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झूठी प्रशंसा

1.
झूठी प्रशंसा : -

एक बार की बात है । एक महिला के घर पर कुछ मेहमान आने वाले थे । वह महिला बहुत दिखावा करती थी । उस दिन वह बहुत उत्सुकतावश चहलकदमी करती जा रही थी । उसको सबसे प्रशंसा सुननी अच्छी लगती थी । वह उन मेहमानों से भी प्रशंसा सुनना चाहती थी । अब उसका ध्यान अपने घर के बाहर सूखे हुए गमलों की तरफ गया । उनमें एक भी फूल नहीं था । वह सूखे पड़े थे । इसके लिए उसने उसके घर के बगल वाले घर के बाहर से चुपके से खूब सारे फूलों की टहनियाँ, खिले हुए फूलों के साथ चुरायीं और अपने गमलों में रोपकर उनको पानी दे दिया । उन गमलों को देखकर कहीं से भी नहीं लग रहा था कि वह कहीं से तोड़कर लगाए गये हैं । वह सचमुच ऐसे लग रहे थे, जैसे वह फूल उन्हीं गमलों में उगे हुए हों । अब वह उन गमलों को देख कर खूब खुश हो रही थी । जब मेहमान आये तो उनकी नजर सबसे पहले उन गमलों पर ही पड़ी । उन्होंने उन गमलों की खूब प्रशंसा की । वह भी प्रशंसा सुनकर फूली नहीं समा रही थी । केवल मन आहत था तो उसका, जिसके फूल चोरी हुए थे । वह अपने टूटे हुए फूलों को देखकर जैसे मन ही मन रो उठा था । वह जान तो सब कुछ गया था, परन्तु उस महिला का स्वभाव बिल्कुल भी अच्छा नहीं था, इसलिए जिसके फूल तोड़े गए थे, चोरी हुए थे, उसने उस महिला से बात करना उचित नहीं समझा । बस मन - मसोस कर रह गया । दूसरी तरफ वह महिला प्रशंसा सुनकर बहुत खुश थी । वह महिला अक्सर ऐसे ही करती थी, मगर कभी भी उनके चेहरे पर कोई भी शिकन ( पछतावा ) के भाव नहीं रहते थे ।

संस्कार सन्देश : -
इस तरह के कार्यों से कोई भी प्रशंसा पाकर क्षणिक खुशी पा सकता है, पर उसे सच्ची खुशी नहीं मिलती है ।

2.
लालची कुत्ता : -

एक गाँव में एक कुत्ता था । वह बहुत लालची था । वह भोजन की खोज में इधर - उधर भटकता रहा लेकिन कही भी उसे भोजन नहीं मिला । अंत में उसे एक होटल के बाहर से मांस का एक टुकड़ा मिला । वह उसे अकेले में बैठकर खाना चाहता था इसलिए वह उसे लेकर भाग गया ।
एकांत स्थल की खोज करते - करते वह एक नदी के किनारे पहुँच गया । अचानक उसने अपनी परछाई नदी में देखी । उसने समझा की पानी में कोई दूसरा कुत्ता है जिसके मुँह में भी मांस का टुकड़ा है । उसने सोचा क्यों न इसका टुकड़ा भी छीन लिया जाए तो खाने का मजा दोगुना हो जाएगा । वह उस पर जोर से भौका । भौकने से उसका अपना मांस का टुकड़ा भी नदी में गिर पड़ा । अब वह अपना टुकड़ा भी खो बैठा । अब वह बहुत पछताया तथा मुँह लटकाता हुआ गाँव को वापस आ गया ।

शिक्षा : - लालच बुरी बला है । हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए ।

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