बारिश, चाय और तुम - भाग 3 सिद्धार्थ रंजन श्रीवास्तव द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बारिश, चाय और तुम - भाग 3

"आपके हाथ में ये जो फोल्डर है उस पर आप का नाम लिखा है और फोल्डर देख के कोई भी अंदाजा यही लगाएगा की आप इंटरव्यू दे कर आ रहे हैं।" उस लड़की ने एक प्यारी सी मुस्कान के साथ आकर्ष से पूछा


"ओह्ह.. हाँ इंटरव्यू ठीक था, बाद में बताने को कहा है।" आकर्ष ने जवाब दिया, "आपका क्या नाम है?" डरते डरते आकर्ष ने पूछ ही लिया


"निलांजना.. निलांजना सक्सेना।" उस लड़की ने जवाब दिया


"निलांजना, wow.. बहुत प्यारा नाम है।" आकर्ष ने तारीफ में कहा


"थैंक्स।" निलांजना ने उसका अभिवादन किया

उसके बाद दोनों कुछ देर चुप चाप खड़े रहे और फिर निलांजना ने बात शुरू की।


"आज बहुत दिनों के बाद दिल्ली में इतनी अच्छी बारिश हुई है, मज़ा आ गया।" निलांजना ने कहा


"मज़ा? मुझे बारिश बिलकुल पसंद नहीं है, सारे काम रुक जाते है। अब देखिये ना मैं तो कम से कम घर ही वापस जा रहा था और बारिश में फंस गया लेकिन आप? आप तो किसी काम से ही जा रही होंगी और बारिश में फंस गयीं।" आकर्ष ने इस बारिश को कोसते हुए कहा


"काम से? अरे नहीं, मैं तो घर से निकली ही थी बारिश का मज़ा लेने। लेकिन वापसी में फंस गयीं, फिर भी मुझे बारिश में भीगना बहुत पसंद है 😍।" निलांजना ने अपनी बात पूरी की और बारिश की गिरती बड़ी बड़ी बूंदो को हाथ से छूकर खेलने लगी।

आकर्ष ने निलांजना के चेहरे को देखा जो की बारिश की बूंदो से अठखेलियां करते हुए, उसके चेहरे पे एक सुकून भरी मीठी सी मुस्कान थी जैसे किसी छोटे से बच्चे को अपना मन पसंद कोई खिलौना मिल जाये।


वो खुद किसी छोटे बच्चे से कम नहीं लग रही थी। बारिश से उसे खेलते हुए देख कर ऐसा लग रहा था जैसे कोई मोर बादलों के घिर आने पे ख़ुश होकर अपने पँख फैला कर नृत्य कर रहा हो।


"कहाँ खो गए आकर्ष जी?" निलांजना ने आकर्ष को खुद की और देखते हुए पूछा


"आप की इन झील सी आँखों में" आकर्ष कहना तो यही चाहता था लेकिन निलांजना के इस तरह पूछने से वो चौंक गया


"जी.. कुछ नहीं.. कुछ नहीं।" आकर्ष ने हड़बड़ाते हुए जवाब दिया


जवाब में निलांजना सिर्फ मुस्कुरा कर रह गयी।


"चाय पिएंगे? ये भईया बड़ी कमाल की चाय बनाते हैं।" निलांजना ने बस स्टॉप के कोने में बैठे एक 20 साल के लड़के की तरफ इशारा करते हुए पूछा


"जी जरूर, बहुत भीग चुके है ऐसे में चाय थोड़ी राहत देगी। वैसे भी चाय मेरा पहला प्यार है।" आकर्ष ने निलांजना से कहा


"और दूसरा प्यार?" निलांजना ने एक कुटिल मुस्कान के साथ पूछा


"जी... वो अब तक मिला ही नहीं है।" आकर्ष ने चौंकते हुए जवाब दिया


निलांजना एक बार फिर मुस्कुरा दी।


"भईया अभी जैसे मुझे चाय पिलाई थी वैसे ही 2 कप चाय और देना।" निलांजना ने हँस कर लड़के की तरफ देख कर कहा


"जी दीदी, अभी देता हूँ।" चाय वाले लड़के ने कहा और अपने कंटेनेर से गरम दूध निकाला और बैग से सारी चीजें डाल कर चाय बनाने लगा।


कुछ ही देर में बढ़िया सी गरमा गरम चाय दोनों के हाथों में थमा दी।

"वाह, ये तो सच में बहुत बढ़िया चाय है। धन्यवाद निलांजना जी।" आकर्ष ने चाय का पहला सिप लेते ही कहा


"धन्यवाद कहिये इस भईया का जो इतनी अच्छी चाय बनाते है और इस बारिश का जिसकी वजह से हम सब इस बस स्टॉप के निचे रुके हैं।" निलांजना ने मुस्कुराते हुए कहा
आकर्ष ने जल्दी से चाय खत्म की और चाय के पैसे उस लड़के को दे दिए


"अरे इतनी जल्दी चाय खत्म?" निलांजना ने पूछा


"हाँजी, मुझे गरम चाय पीने की आदत है।" आकर्ष ने कहा


"चाय तो एन्जॉयमेंट करने वाली चीज है, आराम आराम से पिया करिए।" निलांजना ने आकर्ष को समझाते हुए कहा


"आगे से ध्यान रखूँगा।" आकर्ष ने मुस्कुरा कर जवाब दिया

अब बारिश भी हल्की होने लगी थी और कुछ देर में बिलकुल कम भी हो गयी।


"मेरी मदद करेंगे बाइक स्टार्ट करने में?" निलांजना ने आकर्ष से पूछा


"हाँ जरूर।" आकर्ष ने कहा और निलांजना के साथ उसके बाइक के पास तक आ गया


निलांजना ने कई बार सेल्फ लेकर स्टार्ट करने की कोशिश की लेकिन अभी भी बाइक स्टार्ट नहीं हो पा रही थी।

आकर्ष ने बाइक एक बार चेक करी और स्टार्ट करने की कोशिश की लेकिन सेल्फ से बाइक स्टार्ट नहीं हुई। आकर्ष ने बाइक को डबल स्टैंड पर खड़ी कर किक मारना स्टार्ट किया और 3-4 किक में ही बाइक स्टार्ट हो गयी।

"लीजिए मैडम, आपकी बाइक स्टार्ट हो गयी। इसकी बैटरी डाउन हो गयी है शायद।" आकर्ष ने कहा

"धन्यवाद आकर्ष।" निलांजना ने धन्यवाद किया और बाइक स्टैंड से उतार ली

आकर्ष मुड़ा और वापस बस स्टैंड की तरफ जाने लगा।

"अरे कहाँ चले? कहाँ जाना है ये बताओ।" निलांजना ने आकर्ष को आवाज़ दिया

"लक्ष्मी नगर तक, मैं चला जाऊंगा।" आकर्ष ने जवाब दिया

"अरे आओ बैठ जाओ, लड़कियों की तरह मत शर्माओ। मैं नॉएडा रहती हूँ, तुम्हे लक्ष्मी नगर छोड़ दूंगी और फिर चली जाउंगी। आओ बैठो।" निलांजना ने आकर्ष को बैठने का इशारा किया।

आकर्ष की तो जैसे आज लॉटरी ही लग गयी हो।


"Are you sure?" आकर्ष ने पूछा

"100% आओ बैठो।" निलांजना ने जवाब दिया


आकर्ष बाइक पर पीछे बैठ जाता है, निलांजना बाइक को 30 की स्पीड से चला रही होती है।


"जल्दी तो नहीं है आपको आकर्ष?" निलांजना ने पूछा

"नहीं आप आराम से चलिए, वैसे भी ज्यादा दूर नहीं है।" आकर्ष ने जवाब दिया


15 मिनट की ड्राइविंग और आकर्ष के बताये रास्ते से निलांजना उसे उसके कजिन के घर के पास ड्राप कर दिया।


"थैंक्स निलांजना जी।" आकर्ष ने कहा

"थैंक्स? किस बात के लिए?" निलांजना ने पूछा

"मुझे घर तक छोड़ने के लिए और एक बेहतरीन चाय के लिए।" आकर्ष ने चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान के साथ कहा

"अरे इसमें थैंक्स की कोई बात नहीं, कभी आप भी मुझे चाय पिला देना।" निलांजना ने भी मुस्कुरा के जवाब दिया

"जरूर, लेकिन फिर मुलाक़ात होगी कभी तब ना।"आकर्ष ने कहा

"क्यूँ नहीं होगी मुलाक़ात? मिलना नहीं चाहते तो और बात है।" निलांजना ने कहा और चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया

"अरे नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं है। मिलना तो चाहता हूँ लेकिन कल मैं वापस चला जाऊंगा।" आकर्ष ने कहा

"वापस चले जायेंगे? कहाँ?" निलांजना ने चौंकते हुए पूछा


To be continue...