Darinde se Pyaar - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

दरिंदे से प्यार - 1

Ch 1 DARK NIGHT

डलहौज़ी,रात 10 बजे

जनवरी की अंधेरी रात थी। रात के आठ बजे थे। बाहर काफी तेज बारिश हो रही थी। ठंड का मौसम अपने ज़ोर पर था। ऊपर से पहाड़ी इलाका, डलहौज़ी। तूफान ऐसा था मानो कभी खत्म ही नहीं होगा।

अनिका ने जल्दी से अपने घर में कार पार्क की। वह जल्दी से अंदर अपने अपार्टमेंट में चली गई। लेकिन इतने में ही वह पूरी तरह भीग चुकी थी। बाहर से ही उसने बोलना शुरू कर दिया, "मां, दरवाज़ा खोलो। मैं भी भीग गई हूँ।"

अनिका शर्मा की उम्र 25 साल थी, जो एक कंपनी में काम करती थी। कंपनी का नाम था-- एक्सेल कंपनी। वह यहां एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर थी।

आज अनिका को काम से आने में काफी देर हो गई थी।

अंदर से उसकी मां, अनु की आवाज़ आयी, "खोल रही हूं दरवाज़ा निशा।"

दरवाज़ा खुलते ही निशा अनु को बोली, "क्या मां, इतनी देर लगा दी?"

अनु ने उत्तर दिया, "तो क्या करूँ? अकेले मैं कितना काम करूँ?"

"अकेले क्यों? मिनी कहाँ है?" अनिका ने हैरानी से पूछा।

अनु ने कहा, "वो होगी अपने कमरे में। कान में ईयरफोन्स डालकर गाने सुन रही होगी। और क्या। कुछ सुनाई देता है उसको क्या?" अनिका हंसने लगी। अनु गुस्से में बोली, "मैंने कोई जोक सुनाया है? तू समझा अपनी बहन को।"

"ठीक है ना। जा रही हूँ।" अनिका ने बेरुखी से जवाब दिया।

अनिका अभी अंदर जाने ही लगी थी कि अचानक दरवाजे की बेल बजी। अनु बोली, "अनिका देख, जरा कौन है?" अनिका ने बेमन से दरवाजा खोला और देखा कि सामने एक आदमी खड़ा है। उस आदमी ने ओवरकोट और हैट पहन रखी थी। अनिका ने पूछा, "जी, कहिए।" उस आदमी ने अनिका की ओर जैसे ही देखा, उसकी चीख निकल गई, "आ..आ..आ..आ।"

अनु भागते हुए बाहर आ गई और इधर-उधर देखने लगी। दरवाजा खुला था और अनिका गायब थी। अनु आवाजें मार रही थी और पागल हुई जा रही थी।

अनु चिला रही थी, "अनिका, अनिका, अनिका" लेकिन अनिका होती तो आवाज सुनती।

अनु मिनी के कमरे में भागी और बोली, "मिनी, मिनी" मिनी अपने कमरे में ही ईयरफोन्स कान में लगाए सुन रही थी।

अनु ने मिनी के कानों से ईयरफोन्स खींचकर बाहर निकाले और गुस्से में कहा, "कुछ होश है तुझे कि घर में क्या हो रहा है?"

मिनी ने चौंकते हुए कहा, "क्या हुआ मम्मी? चिल्ला क्यों रही हो? बताओगे आप कुछ या नहीं।" अनु ने एक सांस में कहा, "अनिका ऑफिस से आई थी। फिर किसी ने डोर बेल बजायीं। अचानक से अनिका के चीखने की आवाज आयी। जब मैंने बाहर जाकर देखा तो अनिका गायब थी।" मिनी के चेहरे का रंग उड़ गया और बोली, "क्या? आओ आसपास देखते हैं।"

अनु और मिनी ने पूरे घर को देखा। अनिका कहीं भी नहीं थी। उन्होंने बाहर सोसाइटी में जाकर भी देखा, कहीं भी अनिका नहीं थी। अनु का टेंशन बढ़ता जा रहा था।

अनु ने मिनी से बोला, "गार्ड से पूछते हैं।" मिनी ने जवाब दिया, "हां, मम्मी, जल्दी चलो।" लेकिन जब वह दोनों गार्ड के कमरे में पहुंची, उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। गार्ड की लाश वहाँ पड़ी थी।

मिनी ने खिसियाकर कहा, "मम्मी, देखो। ऐसा लग रहा है कि मानो इसके शरीर से खून की एक-एक बूंद चूस कर निकाल ली गई है।"

अनु ने भी देखा और वह घबरा गई। उसने मिनी से कहा, "मिनी, पुलिस को फोन करते हैं।"

मिनी ने वापिस अपने फ्लैट में आकर पुलिस को फोन लगाया और उनके आने का इंतजार करने लगे।

अनु लगातार रो रही थी और कह रही थी, "आज तुम्हारे पापा होते तो शायद ऐसा ना होता। हाय, मैंने अनिका को दरवाजा खोलने के लिए क्यों कहा? अच्छा भला वह अपने कमरे में जा रही थी।"

उसका रोना ये सब सोच कर और बढ़ गया। मिनी अपनी मां को चुप करवा रही थी, "मां, चुप हो जाओ। दी मिल जाएंगी। प्लीज चुप हो जाओ।" उसने अनु को गले लगा लिया।

थोड़ी देर में पुलिस आ गई। इंस्पेक्टर ने आकर तहकीकात शुरू की। अनु ने शुरू से अंत तक सब कुछ बता दिया। इंस्पेक्टर भी एक बार गार्ड की लाश को देखकर सहम गया।

वह बोला, "कितनी बुरी तरह हत्या की है। जैसे इसमें अब खून की एक बूंद भी ना हो। ऐसा दरिंदा कौन हो सकता है? कोई खून पीने वाला वहशी। शिट! हवलदार, इसकी बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए ले जाओ।"

फिर इंस्पेक्टर ने अनु से पूछा, "आपकी बेटी अनिका किसी के साथ दुश्मनी थी?"

अनु ने रोते हुए जवाब दिया, "हुनहुह! इंस्पेक्टर साहब, नहीं। मेरी बेटी की दुश्मनी किससे होगी। वह तो सीधा ऑफिस जाती है और वहाँ से सीधा घर आती है।"

इंस्पेक्टर ने फिर पूछा, "उसका कोई बॉयफ्रेंड या एक्स-बॉयफ्रेंड?"

अनु और मिनी ने सिर हिलाकर ना कहा।

एक ओर जहां इंस्पेक्टर और उसकी टीम, अनु और मिनी अनिका को ढूंढ रहे थे, वहीं दूसरी ओर वह आदमी अनिका को दूर जंगल में अपने कंधे पर उठाकर चला जा रहा था।

गहरे जंगल में पहुंचकर उसने अनिका को ज़मीन पर तेज़ नीचे फेंका और तेज-तेज हंसते हुए बोला, "हा हा हा हा हा। हा हा हा हा। अब सभी मेरे जैसे बनेंगे। सब मेरे जैसे। खून पीने वाले।"

फिर उसने अपना सिर अनिका की ओर घुमाया और उसकी ओर उंगली करता हुआ बोला, "ये भी।"

धीरे-धीरे अनिका को होश आने लगा। उसकी आंखें खुलीं और उसने खुद को घने जंगल में पाया। उसके सिर में तेज दर्द हो रहा था। अनिका ने अपना सिर पकड़ा और उठने की कोशिश की। लेकिन सामने वह आदमी था जिसको देखकर अनिका बुरी तरह डर गई।

उसने धीरे-धीरे खिसकते हुए पीछे होने लगी और चिल्लाकर बोली, "कौन हो तुम? क्यों लाए हो मुझे यहां?"

वह आदमी तेज-तेज हंसने लगा और उसने अपना हैट हटाया ताकि निशा उसका चेहरा देख सके। देखते ही अनिका के मुँह से चींख निकल गई।

वह आदमी दिखने में भयंकर था। उसके दांत बाहर की ओर थे जिनमें से खून रिस रहा था। नाखून भी बड़े-बड़े थे। वह अनिका की ओर बढ़ने लगा। निशा पीछे-पीछे हो रही थी।

वह डरते-डरते बोली, "क..क. कौन हो तुम? क्या चाहते हो मुझसे?"

वह आदमी हंसने लगा और बोला, "मैं हूं, वैम्पायर। वैम्पायर। हा हा हा हा हा। खून पीने वाला, वैम्पायर।"

अनिका रोते हुए बोली, "मुझसे क्या चाहते हो?"

वह बोला, "वैम्पायर को खून चाहिए होता है। वही चाहिए। तेरा खून।"

अनिका ने उस वैम्पायर के सामने हाथ जोड़े। वह उसके सामने गिड़गिड़ाने लगी। वह बोली, "मुझे जाने दो, प्लीज। मुझे मत मारो। मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूं। मुझे मत मारो। प्लीज।"

वैम्पायर हंसने लगा और बोला, "मरना कौन चाहता है तुमको। ना.. ना। तुमको मैं नहीं मारूंगा। तुमको मैं अपने जैसा बनाऊंगा। अपने जैसा। हा हा हा हा हा।"

अनिका हैरान रह गई और कांपते हुए बोली, "क ..क्या मतलब है तुम्हारा?"

वैम्पायर ने कहा, "वही जो तुम समझ रही हो। तुम भी अब वैम्पायर बनोगी। खून पीने वाली। और तुम जैसे कई लोग अब वैम्पायर बनेंगे। हा हा हा हा हा।"

अनिका फिर से गिड़गिड़ाने लगी और उसके आगे भीख मांगने लगी। लेकिन वैम्पायर के दिल कहाँ होते हैं। वह वैम्पायर उसकी ओर बढ़ने लगा। अनिका पीछे होती जा रही थी और वह वैम्पायर हंसता हुआ आगे बढ़ रहा था। और फिर वह अनिका के बहुत नजदीक था। अनिका ने उसको धक्का दिया और भागने लगी। लेकिन वैम्पायर ठीक उसके सामने था।

वैम्पायर ने अनिका को बालों से पकड़कर घसीटना शुरू किया। अनिका दर्द में कराह रही थी और बोल रही थी, "प्लीज मुझे जाने दो। प्लीज।" वैम्पायर ने अनिका को ज़मीन पर फेंक दिया। वह उसके नजदीक गया और अपने बड़े दांत फिर से बाहर निकाले और अनिका की गर्दन में गाढ़ दाग दिए। वह उसका खून पीने लगा।

अनिका दर्द में कराह रही थी, "आह आह।"

थोड़ा सा खून पीकर वैम्पायर ने अनिका को छोड़ दिया और ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगा और तेज़ चिल्लाया, "टा..इ..गर... यहां आओ।"

दो मिनटों में ही टाइगर वहां था। वैम्पायर टाइगर से कहने लगा, "जो हुकुम, मालिक।"

टाइगर ने जवाब दिया, "जो हुकुम, मालिक।"

टाइगर ने अनिका को बालों से पकड़ा और खींचकर ले जाने लगा। जल्दी ही अनिका को एक गुफा में पहुंचा दिया जहाँ और भी बहुत से लड़के-लड़कियां थे। अब सभी वैम्पायर बन चुके थे। अब ये सभी रगुजा जाने वाले थे। पूरी तरह से वैम्पायर बनने। कोई भी अपनी सुध में नहीं था। उनकी गर्दनों पर वैम्पायर के दांतों के निशान थे।

नैनीताल, रात 12 बजे

वहीं नैनीताल में मानव ऑफिस से अपने घर जा रहा था कि अचानक उसको अपने पीछे आहट सी सुनाई दे रही थी। उसने पीछे मुड़कर देखा, वहां कोई नहीं था। वह यह सोचकर आगे बढ़ गया कि शायद उसका वहम होगा। लेकिन फिर आहट हुई। मानव फिर पीछे मुड़कर देखने लगे गया। एक औरत उसके सामने आ गई।

वह औरत मानव से बोली, "जी मेरा नाम रूही है। प्लीज इस एड्रेस को बताएं।"

मानव ने लिखा हुआ पता देखने लगा कि अचानक रूही ने उसकी गर्दन पकड़ ली और अपने दांतों में उसमें गाढ़ दाग दिए। मानव को बेहोशी छाने लगी। फिर वह भी अब वैम्पायरों के कब्जे में था।

अल्मोड़ा, रात 1 बजे

अल्मोड़ा की सुंदर पहाड़ियाँ, जिन पर बर्फबारी हो रही थी, रात गहराई से जा रही थी। मीना तेज़ तेज़ अपने घर की ओर दुकान बंद करके चल पड़ी।

मीना खुद में बड़बड़ा रही थी, "उफ़, कितनी तूफ़ानी बर्फबारी हो रही है। मुझे तुरंत घर पहुंचना होगा। अगर रास्ता रुक गया तो मुसीबत हो जाएगी। पापा भी वेत कर रहे होंगे।"

मीना टैक्सी रोकने की कोशिश करने लगी, लेकिन उसको कोई भी गाड़ी नहीं मिल रही थी। एक कार उसके पास आकर रुकी जिसमें एक हैंडसम सा लड़का बैठा था। उसने कार का शीशा नीचे किया।

वह लड़का बोला, "आईये, मैं आपको घर छोड़ देता हूँ।"

मीना ने उसको देखा और कहा, "न..नहीं, आप क्यों तकलीफ कर रहे हैं?"

उस लड़के ने जवाब दिया, "देखिए बर्फबारी तेज़ हो रही है। आ जाइये।"

मीना उस कार में बैठ गई। थोड़ा दूर जाकर लड़के ने कार को जंगल की ओर मोड़ लिया।

मीना ने बोला, "ये आप मुझे कहाँ ले जा रहे हैं? गाड़ी रोकिए। मैंने कहा गाड़ी रोको।"

लड़के ने गाड़ी रोक दी। मीना बाहर निकलकर जाने लगी, तो लड़के ने उसका हाथ पकड़ लिया। मीना ने उसकी ओर देखा तो वह एक खौंखार रूप ले चुका था। उसके लंबे दांत बाहर आए और उसने मीना को अपनी ओर खींच लिया। उसके बाद अपने दांतों में मीना की गर्दन में गाढ़ दाग दिए।

मीना दर्द में कराह रही थी, "आह, आह!" वह लड़का उसका खून पीता रहा और मीना छटपटा रही थी। वह तब तक खून पीता रहा जब तक मीना बेहोश नहीं हो गई।

इन सभी लोगों को दूर रगुजा टापू पर ले जाया गया।

रगुजा टापू, रात 2 बजे

रगुजा, पृथ्वी पर ही एक जगह है। खून पीने वाले हैवानों का टापू। वैम्पायरों का टापू। यह एक नहीं हजारों वैम्पायरों की दुनिया है। सब खून पीने वाले। इंसानों और जानवरों का खून पीने वैम्पायरों की दुनिया।

रगुजा टापू बहुत भव्य है। बड़े-बड़े महल, अलीशान कमरे, सजावट का सामान सब कुछ है। धरती के लोगों की तरह यहां भी टेक्नोलोजी है, मोबाइल, गाड़ियां, एयरप्लेन और सब कुछ है।

धरती से लाए लोगों को रखने के लिए एक बड़ा सा कमरा है जिसे सेल कहा जाता है। सभी को यहां बंदी बनाकर रखा जाता है। एक अलग से भयंकर कमरा जहां बात ना मानने वालों को दंडित किया जाता है, बना हुआ है। जब धरतीवासियों ने उस कमरे में झांक कर देखा, वो लोग सहम गए। वहां लोगों को मारा जा रहा था। कुछ को कीलों के ऊपर लिटाया हुआ था जिनके शरीरों से खून रिस रहा था।

रगुजा का मालिक था - रायसन और उसकी पत्नी जूली। रायसन हमेशा से एक वैम्पायर था। लेकिन जूली एक पृथ्वीवासियों थी। वह एक औरत थी जिसको रायसन लेकर आया था। दोनों ने बाद में शादी भी कर ली। दोनों ही खौंखार थे जिनसे पूरा रगुजा कांपता था।

एक कमरे में उन पृथ्वीवासियों को रखा गया। थोड़ी देर में सभी को बाहर ले जाया गया। उनको देखने रायसन और जूली आने वाले थे। सभी को बांधकर खड़ा किया गया था। ये लोग भागकर कहीं नहीं जा सकते थे। लेकिन इन्हें डराने के लिए हर तरह का प्रयोग होता था।

रायसन और जूली आ गए। रायसन दिखने में बहुत खौंखार था। लंबा शरीर, बाहर निकले हुए दांत, लंबे नाखून और पूरा गंजा जिसके सिर पर सांप बना हुआ था।

जूली भी अब पूरी तरह से एक वैम्पायर थी। लेकिन वह दिखने में खौंखार नहीं थी, लेकिन उसके तरीके खौंखार थे।

रायसन सभी को देखकर हंसने लगा, "हा हा हा हा। आ गए सब। अब ये सब हमारी तरह ही वैम्पायर बनेंगे। सभी को ट्रेनिंग दी जाएगी। शाबाश टाइगर। तू सब मेरे पसंद के लोग लाया है। वाह, वाह। बहुत खूब। मजा आएगा। बहुत मजा आएगा। अभी तो बस ये थोड़े ही वैम्पायर बने हैं, जिनमें अभी भी इंसानी खून है।"

जूली बोलने लगी, "मारिया और अबीर कहाँ हैं?"

सामने तुरंत मारिया और अबीर आ गए।

जूली बोली, "अब तुम दोनों की जिम्मेदारी होगी, इन सभी को वैम्पायर बनाना। तुम लोगों को पता है ना कि क्या करना है?"

मारिया और अबीर ने जवाब दिया, "जी मैडम। हम दोनों सब जानते हैं कि अब क्या करना है मालिक। सभी को पूरी तरह से ट्रेन करके धरती पर वापिस भेज दिया जाएगा। वहां ये फिर नए लोगों को वैम्पायर बनाने का काम करेंगे।"

रायसन खुश हो रहा था। वह बोला, "और लोग लाने होंगे। जवान लड़के और लड़कियां। अमर कहाँ है?"

रायसन ने चिल्लाकर कहा, "अ..म..र"

अमर जल्द सामने था। अमर रायसन और जूली का बेटा था। दिखने में अमर बिल्कुल भी वैम्पायर नहीं था। वह एक हैंडसम लगने वाला लड़का था। वह लम्बा, गोरा, घुंघराले बाल और नीली आंखों वाला आकर्षक नौजवान था। उसको पूरी दुनिया की खबर रहती थी। अमर में इंसान के जैसे दिल भी था क्योंकि उसकी मां जूली भी एक इंसान ही थी।

रायसन ने अमर को देखते ही कहा, "आ मेरे बेटे, अमर। अब तू मेरा काम करेगा। तुझे धरती से लोगों को यहां लाना होगा। आखिर मैं चाहता हूं कि इस धरती पर सिर्फ और सर्फ वैम्पायरों का ही राज हो। हा हा हा हा। करेगा ना मेरा काम अमर?"

अमर ने रायसन से कहा, "जी पापा। जैसा आप चाहते हैं वैसा ही होगा।मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ कल ही धरती के उस हिस्से में जाता हूँ। कुछ समय दीजिए। कुछ ही महीनों में आपके पास यहाँ नए लड़के और लड़कियां होंगे। तब तक आप इन सभी को वैम्पायर बनाने का काम पूरा कीजिये।"

रायसन ने अमर की पीठ थपथपाई और कहा, "मुझे तुमसे यही उम्मीद थी। जाओ धरती पर जाओ और हमारा साम्राज्य फैलाओ।"

अमर ने अपने पिता की आंखों में देखते हुए कहा, "एक बात कहना चाहता हूँ।"

रायसन ने पूछा, "बोलो अमर।"

अमर ने कहा, "आप इन लोगों के साथ बुरा बर्ताव मत कीजिये। प्लीज।वैसे भी तो ये लोग अब ना तो भाग कर कहीं जा सकते हैं और ना बगावत कर सकते हैं। फिर ये बुरा सुलूक क्यों?"

रायसन ने जवाब दिया, "ठीक है। जैसा तुम कहो।"

रायसन ने अबीर और मारिया की तरफ देखते हुए कहा, "तो सुना तुम दोनों ने। किसी भी तरह से इन लोगों के साथ कोई बुरा सुलूक नहीं करेगा।"

अबीर ने जवाब दिया, "जी मालिक।"

मारिया ने भी हामी में सिर हिला दिया।

अमर ने रायसन और जूली से विदा ली। उसके बाद वह अपने तीन दोस्तों के पास गया और उनके साथ धरती की ओर चल पड़ा। अब ऐसा लग रहा था कि धरती पर वैम्पायरों की दहशत फैलने वाली थी। बस एक बार अमर और उसके दोस्तों की धरती पर पहुंचने की देर थी।

To be continued...

आगे की कहानी जानने के लिए पढ़ते रहिए " दरिंदे से प्यार " और बने रहिए कहानी पर।।

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See you in the next chapter till then take care...

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