राजकुमारी शिवन्या - भाग 21 Mansi द्वारा पौराणिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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राजकुमारी शिवन्या - भाग 21

भाग २१

अब तक आपने देखा राजकुमारी शिवन्या
, राजा विलम, राजा धरम ओर सेनापति सेना को ले कर युद्ध लड़ने चले गए परंतु राजकुमारी शिवन्या ने वीरेन को महल में ही रुकने को कहा महल की सुरक्षा हेतु , रानी निलंबा उनको समझाती है की उनको आपकी चिंता है इसलिए, अब आगे की कहानी देखते है।

राजा विलम , राजा धरम ओर राजकुमारी पूरे जोश में आगे बढ़ रहे थे अपने अपने अश्व के साथ , वह युद्ध के मैदान में पहुंच चुके थे, दुश्मन राज्य चरनपुर के राजा मनसुख भी अपनी सेना को लेकर मैदान में पहुंच चुके थे दोनो सेनाएं आमने सामने खड़ी थी , राजा मनसुख ने कहा , महराज विलम आज तो हाथ में आ ही गए तुम तुम्हारी सेना को हराकर आज पूरे विलम नगर को हड़प लूंगा और तुम्हारे टुकड़े टुकड़े करके कुत्तों को खिला दूंगा और जोर जोर से हसने लगा , राजकुमारी शिवन्या ने कहा ये अभी आपने जो जो कहा है वह आपके स्वप्न में घटित होगा समझे राजा मनसुख।

मनसुख ने कहा ओ तो तुम्हारी ये पुत्री भी युद्ध लड़ने आई है , अरे बालिका जाओ और महल के परदे के पीछे बैठो आज तो तुम दोनो को मार दूंगा और फिर उन्हों ने देखा धरम गढ़ के महराज धरम भी आए है , मनसुख ने कहा तो आप भी आए है ये तो एक तीर से दो निशान हो गए , अब तो तुम्हे भी मारकर तुम्हारा राज्य ओर प्रजा अपने नाम करलूंगा हा हा हा....


राजकुमारी शिवन्या ने कहा ऐसे राक्षस की तरह हस मत हमे पहले से पता है की तू राक्षस है , राजा मनसुख ने कहा तेरी ये हिम्मत तू एक स्त्री तू मुझे राक्षस बोलेगी यह बोल कर राजा मनसुख ने शिवन्या पर जोर से तलवार का वार किया परंतु राजकुमारी शिवन्या ने भी बहादुरी से उनके वार को रोक कर सामने वार किया उन्हों ने कहा में परदे के पीछे बैठने वालों में से नही हु ओर तू भी आज यहां जिंदा नहीं बचेगा तेरे टुकड़े टुकड़े करूंगी और वह कुत्तों के खाने के लायक भी नहीं होंगे समझा और फिर दोनो राज्य के बीच घमासान युद्ध छिड़ गया।


सब लोग एक दूसरे को मारने पर अपनी जी जान लगा रहे थे, राजा धरम को सैनिकों के घेरे ने घेर लिया था लेकिन उन्हों ने बड़ी ताकत से सभी सैनिकों को अपनी तलवार से मार गिराया, युद्ध करते करते राजकुमारी शिवन्या , राजा विलम और धरम अलग अलग हो चुके थे पता नही चल रहा था की कोन किस कोने में चला गया है , राजा विलम और राजा मनसुख की बीच युद्ध चल रहा था दोनो अपनी अपनी शक्ति आजमा रहे थे एक दूसरे पर , राजा मनसुख ने राजा विलम के हाथ पर वार करके उन्हें इजाग्रस्त कर दिया था और राजा विलम की तलवार गिर गई थी ।

राजा मनसुख ने कहा अब तुम्हे मुझसे स्वयं महादेव भी नही बचा सकते ओर वह राजा विलम पर वार करने ही वाले थे तभी राजा धरम ने आ कर राजा मनसुख की तलवार को रोक लिया और उन दोनो के बीच युद्ध शुरू हो चुका था , दूसरी ओर राजकुमारी शिवन्या दूर सैनिकों के साथ लड़ रही थी अकेली वह एक साथ कई सारे सैनिक पर वार कर रही थी लेकिन एक सैनिक ने राजकुमारी शिवन्या की कलाई पर वार कर उनकी तलवार को नीचे गिरा दिया।

वह अपनी तलवार वापस उठाने जाए तब तक पीछे से दूसरे दुश्मन सैनिक ने उनको धक्का मार कर नीचे गिरा दिया , वह सैनिक राजकुमारी शिवन्या पर वार करने ही जा रहा था लेकिन उसे पहले ही अचानक से राजकुमार वीरेन ने बाण चला कर सैनिक की तलवार को गिरा दिया , अचानक से राजकुमार को देख कर शिवन्या चकित हो गई और वह मन ही मन में उन्हे वहा देख कर खुश भी हो रही थी लेकिन वह दिखा नही रही थी , शिवन्या उठी तब अचानक से एक सैनिक उन पर वार करने वाला था तब राजकुमारी वीरेन ने कहा राजकुमारी बचिए तब अचानक वह पीछे मुड़ी और उस सैनिक के मुंह पर हाथ मारा।

राजकुमार वीरेन राजकुमारी के साथ खड़े रह कर युद्ध कर रहा थे उन्हों ने राजकुमारी के पास जा कर बोला , कहा था न मेने राजकुमारी जी उपर वाला किसीको भी कही भी मिलवा सकता है ओर उनके चहरे पर वो मुस्कान, राजकुमारी शिवन्या उनको देखती रह गई ,उनको भी मुस्कुराना था पर वो राजकुमार के साथ मुस्कुरा नही पा रही थी बस वो उन्हे देखती रही , शायद से उनको भी राजकुमार वीरेन पसंद आ रहे थे तभी अचानक से पीछे से एक सैनिक ने राजकुमारी को पीठ पर तलवार से वार किया उनके जिस्म में खून ही खून फेल गया । राजकुमार जोर से उनका नाम चिल्लाए और उस सैनिक को जा कर तलवार से चीर दिया।

इस कहानी को यही तक रखते है, कहानी का अगला भाग जल्द ही आयेगा।😊