हैवान से मोहब्बत - 8 Alam Ansari द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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हैवान से मोहब्बत - 8

Ch 8 वेदान्श की मुस्कराहट

युवान तानिया की तरफ देखते हुए बोला : " कोई बात नहीं भाभी...माॅम तो अब वापस नहीं आ सकतीं। लेकिन मैं खुश हूं कि भगवान ने हमारे लिए आपको भेज दिया।। "




तभी दोनों की नज़र सामने सोफे की तरफ जाती है। उन्हें वेदांश वहाँ नहीं मिलता। यह देख कर दोनों बैड से उठ जाते हैं और वेदांश को इधर - उधर ढूंढ़ने लगते हैं।।




अब आगे -




सिंघानिया अंप्यार,

उनके जाने के बाद आर्य तानिया की बनाई खीर को याद करने लगा : " हम्म...खीर तो उसने वाकयी में बहुत टेस्टी बनाई थी। दादा जी ने मुझे उसके लिए गिफ्ट लाने को कहा था। पर मुझे क्या पता कि उसे किस तरह की गिफ्ट पसंद आएगी...!!"




यह सोचते हुए वह तानिया की डिटेल्ड फाइल पढ़ने लगा।




" तानिया मलहोत्रा। एज - 24 साल। डैड का नाम, मिस्टर जीतेश मलहोत्रा और माँ का नाम मिसेस गौरी मलहोत्रा। तानिया जब बहुत छोटी थी, तभी उसकी माॅम की डैथ हो गई थी। तब उसके डैड ने दूसरी शादी कर ली मिस मंदिरा के साथ। दोनों काॅलेज फ्रैंड्स थे। मिसेस मंदिरा का तानिया के प्रति बिहेवियर बहुत ही खराब था। वह उसे बहुत टोर्चर करती थी। उससे घर का सारा काम करवाती और काम पूरा नहीं होने पर उसके साथ मारपीट भी करती थी। तानिया की एक सौतेली बहन भी है, जीविका मलहोत्रा। जीविका और तानिया का रिश्ता सगी बहनों की तरह था। अपनी माॅम के टोर्चर से तंग आकर तानिया ने घर छोड़ कर भागने की कोशिश की।। "




अब आर्य को समझ आया कि आर्य उस दिन जब उसे बार में उस हालत में मिली थी। वह घर से भागने की कोशिश कर रही थी। तानिया की डिटेल्ड फाइल पढ़ कर आर्य को यह पता चल गया कि तानिया की जिंदगी बचपन से ही मुश्किलों से भरी हुई थी। जब वह तानिया को लेकर अपने फार्म हाउस आया था तो उसने उसके हाथों और पीठ पर चोंटों के निशान भी देखे थे। उसे समझ आ गया कि हो न हो ये चोट उसकी सौतेली माँ मंदिरा ने उसे दिए थे। आर्य को मंदिरा पर गुस्सा आने लगा।




साथ ही उसने डाॅक्टर के prescription पर दवाइयाँ और सप्लीमेंट्स मंगवा लिया। डाॅक्टर ने तानिया का चेक अप करके बताया था कि वह जरूरत से ज्यादा वीक है और उसे एक प्राॅपर डायट और कुछ सप्लीमेंट्स लेने की जरूरत है।।

दूसरी तरफ,




युवान और तानिया कमरे में वेदांश को सब तरफ ढूंढ़ चुके थे। पर वह कहीं मिल नहीं रहा था। वे कमरे से बाहर आए तो उन्होंने पाया कि वेदांश सीढ़ियों से उतरते हुए नीचे लिविंग रूम में सोफे पर बैठे अनिल जी की तरफ जा रहा है। अपने हाथों में उन व्हाइट पेपर्स को लेकर। उसे देख कर लग रहा था कि वह अपनी बनायी चीज को अनिल जी को दिखाना चाह रहा है।।




यह देख कर तानिया और युवान नीचे आए। वेदांश एक्साइटमेंट में अनिल जी की तरफ दौड़ रहा था। उसने सामने ध्यान नहीं दिया और उसका पैर टेबल के कोने पर लग गया और वह जोर से गिर गया। और गिर कर जोर - जोर से रोने लगा। यह देख कर तानिया दौड़ कर वेदांश के पास आयी और उसे अपने गोद में उठा लिया।।




वेदांश का रोना सुन कर अनिल जी का ध्यान उसकी तरफ गया। तानिया उसे गोद में लेकर शांत कराने लगी : " चुप हो जाओ मेरा बच्चा...देखो तो ये टेबल आप से साॅरी कह रहा है...!! "




पर वेदांश चुप होने का नाम नहीं ले रहा था। तानिया उसके सिर पर किस करते हुए उसे चुप कराने लगी : " बेटा अगर आप चुप नहीं होगे तो ये टेबल भी आपकी तरह रोने लगेगा...क्या मेरे वेदांश को अच्छा लगेगा किसी को रूला कर...?? "




अब वेदांश काफी हद तक शांत हो चुका था। पर रोने से उसकी प्यारी - प्यारी मोती जैसी आँखें सूझ गयी थी। अभी भी एक - एक बूंद आँसू उसमें से गिर रहे थे। तानिया उसे प्यार से पोंछते हुए बोली : " बेबी...अगर आप अपने आँखों से ऐसे ही अपने कीमती मोती बहाओगे तो आपके डैडी को ये जान कर बिलकुल अच्छा नहीं लगेगा कि उनका क्यूट सा बेबी रो रहा है...!! "

वेदांश तानिया की तरफ ऐसे देखने लगा जैसे कह रहा हो कि अब वह नहीं रोएगा। तानिया ने उसे चुप करवा दिया था। वह वेदांश की तरफ देखते हुए बोली : " अब वेदांश बेटा मुस्कुराएगा...उसने बहुत सारे मोती वेस्ट कर दिए। अब उसे रिकवर करने के लिए वह स्माइल करेगा...!! "




यह कहते हुए वह उसे नीचे खड़ा कर देती है। पर वेदांश बिलकुल भी मुस्कुरा नहीं रहा था। तानिया को एक आइडिया आया। वह अपने दोनों हाथ वेदांश के करीब ले जाने लगी। इस वक्त वह घुटने के बल पर बैठी हुई थी।




" लगता है वेदांश बेटे की स्माइल को किसी ने हाइड कर दी है। अब आपकी मम्मा को ढूंढ़ना पड़ेगा कि आपकी स्माइल कहाँ छिपी है...!! "




यह कहते हुए वह वेदांश को गुदगुदाने लगी। उसके हाथों को गुदगुदाने से वह थोड़ा स्माइल करने लगा था।




" अरे नहीं, मेरे बेबी की स्माइल यहां नहीं छिपी है।। " यह कहते हुए वह वेदांश के अंडर आर्मस् को गुदगुदाने लगी। इससे वेदांश को बहुत जोर से गुदगुदी हुई और वह खिल खिलाकर हँस पड़ा। उसे यूं हँसता हुआ देख युवान चौंक गया और साथ में बहुत खुश भी हो गया।।




अनिल जी भी हैरान रह गए। क्योंकि जो काम वे सब मिल कर पिछले एक साल में नहीं कर पाए वह तानिया ने कुछ ही दिनों में कर दिया। वेदांश का मुस्कुराता हुआ गुलाबी चेहरा देख कर सबके दिल को एक सुकून मिला। अनिल जी को भी यह देख कर बहुत अच्छा लगा। युवान तानिया के पास जाकर बोला : " क्या बात है भाभी। आपने तो मैजिक ही कर दिया। पता है भाई और हम सब वेदांश की एक क्यूट सी स्माइल देखने के लिए तरस गए थे। उसकी स्माइल कहीं खो सी गयी थी। पर देखो, आज हमारा वेद ( वेदांश का निक नेम) कैसे स्माइल कर रहा है। ( फिर तानिया के एक हाथ को पकड़ कर) Thank you so much bhabhi, अब मुझे पूरा यकीन है कि आपके आ जाने से अब सब कुछ पहले की तरह हो जाएगा।। "

तानिया को कुछ समझ तो नहीं आया कि युवान ने ऐसा क्यों कहा कि सब पहले की तरह हो जाएगा। पर उसकी आँखों की ख़ुशी देख कर वह भी स्माइल करने लगी। वेदांश अपने हाथों में रखी ड्राइंग को मुस्कुराते हुए गया और अपने दादू अनिल जी को दिखाने लगा। अनिल जी आज बहुत खुश थे। तानिया ने भी आज पहली बार अनिल जी को इतना खुल कर मुस्कुराता हुआ देख पा रही थी। वेदांश की ड्राइंग देख कर अनिल ने उसके प्यारे - प्यारे गालों पर किस कर देते हैं। जिससे वेदांश के गाल और गुलाबी हो जाते हैं और फिर से वह मुस्कुराने लगता है।।




तानिया अनिल जी और वेदांश के पास जाकर वेदांश के सिर पर हाथ फेरते हुए बोली : " अरे बेबी को दादू ने किस्सी दी...!! " यह कहते हुए उसने वेदांश के पिंक गालों को हल्का सा पींच कर लिया।।




अनिल जी तानिया को अपने बगल में बैठने के लिए कहते हैं। यह पहली बार था जब अनिल जी सामने से तानिया को कुछ बोल रहे हों। तानिया उनके बगल में बैठ जाती है।




अनिल जी कहना शुरू करते हैं : " Thank you so much beta...तुम नहीं जानती कि तुमने हमारे लिए क्या किया है। मैं पिछले एक साल से अपने पोते की स्माइल देखने के लिए तरस गया था।। " तानिया देख पा रही थी कि कैसे आर्य के साथ फैमिली के सभी लोग वेदांश को अपने सगे बच्चे की तरह रखते थे। इन सबको देख कर तानिया को पता चल गया कि इन सबका दिल कितना साफ है। यह जान कर वन्या को बहुत अच्छा लगा।।




तानिया अनिल जी के हाथों में अपना हाथ रख कर बोली : " वेदांश बहुत प्यारा बच्चा है डैड। नो डाऊट आर्य उसे बहुत प्यार से बढ़ा करते आ रहे हैं। पर मैं वेदांश को देख कर ही समझ गई थी कि वह अपनी माँ को बहुत मिस करता है।। "




अनिल जी तानिया के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोले : " बेटा, तुम्हारे रूप में वेदांश को अपनी माँ मिल गयी है। तुम्हें पाकर वह बहुत खुश है बेटा...!! "




यह सुन कर तानिया भी स्माइल करने लगती है। थोड़ी देर तक वेदांश को खेलते देखने के बाद अनिल जी अपने कमरे में चले जाते हैं। युवान तानिया के पास आकर उसकी तरफ देखते हुए बोला : " भाभी आप नहीं जानतीं कि भाई के लिए वेदांश का मुस्कुराता चेहरा कितना बड़ा सरप्राइज़ रहने वाला है। वो बहुत ज्यादा खुश हो जाएंगे।। "




तानिया भी यह देखना चाहती थी कि आर्य का रिएक्शन कैसा होगा, जब वह अपने क्यूट से बेटे को स्माइल करते हुए देखेगा।।




To be continued...




तो कैसा होने वाला है आर्य का रिएक्शन जब वह अपने क्यूट से बच्चे को मुस्कुराते हुए देखेगा...?? क्या वेदांश ही वो कड़ी होगा, जो तानिया और आर्य को एक - दूसरे के करीब ले आएगा...?? जानने के लिए पढ़ते रहिए " हैवान की मोहब्बत" और बने रहिए कहानी पर।।




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Thank you 😍😍😍




See you in the next chapter till then take care..




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