा। वो सब एकटक लगातार ऊपर देखें जा रहे थे.... उपर ...जहां पहुंचकर ये रास्ता ख़तम हो रहा था....वहां अजीब से दिखने वाले प्राणी इधर-उधर घूम रहे थे या फिर हम कहें कि वह हवा में चल रहे थे तो यह कहना भी गलत नहीं होगा। वो सब जहां भी कदम रख रहे थे वहां से ही हवा मानो नीचे की ओर दब जाती थी। जिसकी वजह से ऐसा लगता ,जैसे वो सब ऊपर से नीचे गिर जाएंगे, लेकिन उनके कदम उठाते ही.. सब कुछ वैसे ही हो जाता जैसा कि कुछ क्षण पहले था। एक बार फिर से कल्कि, नेत्रा और यूवी को यह किसी अजूबे से कम नहीं लग रहा था। ग्रमिल और नित्य भी यह सब देख कर हैरान थे.. उन दोनों को ही खुद में ठगा हुआ सा महसूस हो रहा था.. क्योंकि वह ना जाने कितने सालों से विथरपी पर रह रहे थे.. लेकिन इस जगह के बारे में उन्हें अब तक शून्य ज्ञान था।
"चलो चलते हैं" नेत्रा ने सबकी तरफ देखते हुए कहा।
उसकी यह बात सुनकर सब उसकी तरफ देखते हैं और फिर यूवी उससे पूछती है कि " कहां?!"
"अरे उपर और कहां???"
"क्या?? तू अपने होश मैं तो बोल रही है ना नेत्रा?? तुझे दिख नहीं रहा है क्या कि ऊपर वह कितने अजीब से तरह के जीव घूम रहे हैं?? क्या पता वह सब कितने घातक हो सकते हैं..." कल्कि ने नेत्रा के सामने ...उसको समझाने के लहजे से अपनी बात रखते हुए कहा।
"हां मुझे दिख रहा है कल्कि.. लेकिन यहां नीचे रुकने से भी तो कोई फायदा नहीं होगा ना... और अगर यह रास्ता खुला है.. तो जरूर किसी मकसद से ही खुला होगा इसलिए मुझे लगता है कि हम सबको ऊपर चल कर देखना चाहिए।" नेत्रा ने कहा।
" अरे पर उपर जाना ,हमारे लिए कोई खतरा भी तो बन सकता है ना, हां मैं यह नहीं कह रही हूं कि हम सब को ऊपर ही नहीं जाना चाहिए... लेकिन मुझे लगता है कि हम सबको थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए, ऐसा ना हो कि हमारी जल्दबाजी की वजह से हम बेवजह किसी मुसीबत में फंस जाए...." यूवी ने नेत्रा की तरफ देखते हुए कहा।
कल्कि को भी युवी की बात सही लग रही थी ,नेत्रा भी युवी की बात पर गौर कर रही थी,जिसकी वजह से वो उलझन में अा गई थी कि उन्हें उपर जाना भी चाहिए या नहीं ...?
तभी बीच में ग्रमिल ने अपने बात रखते हुए कहां ..
" मुझे लगता है नेत्रा जी सही कह रही है। वैसे भी नीचे खड़े रहने का मुझे कोई कारण नजर नहीं आ रहा है।दूर दूर तक फैले इस पानी को निहारने से अच्छा है कि हमें इसी रास्ते से आगे बढ़ना चाहिए...और अगर हमें आगे बढ़ना है.. तो यकीनन रास्ता यहीं से होकर ही जाता होगा..." उस ने ऊपर की तरफ जाते हुए रास्ते की तरफ इशारा करते हुए कहा।
नेत्रा को भी ग्रमिल की बात सही लग रही थी... आखिर में उसने भी ऊपर जाने का ही फैसला लिया और सबको भी उसके साथ चलने के लिए कहा नेत्रा की बात सुनकर सब ऊपर की तरफ चलने के लिए तैयार हो गए। नेत्रा ने सबको एक दूसरे का हाथ पकड़कर रखने की हिदायत दी थी। शायद अगर नेत्रा उन सब को हाथ पकड़ने के लिए ना भी कहती तब भी वह सब... डर और रोमांच की वजह से यकीनन एक दूसरे का हाथ नहीं छोड़ते।
लेकिन उन्हें जितना डर लग रहा था ..ऊपर जाना इतना भी मुश्किल नहीं था। वह एक सामान्य रास्ते के ही समान था... उस रास्ते पर चलने का अनुभव ऐसा था मानो वह किसी घर की पहली मंजिल से दूसरी मंजिल पर जा रहे हो।
उनका वहां से ऊपर जाने का अनुभव बेहद सामान्य था। सब इस बात से खुश थे कि उन्होंने ऊपर आने का फैसला लिया था …. उन सबको जैसा दृश्य नीचे से दिख रहा था ऊपर से वैसा कुछ भी नहीं था बल्कि वह बहुत अलग था। वह सब उस रास्ते से जिस जगह पहुंचे थे .. वहीं से एक सामान्य सा रास्ता आगे की ओर चलता हुआ प्रतीत हो रहा था। रास्ते के दोनों तरफ रंग-बिरंगे पेड़ लगे हुए थे जिस पर से ऐसा लग रहा था मानो किसी चमकीले फूलों की वर्षा हो रही हो। सब वहां की बनावट को निहारने में व्यस्त हो गए थे।
उसी बीच यूवी का ध्यान वहां से पीछे की तरफ जाता है.. जहां पर एक बहुत बड़ा सा घेरा नजर आ रहा था। जो देखने में बहुत सुंदर लग रहा था और ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वह किसी आलीशान महल का एक छोटा सा हिस्सा हो...और किसी कारणवश वहां पर अटक कर रह गया हो उसके ऊपर सितारों से चमकते हुए कुछ टिमटिमाते से जीव घूम रहे थे.. वह नजारा सितारों से भरे आसमान से कम नहीं लग रहा था।
युवी को ऐसा लग रहा था जैसे वह युवी को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा था.... जिसकी वजह से युवी उसकी तरफ खींची चली जा रही थी... उसके कदम अपने आप उस तरफ बढ़ चले थे युवी को सब समझ तो आ रहा था लेकिन उसको लगा जैसे खुद को रोक पाना अब उसके हाथ में नहीं था।।
उनमें से किसी का भी ध्यान यूवी की तरफ नहीं था और युवी धीरे-धीरे उस तक पहुंच चुकी थी। अचानक नित्य जब पीछे मुड़कर देखता है... तब उसको युवी उस तरफ जाती हुई दिखती है। वह उसको रोकने के लिए उसको आवाज देता है... लेकिन कुछ देर बाद ही उसको एहसास होता है कि युवी उसकी आवाज मानो सुन ही नहीं पा रही हो। नित्य की आवाज से सभी का ध्यान भी उसी तरह चला जाता है। युवी को बेसुध सा उस तरफ जाता हुआ देखकर वह सब भी परेशान हो जाते हैं।
वहां पर जो अजीब से प्राणी कुछ देर पहले अपने अपने काम में व्यस्त नजर आ रहे थे वह सब भी एक तक उसी दिशा में देख रहे थे जिस दिशा में युवी बड़ी जा रही थी उनके चेहरों से लग रहा था मानो वह सब इस दृश्य को देखकर डर चुके हैं।
उनके ऐसा करने की वजह से नेत्रा का ध्यान उन सब की तरफ जाता है उनके चेहरों को देखकर वह भी खुद को असंतुलित सा महसूस करती है ।लेकिन इस बात को नजरंदाज कर के नेत्रा फिर से युवी की तरफ देखकर उसको आवाजे लगाना शुरु कर देती है।
दूसरी तरफ युवी उन सब की आवाज सुन तो पा रही थी..... लेकिन उसको ऐसा लग रहा था ,जैसे उसके पांव पर उसका नियंत्रण ही खो गया है ...वह ना चाहते हुए भी आगे बढ़ी जा रही थी।
नित्य यूवी को ऐसे जाता हुआ देख कर उसके पीछे दौड़ पड़ता है। उसको खुद भी नहीं पता था कि वह ऐसा क्यों कर रहा है लेकिन ना जाने क्यों वह यूवी को वहां जाने से रोकना चाहता था ।पीछे खड़े हुए नेत्रा और कल्कि ने नित्य को भी रोकने का प्रयास किया लेकिन वो बेख्याली में युवी की तरफ बढ़ा जा रहा था।
"यूवी वरले ...वरले यूवी .... यू.... वी ....वरले " ( यूवी रुक जाओ ...) दौड़ते दौड़ते युवी को रोकने की एक नाकामयाब कोशिश करते हुए नित्य ने कहा। नित्य लगभग युवी के पास पहुंच चुका था और युवी उस घेरे के समीप पहुंचने ही वाली थी। संयोगवश जैसे ही यूवी उसके अंदर कदम रख रही होती है उसी समय जब नित्य यूवी को पकड़ने के लिए आगे बढता है तब नित्य का भी एक कदम उसके साथ ही वहां पर रखा जाता है। कल्कि, नेत्रा और ग्रमिल भी दौड़ कर उनके पास पहुंचने वाले ही होते हैं... लेकिन शायद उन्हें थोड़ा जल्दी आना चाहिए था…… क्योंकि उन दोनों के वहां कदम रखते ही वह जगह गोल गोल घूमने लगती है और अचानक ही वह एक पिंजरे नुमा आकार में बदलना शुरू हो जाती है।
ग्रामिल इस दृश्य को देखकर कल्कि और नेत्रा को रुकने का इशारा करता है जो पहले से ही जड़ हो चुकी थी।
धीरे धीरे वह जगह फ़िर से स्थिर हो चुकी थी और देखने में चारों तरफ से सामान्य नज़र अा रही थी। अचानक ही उग अाई वो पिंजरे की कड़ियां... अब खुद ब खुद ही मानो गायब हो गई थी। यूवी भी अब अपनी खोई दिमागी चेतना को वापिस पा चुकी थी। जब वह एक गहरी नींद से जागने के बाद देखती है तो वो पाती है की नित्य ने उसको अपनी बांहों के घेरे में पूरी तरह छुपाया हुआ था। एक बार के लिए उसकी नजर नित्य के चेहरे पर पड़ती है ...जिसपर उसके लिए बिखरी चिंता को वो बड़ी आसानी से महसूस कर पा रही थी।
नित्य ने एक हाथ से यूवी को पकड़ा हुआ था और दूसरा हाथ उसने उसके सिर पर किसी बाहरी वस्तु से बचाव करने के ढंग से रखा हुआ था।उसकी नीली आंखें चारों दिशाओं में घूम रही थी जैसे किसी भी मुसीबत के आने से पहले ही वो उसका सामना करने के लिए खुद को तैयार कर सके। यूवी एकटक उसकी तरफ देखी जा रही थी ...नित्य को इस तरह देखकर न जाने क्यों उसे अच्छा लग रहा था ..वह मन ही मन खुश हो रही थी की नित्य उसके लिए इतना परेशान है और ज्यादा कसकर नित्य को पकड़ लेती है और एक हल्की सी मुस्कुराहट उसके चेहरे पर अनायास ही फैल जाती है।
चारों तरफ कुछ देर तक कुछ भी हलचल ना होने पर नित्य युवी की तरफ देखता है... उस समय युवी ने आंखें बंद की हुई थी... जिसकी वजह से नित्य को लगता है कि वह बेहोश हो गई है ।वह उसके गाल को थपथपाते हुए कहता है....
" यूवी ..यूवी.. "
नित्य की आवाज सुनकर युवी आंखें खोलती है...और सीधा नित्य की आंखों में देखती है।कुछ पल के लिए नित्य भी बिल्कुल शांत होकर उसकी आंखों में देखने लग जाता है। तभी अचानक अपनी नजरे यूवी से हटा ता है... और युवी को जागा हुआ देखकर वह युवी को खुद से अलग करता है। फ़िर गुस्से और चिंता के मिलेजुले भाव से यूवी की तरफ देखते हुए वो बोलना शुरू कर देता है...
" नायो मरे यूवी?? ...वा बॉर्त्ये ... बू से यू?? ...वाचे रिला बिना ....."
( तुम्हे सुनाई नहीं देता है क्या यूवी??...कितनी आवाजे दी तुम्हे...तुम रुक क्यूं नहीं रही थी??...हम सबको पता है तुम्हारी कितनी चिंता हो रही थी।.....)
नित्य लगातार बोले जा रहा था लेकिन युवी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था... पर उसको उसके चेहरे के भावों से उसे यह एहसास हो रहा था कि यकीनन वह उसे उसकी कुछ समय पहले की हुए हरकत के लिए ही कुछ सुना रहा है।
युवी अपने दोनो हाथों से अपने कान पकड़ कर मासूम सा चेहरा बनाकर उसकी तरफ माफी मांगने के भाव से देखती है। नित्य उसकी इस हरक़त को देखकर चुप हो जाता है, और फिर उसकी तरफ देखकर हल्का सा मुस्कुरा देता है .....जिसको देखकर लग रहा था कि वह उसकी बात समझ गया हो..।
अपनी बातों से फारिक होने के बाद जब उनका ध्यान बाहर की तरफ जाता है तो वहां पर वो तीनों मिलकर उनको वापस आने के लिए इशारा कर रहे थे ...वह दोनों उनका इशारा समझ कर एक दूसरे की तरफ देखते हैं और वहां से चलने के लिए तैयार हो जाते हैं।
नित्य एक बार फिर से चारों तरफ देखता है और फिर धीरे से यूवी का एक हाथ अपने हाथ में पकड़ लेता है। यूवी उसकी इस हरक़त से उसकी तरफ देखती है और चुप चाप उसके साथ चलने लगती है।
लेकिन जैसे ही वो दोनो वहां से निकलने के लिए बाहर पांव रखते हैं वैसे ही उनके चारों ओर वो पिंजरा चमक जाता है। यह देखकर वो सब डर जाते हैं ...उनमें से किसी को भी इसका अंदेशा नहीं था। यूवी और नित्य अब चारों तरफ से घूम घूम कर वहां से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे...लेकिन वो जिस तरह भी कदम बढ़ाते उसी तरफ एक अनजान सी पारदर्शी दीवार उनका रास्ता रोक लेती ...दोनो को ही अब स्थिति की गंभीरता का एहसास हो चुका था। नित्य ने अब भी यूवी का हाथ कसकर पकड़ा हुआ था। दूसरी तरफ वो तीनों भी इस अनजान मुसीबत से भयभीत हो गए थे। नेत्रा को यूवी की वहां फसने से ज्यादा इस बात का दुख था कि उसने समय पर उसकी तरफ नहीं देखा था....जिसकी वजह से वो अकेली वहां फस गई थी।
बाहर घूम रहे वो विचित्र प्राणी अब भी आते जाते उसी तरफ घुर रहे थे। नेत्रा ने एक बार उनसे बात करने की सोची लेकिन फिर उन सबको देखकर उस ने सोचा कि कहीं वह फिर से खुद को भी किसी नई मुसीबत में ना डाल ले... इस लिए उसने अपना फैसला बदल लिया।
वो सब कुछ भी करने की हालत में नहीं थे ...उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि अचानक यह सब हो क्या गया है?? और क्यों हो रहा है?? तभी जहां पर यूवी और नित्य थे वहां पर उन्हें कुछ हलचल सुनाई देती है। उस घेरे में कुछ अजीब सी दीवारें बन रही थी जो उस पूरे घेरे को कुछ हिस्सों में बांट रही थी। उन्हीं में से एक बड़ी सी दीवार के पीछे से उन्हें कुछ आवाज सुनाई देती हैं वह दोनों आवाज की दिशा में देखना शुरु कर देते हैं।
उसके पीछे से दो अजीब से प्राणी एक चार कन्नियों वाली सेज पर बैठ कर उड़ते हुए उन दोनों की ही तरफ आते हुए लग रहे थे। उनमें से एक का आकार दूसरे से थोड़ा बड़ा लग रहा था ।जो आकार में छोटा था उस प्राणी की दोनों आंखों से लाल रंग की रोशनी चमकती हुई दिखाई दे रही थी। उन तक पहुंचते पहुंचते उस की आंखें भी लाल हो चुकी थी। वो दोनो घबराहट की वजह से एक दूसरे में सिमट गए थे।
"डाटा डेटेक्टेड.." छोटे कद वाले जीव ने कहा...।
" ओह तो तुम दूसरे ग्रह से अाई हो मिस यूवी ...! लेकिन यहां क्यूं ?? और कैसे ??" उनमें से बड़े वाले प्राणी ने यूवी की तरफ अपने हाथ के नुकीले नाखून बढ़ाते हुए कहा।
" तुम इसके साथ क्या कर रहे हो?? और साथ की तो छोड़ो तुम इस से मिले कैसे ??" उसने नित्य की ही भाषा में उस से पूछा?
यूवी और नित्य दोनो ही उसकी तरफ हैरानी से देख रहे थे ।उनकी जुबान उनके हलक तक सिमट कर रह गई थी। एक तो वह देखने में ही इतना अजीब था उपर से वो उन्हें एक के बाद एक झटके दिए जा रहा था।
"मैंने तुम्हारे ग्रह पर जाने की बहुत बार कोशिश भी की ...लेकिन तुम दोनों के गृह का वो मैगनेटिक फील्ड ... उफ्फ ..जिसने भी बनाई ही बहुत ही खराब चीज बनाई है पता नहीं कैसे हर बार तुम तक पहुंचने से पहले ही दूर धकेल देती है ... यू नो आई हेट मैगनेटिक फील्ड यार..."
अपना बेढंग से मुंह खोलकर हंसते हुए उसने कहा ।
" लेकिन अच्छा हुआ कि तुम खुद ब खुद ही यहां चले आए अब मैं आसानी से तुम्हारे गृह तक पहुंच सकता हूं ...क्यूंकि तुम दोनों के गृह यकीनन तुम्हे तो रिजेक्ट नहीं करेंगे ना .... फिर एक साथ तीन आकाश गंगाओ पर हम " "गोलक्षों" का ही राज होगा ।" उसने फिर से एक कानफोड़ू हंसी हंसते हुए कहा .... ।
यूवी जो अब तक दुबकी हुई बैठी थी अपनी धरती के बारे में ऐसा सब सुनकर उसके कान खड़े हो गए थे। धीरे धीरे डर के उपर उसका उस जीव के प्रति जो गुस्सा था वह हावी होता दिखाई दे रहा था।
" हो कौन हां तुम ?? और हमारे बारे में इतना कुछ जानते कैसे हो ?? तुम्हे क्या लगता है तुम कुछ भी बोलोगे और हम विश्वास कर लेंगे ??" यूवी ने बेखौफ होकर उसकी तरफ देखते हुए कहा।नित्य ने अब भी उसको आगे बढ़ने से रोकने के लिए उसका एक हाथ पकड़ा हुआ था।
" ओह!! इतनी आग !! एक तो तुम इतनी सुंदर हो उपर से आग ... उफ़ ...लेकिन तुम्हारा हमारे सामने यूं बेखौफ होकर बोलना हमें पसन्द आया लड़की " उसने उसके करीब आते हुए यूवी से कहा .."अब तुम इतनी उत्सुक हो जानने के लिए तो हम बता दें कि हम गोलक्ष ग्रह के वासी गोलक्षी हैं " उसने यूवी के बिल्कुल पास आते हुए कहा।
"और रही बात तुम्हे जानने की तो हम वो सब जानते हैं जो तुम अपने बारे में जानती हो ..... इन आंखों को आम मत समझो .." अपनी आंखो की तरफ एक उंगली से इशारा करते हुए कहता है जो एक बार फिर से लाल हो चुकी थी।" ये देखने के साथ साथ बहुत कुछ कर सकती है ....! समझी मिस यूवी " एक बार फिर से उसने यूवी की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा
"और हां तुम अपना हाथ युवी के हाथ से अलग करो..." नित्य के उस हाथ की तरफ देखते हुए कहा जिस से उसने यूवी को पकड़ा हुआ था।
नित्य ने एक बार उसकी तरफ देखा और फिर बिना कुछ कहे युवी का हाथ और ज्यादा कस कर पकड़ लिया।
" सुना नहीं ... हमने तुमसे क्या कहा??" उसने लगभग चिल्लाते हुए कहा।
"नहीं सुना लेकिन तुम भी सुन लो.... जब तक मैं जिंदा हूं तब तक मैं यूवी का हाथ नहीं छोड़ने वाला।"
" हा हा हा...तो तुम यह कह रहे हो कि हम तुम्हें मार डाले?? वैसे तो तुम्हें आखिर में मरना ही है लेकिन हमने सोचा नहीं था कि तुम इतनी जल्दी मरना चाहोगे।।"
" बामी!! इसको यूवी से दूर , दूसरे कक्ष में ले जाओ और मार डालो "उसने अपने पीछे खड़े छोटे जीव को आदेश देने के लहजे से कहा...!
" जी मालिक जैसा आप कहें ..."
इतना कहते हुए वो जीव जिसका नाम बामी था..
एक हाथ से नित्य का हाथ को पकड़ लेता है...और वह बड़ी आसानी से उसका हाथ युवी के हाथ से अलग कर देता है...! जितना छोटा वह शरीर से लग रहा था.. उसके मुकाबले उसकी ताकत कई गुना ज्यादा लग रही थी। वह नित्य को एक हाथ से ही जमीन से कुछ ऊंचाई पर उठा देता है और वहां से जाने लगता है।अपनी इस हालत की वजह से नित्य भय से चिल्ला उठा था।
"अरे रुको !! कहां ले जा रहे हो तुम उसे?? रुको!!!" एक हाथ से नित्य को पकड़ते हुए युवी ने कहा।
" मूर्ख लड़की तू भी इसके साथ ही मरना चाहती है क्या?? अपनी खैर चाहती हो तो चुपचाप यही बैठी रहो..."
बामी ने यूवी से कहा...
" मरने से बुजदिल डरा करते हैं ....और मैं ना तो बुजदिल हूं और ना ही कायर हूं ..तो तुम्हारे लिए अच्छा होगा कि मेरे दोस्त को छोड़ दो ..." यूवी ने एक बार फिर से अपनी आवाज बुलंद करते हुए कहा।
" आह... फ़िर से आग ... आई लाइक इट ...तुम्हे पता है पहले मैंने सोचा था कि मैं तुम्हे भी इनके साथ ही मार दूंगा ...लेकिन अब नहीं ...अब तुम मेरे साथ ही रहोगी ....मेरी रानी बनकर ... मैं तुम्हे भी गोलाक्षी वासी बना दूंगा....राज करोगी तुम मेरे साथ ....क्यूं मेरी यूवी ...मैंने सही कहा ना" उसने यूवी के गाल पर अपना खुरदरा हाथ फेरते हुए कहा ।
" हूं,तुम्हारे साथ वो भी मैं,,,ऐसा सिर्फ सपनों में ही हो सकता है तुम्हारे ..." यूवी ने उसकी तरफ देखते हुए कहा।
"हा हा हा...और सपनों को हकीकत में बदलना मुझे अच्छी तरह से आता है .....मिशेल हूं मैं मिशेल ...और मैं जो चाहता हूं उस हासिल करना भी जानता हूं लड़की" अपनी दोनो बाहों को फैलाते हुए कहता है।
" ठीक है तुम ऐसे नहीं मानोगी तो हमारे पास दूसरे रास्ते भी है ... तुम्हारे इस दोस्त को हम तब तक ही जिंदा रखेंगे जब तक कि तुम हमारी बात मानती रहोगी ...समझी मिस आग।" अपने नाखून से उसकी ठोड़ी को उपर की तरफ करते हुए उसने कहा।
" तुम ऐसा कुछ नहीं कर सकते ..."
" हां सही कहा मैं ऐसा कुछ नहीं बल्कि सबकुछ कर सकता हूं.....यकीन नहीं है तो डेमो देख लो ...." एक हाथ से बामी और नित्य की तरह इशारा करते हुए कहा।
जब यूवी उस तरफ देखती है तो बामी ...नित्य के दोनो हाथो को जोड़कर अपनी आंखो से कोई रोशनी उसपर डाल रहा था जिसकी वजह से नित्य दर्द से तड़प रहा था।
नित्य को इस हालत में देखकर यूवी की आंखो से दो आंसू अनायास ही गाल पर लुढ़क जाते हैं।
"प्लीज़ उसके साथ ऐसा मत करो .." यूवी ने बेचारगी से मिशेल की तरफ देखते हुए कहा।
"नहीं करेंगे ...कुछ नहीं करेंगे ...लेकिन बदले में तुम वही करोगी जो मिशेल यानी मैं तुमसे करने को कहूंगा...बोलो मंजूर है लड़की?? " फिर से अपनी भारी आवाज में उसने कहा।
यूवी ने कुछ पल के लिए कुछ सोचा और फिर नित्य की तरफ देखते हुए कहा
" हां मंजूर है ..."
" आई लाइक इट टू मच ...." मक्कारी से हंसते हुए उसने कहा।" रुक जाओ बामी ...छोड़ दो उसे....."
बामी नित्य को छोड़ देता है जो दर्द की वजह से बेहोश हो चुका था। यूवी की आंखें फिर से भर आती है।
क्रमशः......
तो ये था कहानी का आठवां भाग ....उम्मीद करते आप सबको पसंद आएगा ।आपको ये भाग कैसा लगा हमें समीक्षा में जरूर बताइएगा।
अगला भाग आने तक बने रहिए आपकी अपनी जग्गू के साथ 🤪।