हैवान से मोहब्बत - 6 Alam Ansari द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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हैवान से मोहब्बत - 6

Ch 6 पहली रसोई और उपहार

guar squad के तीनों squad के हैड्स हैं। इस टीम का हैड आर्य खुद था। ये तीनों भी सिंघानिया मैंशन में ही रहते थे।।




अब आगे -




सबके इंट्रोडक्शन ख़त्म करने के बाद वेदांश युवान की गोद से उतर कर चैतन्य जी के पास आया। और अपने छोटे - छोटे हाथों से उनके पैर को हिलाने लगा जैसे कह रहा हो : " बड़े दादू, आपने तो नई मम्मा को मेरा इंट्रोडक्शन दिया ही नहीं।।"




वेदांश की इस क्यूट से जेस्चर पर सबके फेस पर एक स्वीट सी स्माइल आ गई। यहाँ तक की अनिल जी के फेस पर भी। generally वे स्माइल नहीं करते थे। जब से उनकी वाइफ मिसेस माल्विका सिंघानिया और बेटी युविका की मौत हुई थी, तब से उन्हें इस दुनिया में कुछ रंग ही नज़र नहीं आने लगा। अनिल जी अपनी बेटी से बहुत प्यार करते थे। उसके अचानक चले जाने से अनिल जी टूट से गए। उन्हें अपनी वाइफ और बेटी को खोने का गम बराबर था।।




बस वेदांश ही वो क्यूट और लकी बच्चा था। जिसकी वजह से कभी - कभी ही सही पर अनिल जी मुस्कुराते थे।




चैतन्य जी वेदांश को अपने गोद में उठा कर बोले : " नई मम्मा, आप इनसे मिलिए... ये हैं आपके और आपके पति के क्यूट बेटे वेदांश सिंघानिया।। "




वन्या आगे जाकर वेदांश के क्यूट से गालों को आहिस्ते से पींच कर लेती है। जिससे ये गुलाबी से हो जाते हैं।।




तभी सर्वेंट्स ब्रेकफास्ट की टेबल पर खाना लगा देते हैं। सभी ब्रेकफास्ट करने लगते हैं। रोज आर्य की गोद में ब्रेकफास्ट करने वाला उसका बेटा आज इत्मीनान से तानिया की गोद में खाना खा रहा था। दोनों को यूं एक साथ खाना खाते देख आर्य को अवनी का वेदांश के साथ एक इंसिडेंट की याद आयी।।




कुछ इसी तरह वेदांश अवनी के गोद में भी खाना खाना चाहता था। पर जब उसने ऐसा करने की कोशिश की तो उसने उसे अपनी गोद से धक्का दे दिया। तब आस पास वहाँ कोई नहीं था। इसलिए उसे लगा कि किसी को इस बात की खबर नहीं होगी। जब वेदांश का रोना सुन कर युवान उसके पास आया तो देखा कि वह फर्श पर पड़ा रो रहा है और अवनी आराम से ब्रेकफास्ट कर रही है।।




युवान समझ गया कि यह उस चुड़ैल अवनी का ही काम है। उसने तुरंत वेदांश को गोद में उठा लिया और अवनी को बहुत सुनाया था। उसकी बातें सुन कर अवनी सिंघानिया मैंशन से तुरंत चली गई। उसे लगा कि आर्य को इन सबके बारे में पता नहीं चलेगा। जब आर्य को इसके बारे में पता चला तो उसे खुद पर ही गुस्सा आने लगा कि क्यों उसने पहले ही इस बारे में नहीं सोचा। पता नहीं ये लड़की, वेदांश को उसकी एब्सेंस में कितना टोर्चर कर चुकी होगी।।




पर अब आर्य ने खुद से वादा किया कि अब चाहे कुछ भी हो जाए वह खुद वेदांश के हर पल की खबर रखेगा। वह किसके साथ है...?? किसके साथ नहीं है...?? सब।। वह देख पा रहा था कि सामने तानिया की गोद में वह इत्मीनान से खाना खा रहा है। और तानिया भी उसे अपने बच्चे की तरह आहिस्ते - आहिस्ते खिला रही है।।

जब सबकी ब्रेकफास्ट हो गई तो दादा जी ने तानिया को बुला कर कहा : " बेटा, आज आपको इस घर में पहली रसोई की रस्म करनी है। तो क्या आप इसके लिए तैयार हैं...?? "




तानिया तो खाना बनाने में माहिर थी। इनफैक्ट कुकिंग उसका हाॅबी भी था। उसने हाँ में सिर हिलाते हुए कहा : " हाँ दादा जी मैं तैयार हूं।। "




फिर वह किचन की तरफ चली गई। एक मेड उसे किचन का रास्ता दिखाने लगी। किचन में एंटर होते ही उसकी आँखें हैरानी में बड़ी हो गई। क्योंकि किचन बहुत ही खूबसूरती से डिजाइन करवाया गया था। यह किचन तानिया के घर के किचन से तीन गुना बड़ा था। वैसे तो तानिया के घर का किचन भी बहुत छोटा नहीं था। पर इस किचन की बात ही कुछ और थी। किचन में उसकी हैल्प के लिए शेफ्स और बाकी मेड्स पहले से ही मौजूद थीं।।




तानिया ने उन सबको ग्रीट किया। उसकी इतनी हंबल बिहेवियर को देख कर सारे शेफ्स और मेड्स चौंक गये। उन्होंने भी अपनी नई मैडम को ग्रीट किया। अपने लिए मैडम शब्द सुन कर तानिया को थोड़ा अजीब भी लग रहा था क्योंकि उसे इन सबकी आदत नहीं थी। पर अब उसे इनकी आदत डालनी थी, क्योंकि वह आर्य की वाइफ जो थी।।




उसने सारे शेफ्स को आराम से बैठने के लिए कह दिया और मेड्स को भी बैठ जाने के लिए कह दिया।




" आप लोग बैठ जाइए। मैं सब मैनेज कर लूंगी। "




फिर वह इत्मीनान से कुकिंग करने लगी। बीच - बीच में उन सबसे बातें भी करने लगी। उसकी बातों से ही लग रहा था कि वह कितनी डाऊन टू अर्थ है। उसे इस बात का कोई घमंड नहीं था कि वह सिंहानिया फैमिली की बड़ी बहू है।।




युवान वेदांश को किचन में लेकर जब तानिया को देखने के लिए गया तो वह उसे शेफ्स और मेड्स के साथ बातें करते हुए देख कर उसके फेस पर स्माइल आ गई। वह मन ही मन बोला : " भाभी बिलकुल मुझ पर ही गयी हैं। थैंक गोड आप आ गयीं भाभी। अब हम दोनों मिल कर भाई की बैंड बजाएंगे।। "




वेदांश युवान की तरफ ऐसे देखने लगा जैसे उसे पता हो कि युवान क्या सोच रहा है। उसे अपनी तरफ यूं देखता देख युवान बोल पड़ा : " डोन्ट वॉरी बेटे, हम आपके डैडी को ज्यादा परेशान नहीं करेंगे। पर थोड़ा परेशान करना तो बनता है न... क्या आपको नहीं पता, आपके डैडी आपके चाचू को कितना पनिश करते हैं।।

वेदांश युवान की तरफ देखते हुए हाँ में सिर हिला देता है। क्योंकि ये बात सच थी कि आर्य अक्सर युवान की बचकानी हरकतों पर उसे पनिश किया करता था। और वेदांश ने भी अपने डैडी को अपने चाचू को पनिश करते हुए देखा था।।




दोनों थोड़ी देर तक तानिया को यूं ही निहारते हैं। फिर वापस अपने सीट में आ जाते हैं। क्योंकि उनका वेट अभी ख़त्म होने ही वाला था। थोड़ी देर बाद तानिया अपनी पहली रसोई के साथ हाजिर हो जाती है। मेड्स डिश लेकर डाइनिंग टेबल पर रख देती हैं। तानिया एक - एक करके सबको सर्व कर देती है। खाने में से बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी। जिसे सूंघ कर ही अंदाजा लगाया जा सकता था कि खाना कितना टेस्टी बना है।।




तानिया ने सबके लिए खीर बनाई थी। जो दिखने में ही इतना लाजवाब लग रहा था। सबसे रहा नहीं गया और सब खाने पर टूट पड़े। बहुत जल्द तानिया की बनाई सारी खीर खत्म हो गई। पर खाने वालों का दिल नहीं भरा। आर्य के पास अभी भी उसकी कटोरी बची हुई थी। क्योंकि वह धीरे - धीरे खा रहा था।




युवान की नज़र उसकी कटोरी पर पड़ गई। फिर क्या था। वह बिना टाइम वेस्ट किए बोला : " भाई, मैं क्या बोल रहा था... आप ये रहने दो...बेकार में आपका वेट बढ़ जाएगा। ये मैं फिनिश कर देता हूँ। मेरा क्या है, मैं आपकी तरह ज्यादा बिज़ी नहीं रहता तो आराम से जिम करके अपना वेट कंट्रोल कर सकता हूँ।। " ये कह कर आर्य के जवाब का वेट किए बगैर ही वह उसकी कटोरी झिन लेता है।।




आर्य तो अपने भाई की इस हरकत पर उसे घूरता ही रह जाता है। पर अब तक तो बहुत देर हो चुकी थी। आर्य कुछ बोल पाता, इससे पहले ही युवान ने उसकी कटोरी खाली कर दी। यह देख कर सबके फेस पर एक हँसी आ गई। सिवाय अनिल जी के। वे अभी भी सीरीयस ही थे। तानिया भी दोनों भाईयों की नोक - झोंक देख कर हँस पड़ी।।




सबने तानिया की खीर की बहुत तारीफ की। खास कर युवान तो उसकी खीर का दीवाना ही हो गया। उसे रहा नहीं गया और तानिया के पास आकर उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर उस पर किस करते हुए बोला : " भाभी, ये इतना टेस्टी खीर बनाने के लिए मेरी तरफ से रिवोर्ड है। आपके हाथों की बनाई खीर world's best खीर है। भाभी आपको तो किसी सेवेन स्टार होटल में मास्टर शेफ होना चाहिए।। "




अपने लिए इतनी तारीफ़ सुन कर तानिया को बहुत अच्छा लगा। उसके घर में आज तक किसी ने भी उसके खाने की तारीफ नहीं कि थी सिवाय जीविका के। उसे तो अपनी दी के हाथों का बना खाना सबसे पसंदीदा लगता था।




उधर आर्य अपनी जलती आँखों से युवान को घूरने लगा। उसे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि आर्य उसकी तरफ घूर क्यों रहा है, जैसे कि उसने उसकी कीमती चीज़ को हाथ लगा दिया हो। युवान अपने बगल में बैठे विवेक को आर्य की तरफ इशारे से बोला : " विवेक भाई, ये भाई को क्या हो गया...?? मैंने कुछ गलत कह दिया क्या...?? " युवान ने यह भोलेपन में कह दिया।।




विवेक हँसते हुए बोला : " छोटे तूने गलत कह नहीं बल्कि गलत कर दिया। आर्य सिंघानिया की वाइफ के हाथों में किस करके।। " यह कहते हुए वह हँसने लगा।

युवान छोटा सा मुंह लेकर बोला : " पर आर्य सिंघानिया की वाइफ मेरी भाभी भी तो हैं। और मुझे भी अपनी भाभी पर पूरा हक है।। " युवान ने यह किसी छोटे बच्चे की तरह कहा, जैसे कि तानिया उसकी भाभी नहीं, बल्कि माँ हो।।




दादा जी ने सबकी तरफ देख कर कहा : " बस तारीफ़ से ही काम नहीं चलेगा। आज शाम को सब आॅफिस से आते वक्त तानिया के लिए याद से तोफे ले आएंगे। और आर्य खास कर तुम...पता चल रहा है कि सभी तुम्हारी वाइफ के लिए तोफे ले आए और सिर्फ़ तुम्हीं भूल गए।। "




दादा जी के इतना कहते ही सभी खिल - खिलाकर हँस पड़े। आर्य का तो मुंह बन गया। वह एक नज़र सबको घूर कर देखता है, फिर दादा जी से बोला : " डोन्ट वॉरी दादा जी, मुझे याद रहेगा।। "




फिर विवेक और अनय की तरफ देखते हुए बोले : " और तुम दोनों भी। आॅफिस से सीधे अपने - अपने घर के लिए खिसक मत जाना। तानिया ने तुम सबके लिए प्यार से ये खीर बनाया है।। "




अनय : " डोन्ट वॉरी दादा जी, आप नहीं भी बोलते तो भी हम भाभी के लिए गिफ्ट जरूर लाते। आखिर इन्होंने हमारे लिए इतना टेस्टी खीर जो बनाया था। ( फिर तानिया की तरफ देखते हुए ) Thank you so much bhabhi for your tasty kheer...!! "




तानिया मुस्कुराते हुए मोस्ट वैलकम बोलती है।




चैतन्य दादा जी तानिया की तरफ देख कर बोले : " बेटा, क्या खीर थोड़ी और बची है...?? "




दादा जी का इतना कहना था कि युवान उनकी तरफ देखते हुए बोला : " क्या दादा जी आप भी। दो कटोरी खीर तो आप अकेले खा गए और अभी भी भाभी से ये पूछ रहे हैं कि खीर बची है या नहीं।। " यह कहते हुए वह दुबारा अपनी बत्तीसी दिखाने लगा।।




दादा जी : " नालायक, ये मैं अपने लिए नहीं तेजस और समर्थ के लिए बोल रहा हूँ। उन्हें भी तो तुम्हारी भाभी के हाथों का खीर खाने का मन होगा न।। "




तानिया : " डोन्ट वॉरी दादा जी। थोड़ी खीर बची हुई है, मैं उसे पैक कर देती हूँ।। " यह कहते हुए वह अंदर जाकर एक टिफीन बाॅक्स में खीर पैक करके ले आयी और उसे यक्षित को दे दिया।।




आर्य, अनय और विवेक अपने - अपने आॅफिस के लिए निकल गए। साथ में भाविक, ध्रुव और एकांत भी आॅफिस के लिए निकल गए।।




To be continued...




तो क्या तानिया आर्य के दिल को यह समझा पाएगी कि प्यार जैसे शब्द फेक नहीं होते...?? वह भी एक लविंग और केयरिंग लाइफ पार्टनर डिजर्व करता है जितना की वेदांश अपने लिए मां डिजर्व करता है...?? जानने के लिए पढ़ते रहिए " हैवान की मोहब्बत " और बने रहिए कहानी पर।।




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See you in the next chapter till then take care..




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