Prem Vivah - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

प्रेम विवाह - भाग 3

आदित्य मधु को ढूंढने का नया तरीका सोचने के बाद अपने दोस्त शिवम को फोन करके सुबह अपनी हवेली पर जल्दी पहुंचने के लिए कहता है, जब आदित्य का फोन शिवम के पास आता है, उस समय शिवम गहरी नींद में सो रहा था, इसलिए दो-तीन बार आदित्य के फोन करने के बाद शिवम फोन उठाता है।

आदित्य से फोन पर बात करने के बाद शिवम अपने मन में सोचता है कि आदित्य की जल्दी से जल्दी यह समस्या हल करनी पड़ेगी वरना यह मधु के प्यार में दीवाना होकर कोई गलत कदम उठाने से भी नहीं डरेगा, इसलिए सुबह शिवम नहा धोकर तैयार होकर आदित्य की हवेली पर पहुंच जाता है, आदित्य को पूरी तरह तैयार देखकर शिवम समझ जाता है कि आदित्य रात भर सोया नहीं है और पूरी रात मधु के ख्यालों में खोया रहा है।

दोनों दोस्त उल्टा सीधा नाश्ता करके एक ही बाइक पर साथ मधु को ढूंढने निकल जाते हैं, मधु को ढूंढने से पहले आदित्य अपने गांव की नदी के पास बाइक रोक कर शिवम से कहता है कि "आज हम मधु को नहीं मधु के छोटे भाई को ढूंढेंगे, क्योंकि भाई मिल जाएगा तो सोचो मधु मिल गई।"
"लेकिन भाई को ढूंढगे कैसे।" शिवम पूछता?
"हम अपने गांव के पास वाले रेलवे जंक्शन को छोड़कर आगे के आठ गांव के रेलवे जंक्शनों के पास वाले विद्यालय में मधु के भाई को ढूंढेंगे।" आदित्य बताता है

शिवम को आदित्य का यह तरीका बहुत पसंद आता है और दोनों दोस्त बाइक पर मधु के भाई को ढूंढने निकल पड़ते हैं, लेकिन मधु का छोटा भाई बुखार होने की वजह से विद्यालय से छुट्टी लेकर घर पर आराम कर रहा था।

तीन दिनों तक घर से दूर रह कर मधु के भाई को ढूंढने के बाद जब मधु का भाई उनको नहीं मिलता है तो आदित्य शिवम निराश होकर अपने गांव वापस आने लगाते हैं तो शिवम को बाइक चलाने में बहुत थकान महसूस होती है, इसलिए शिवम आदित्य को बाइक चलाने के लिए कहता है। आदित्य तीन दिन का थका हुआ था और मधु के भाई को ढूंढने से पहले एक रात सोया भी नहीं था, इसलिए बाइक चलाते हुए आदित्य को नींद की झपकी लग जाती है और आदित्य की नींद की पहली ही झपकीं में उनकी बाइक तेज आते ट्रक से टकरा जाती है।

दुर्घटना इतनी भयानक होती थी है कि उनकी मोटरसाइकिल की धज्जियां उड़ जाती हैं, इस भायनक हादसे में दोनों कि जान तो बच जाती है लेकिन आदित्य कि याददाश्त चली जाती है।

आदित्य के दोनों भाई भाभियां आदित्य कि याददाश्त जाने के बाद डॉक्टर से कहते हैं कि "चाहे हमारा घर बाहर सब बिक जाए, लेकिन आदित्य की याददाश्त किसी भी हालत में वापस आनी चाहिए और शिवम भी पूरी तरह तंदुरुस्त होना चाहिए।"

और इस दर्दनाक हादसे के बाद आदित्य के दोनों भाई भाभियां आपस में सोच विचार कर के फैसला ले लेते हैं कि जैसे ही आदित्य बिल्कुल ठीक हो जाएगा उसकी मर्जी बिना जाने हम जबरदस्ती उसकी शादी मधु से खूबसूरत लड़की ढुंढ कर करवा देंगे।

आदित्य के दोनों भाई भाभियां आदित्य के ईलाज पर पानी कि तरह पैसा बहा देते हैं।

आदित्य कि सेहत में पूरा नहीं परंतु काफी हद तक सुधार होने के बाद डॉक्टर आदित्य को अस्पताल से छुट्टी दे देते हैं, जिस दिन आदित्य को अस्पताल से छुट्टी मिलती है उस दिन की तैयारी में आदित्य के दोनों भाई भाभियां अपनी हवेली को नई नवेली दुल्हन जैसे सजाते संवारते हैं और आदित्य के घर आने के खुशी में बड़ी पूजा करके गांव पुरे गांव का भोज करते हैं।

उस दिन हवेली में सुबह से देर रात तक चहल-पहल धूमधाम रहती है, इसलिए शिवम को आदित्य से बात करने का मौका नहीं मिलता है, इस वजह से वह रात को आदित्य के पास ही रुक जाता है और जब रात को आदित्य मधु की मूर्ति के गले लगा कर रो-रो कर कहता है कि "मेरी प्यारी इंदु में भी तुम्हारे बिना अपने प्राण दे दूंगा, अब मुझे तुम्हारा मूर्ति के होंठ हिलाकर बात करना अच्छा नहीं लगता है, क्योंकि मैं अब तुम्हें अपने सामने जीती जागती खड़े देखना चाहता हूं।"

शिवम आदित्य की बात पूरी होने के बाद आदित्य से कहता है कि "तुम्हारी प्रेमिका मधु है इंदु नहीं इंदु तो हमारे बचपन की दोस्ती थी और एक सड़क दुर्घटना में उसकी अपने पति के साथ मौत हो गई है, तुम तो मधु से प्यार करते हो जो तुम्हें रेलवे जंक्शन पर मिली थी और तुमने उसके परिवार की एक पागल और जंगली भालू से रक्षा की थी और यह मूर्ति इंदु की नहीं तुम्हारी प्रेमिका मधु की है, इस मूर्ति को खुद तुमने मधु कि यादों से मूर्तिकार से बनवाया था।"
आदित्य आचार्य चकित होकर चुपचाप शिवम का चेहरा देखता रहता है और फिर कुछ सोच समझ कर शिवम से कहता है "यह मधु कौन है, मैं तो इंदु का दीवाना हूं।" और यह कहने के बाद अपना चेहरा तकिए से दबा कर उल्टा बिस्तर पर लेट जाता है और कुछ ही मिनट में छोटे बच्चे जैसे सो जाता है।

आदित्य के सोने के बाद शिवम वहां से अपने घर जाने लगता है तो इंदु की आत्मा मधु की मूर्ति के होंठ हिलाकर शिवम से कहती है "शिवम तुम मेरे और आदित्य के बीच में मत आओ मैं बचपन से आदित्य से प्यार करती हूं, लेकिन आदित्य ने मुझे इस नजर से कभी नहीं देखा सिर्फ अच्छा दोस्त ही समझा था मैं रात दिन इस एक तरफा प्यार में तड़पती रहती थी और जब आदित्य से मिलने की मेरी उम्मीद टूट गई थी तो तब मैंने मजबूरी में अपने मां-बाप के कहने से शादी कर ली थी, लेकिन अब मैं मृत्यु के बाद आदित्य को किसी भी हालत में किसी को अपने से छीनने नहीं दूंगी।"

इंदु की सारी बात सुनने के बाद शिवम को समझ आ जाता है कि मधु को ढूंढने से ज्यादा इंदु की आत्मा से आदित्य को बचाने की समस्या ज्यादा विकेट है और वह ऊपर के मन से इंदु की आत्मा से यह कहकर अपने घर चला आता है कि "जो तुम्हें करना है, वह करो मुझे इस बात से कोई लेना देना नहीं है।"

उस रात थका हारा शिवम देर रात को अपने घर पहुंच कर चुपचाप सो जाता है और सुबह चाय नाश्ता करने के बाद अपनी पत्नी आशा को अपने बचपन की दोस्त इंदु की आत्मा की सारी बात बताता है और अपनी पत्नी आशा से पूछता है? "तुम मुझे कोई बेहतरीन सालहा दो जिससे कि मैं अपने दोस्त आदित्य को इंदु की आत्मा से बचा सकूं, आदित्य को उसकी प्रेमिका मधु की सारी बातें याद दिला सकूं।"
पहले तो शिवम की पत्नी आशा को यकीन नहीं होता कि इंदु की आत्मा मधु की मूर्ति के होंठ हिलाकर शिवम और आदित्य से बात करती है, लेकिन जब आदित्य अपनी पत्नी आशा के सर पर हाथ रखकर उसकी कसम खाता है तो आशा को यकीन हो जाता है कि उसका पति शिवम सच कह रहा है।

जब शिवम और आशा इस समस्या का हाल खोज रहे थे तो इतने में शाम को मेले में लगी नौटंकी के कलाकार तेज तेज लाउडस्पीकर पर चिल्ला चिल्ला कर अपनी नौटंकी का प्रचार करते हैं, शिवम उसकी पत्नी आशा अपने घर की चौखट पर खड़े होकर उन नौटंकी वालों का प्रचार सुनते हैं। नौटंकी का प्रचार सुनने के बाद शिवम आशा से कहता है कि "शाम को हम नौटंकी देखने जरूर जाएंगे शायद नौटंकी देखकर आदित्य को इंदु की आत्मा से बचाने का कुछ हल मिल जाए।

और शिवम से शाम को मेले में नौटंकी देखने कि बात सुनकर शिवम कि पत्नी आशा बहुत खुश हो जाती है, शाम को दोनों पति-पत्नी अच्छी तरह तैयार होकर खुशी से मेला घूमने और नौटंकी देखने जाते हैं।

मेले कि नौटंकी में नौटंकी का हीरो खूबसूरत लड़की बनकर अपने दोस्त को एक तवायफ के झूठे प्रेम जाल से बचाता है, उस तवायफ ने हीरो के दोस्त को उसकी जमीन जायदाद के लालच में अपने प्रेम जाल में फसा रखा था, नौटंकी का हीरो उस तावायफ से ज्यादा खूबसूरत बनाकर अपने दोस्त को अपने प्रेम जाल में फंसा कर उस तवायफ की असलियत उसके सामने लाता है।

नौटंकी देखने के बाद शिवम बहुत खुश हो जाता है जब शिवम की पत्नी आशा शिवम से इस खुशी का करण पूछती है तो शिवम बताता है "मैं मधु बन कर आदित्य को मधु की सारी बातें याद दिलाऊंगा और मुझे पक्का विश्वास है, एक दिन आदित्य कि याददाश्त पूरी तरह वापस आ जाएगी।"

शिवम खूबसूरत लड़की बनने से पहले आदित्य के दोनों भाई भाभियों कि इंदु की आत्मा की सारी सच्चाई बताता है और जब उसके दोनों भाई भाभियों को यकीन नहीं होता तो वह रात को आदित्य के कमरे का दरवाजा खोलकर आदित्य के दोनों भाई भाभियों को दिखाता है कि आदित्य किस तरहा मधु की मूर्ति के सामने खड़ा होकर इंदु की आत्मा से बात करता है, यह दिल दहलाने वाला दृश्य देखकर आदित्य के दोनों भाई भाभियां सोच में पड़ जाते हैं कि इससे अच्छी तो मधु थी कम से कम मधु जीवित लड़की तो थी, अब इस चुड़ैल इंदु से आदित्य की जान कैसे बचाई जाए।

तब शिवम उनकी चिंता खत्म करते हुए कहता है कि "मुझे मेले की नौटंकी से आदित्य को इंदु की आत्मा से बचाने का एक बेहतरीन तरीका सुजा है और फिर अपनी योजना आदित्य के दोनों भाई भाभियों को बताता है। शिवम आदित्य के दोनों भाई भाभियों को बताता है कि "नौटंकी में हीरो खूबसूरत लड़की बनकर अपने दोस्त को एक तवायफ के झूठे प्रेम जाल से बचाता है और अभी आदित्य पूरी तरह तंदुरुस्त नहीं है उसके दिमाग पर पुरानी यादों को सुना सुना कर दबाव डालना सही नहीं होगा जब मैं खुद मधु बनाकर उसके सामने पहुंचूंगा तो शायद वह मेरी बात ध्यान से सुने और उसको सब कुछ याद आ जाए शिवम का आदित्य को पिछली बातें याद दिलाने का तरीका आदित्य के दोनों भाई भाभियों को बहुत पसंद आता है और वह कहते हैं "इस काम में किसी भी चीज की जरूरत पड़े तो तुम बेहिचक मांग सकते हो।

उसी दिन से शिवम मधु बनने की पूरी तैयारी शुरू कर देता है और एक बड़े मशहूर मेकअप मैन से खूबसूरत लड़की मधु जैसा मेकअप करवाता है, मधु जैसी खूबसूरत लड़की बनने के बाद शिवम आदित्य से मिलने उसकी हवेली में जाता है और हवेली में आदित्य को देखते ही भाग कर उसके पास जाकर लड़की की आवाज में कहता है " लो अब तुम्हारी मधु तुम्हारे पास खुद चलकर आ गई है, मुझे ढूंढते ढूंढते तुमने अपनी क्या हालत कर ली है।"
"कौन मधु मैं किसी मधु को नहीं जानता हूं।" आदित्य कहता है

शिवम की मदद करने के लिए आदित्य की भाभियां पहले से ही तैयार थी, इसलिए जब आदित्य कहता है कौन मधु तो उसकी छोटी भाभी तुरंत कहती है "मधु को तुम कैसे भूल सकते हो मधु को ही ढूंढते ढूंढते तुम्हारा और शिवम का एक्सीडेंट हुआ था, तुम्हारे कमरे में मधु की मूर्ति रखी हुई है, मधु से पहली और आखिरी मुलाकात तुम्हारी रेल के सफर में हुई थी।

लेकिन अपनी भाभी से आदित्य यह कहकर अपने कमरे में सोने चला जाता है कि "मैं किसी मधु को नहीं जानता हूं, मेरी जिंदगी में एक ही लड़की है और वह मेरी स्वर्गवासी दोस्त इंदु है।

किंतु शिवम फिर भी घर नहीं जाता है और लगातार मधु बनाकर आदित्य के सामने मंडराता रहता है और बार-बार आदित्य को रेलवे जंक्शन पर मधु और उसकी मुलाकात की एक-एक घटनाएं याद दिलाता रहता है, परंतु उसके इस पूरे तरीके का आदित्य के ऊपर जब कोई असर नहीं होता तो वह आखिरी कोशिश करता है और मधु बन कर आदित्य के कमरे में जाता है और खूबसूरत लड़की की आवाज बनकर आदित्य को अपने कमरे का दरवाजा खोलने के लिए कहता है।

आदित्य जैसे ही कमरे का दरवाजा खोलता है मधु बना शिवम जबरदस्ती आदित्य के कमरे में घुस जाता है और मधु की मूर्ति के पास खड़े होकर कहता है कि "जब आप मुझे ढूंढते ढूंढते थक गए थे, तब आपने मेरी यह मूर्ति बनवाई थी, ताकि आप मेरी मूर्ति के सहारे अपना पूरा जीवन काट लो।"

मधु बने शिवम की यह बात आदित्य के दिल दिमाग पर गहरा असर डालती है और वह गहराई से सोचने लगता है, तभी मधु की मूर्ति के होंठ हिलने लगते हैं।

मधु की मूर्ति को देखकर शिवम समझ जाता है कि इंदु की आत्मा मधु की मूर्ति के अंदर घुसने वाली है, इसलिए यहां से इस समय जाना ही ठीक होगा, लेकिन शिवम को इस बात का अफसोस रह जाता है कि जब आदित्य गहरी सोच में डूब कर मधु के बारे में सोचने लगा था, तभी इंदु की आत्मा ने आकर सब कुछ गड़बड़ कर दिया।

शिवम के कमरे से बाहर निकलने से पहले इंदु की आत्मा आदित्य से कहती है "आदित्य यह कोई लड़की नहीं है, यह एक बहरूपिया है, इस नकली मधु की बच्ची की छुट्टियां पकड़ कर खींचों और आदित्य जैसे ही लड़की बने शिवम की छुट्टियां पकड़ कर खींचता है तो शिवम के लड़की वाले सारे नकली बाल आदित्य के हाथों में आ जाते हैं।

अपनी पोल खोलने के बाद शिवम झूठी हंसी हंसते हुए कहता है "मैं तो भाभियों के साथ मिलकर लड़की बनकर तुम्हारा मनोरंजन कर रहा था, ताकि तुम जल्दी से जल्दी पूरी तरह तंदुरुस्त हो जाओ और झूठी हंसी हंसते हुए शिवम आदित्य के कमरे से बाहर निकल जाता है, लेकिन शिवम की यह उम्मीद बढ़ जाती है कि अगर आदित्य को अच्छी तरह मधु बन कर रेलवे जंक्शन की बातों को ठीक तरीके से याद दिलाया जाए तो आदित्य को मधु के बारे में सब कुछ याद आ जाएगा।

इसी सोच के साथ शिवम आदित्य के दोनों भाई भाभियों के सामने एक नई योजना रखता है और और उनसे कहता है "मेले की नौटंकी के कलाकारों को मधु और आदित्य की रेलवे जंक्शन की मुलाकात के बारे में छोटी से छोटी बात समझाई जाएं और उनसे कहा जाए इस घटना को नाटक के रूप में आदित्य के सामने पेश करें मैं आदित्य का किरदार निभाऊंगा क्योंकि मैं मधु के लिए आदित्य की एक-एक भावनाओं को अच्छी तरह समझता हूं और अपनी पत्नी आशा को मधु का किरदार दूंगा मैं आशा को मधु की छोटी सी छोटी बात कि पूरी जानकारी दे दूंगा।"

आदित्य के दोनों भाई भाभियों तो बस यह चाहते थे कि किसी भी तरह आदित्य इंदु की आत्मा के जाल से बाहर निकाल कर मधु से पहले जैसे प्रेम करने लगे, इसलिए वह अपनी हवेली में मधु और आदित्य की रेलवे जंक्शन की मुलाकात की नौटंकी करवाने की पूरी तैयारी कर लेते हैं और शिवम भी आदित्य का किरदार निभाने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाता है और अपनी पत्नी आशा को भी तैयार कर लेता है।

मधु और अपनी रेलवे जंक्शन की मुलाकात की नौटंकी देखते देखते आदित्य को धीरे-धीरे सब याद आने लगता है और वह जोर से चिल्ला कर कहता है कि "बंद करो यह नौटंकी इस नौटंकी को देखकर मेरी मधु से मिलने की बेचैनी और बढ़ गई है, मुझे किसी भी हालत में मधु चाहिए।" और अपनी आंखों के आंसू पहुंचते हुए अपने कमरे की तरफ भागने लगता है। मधु की मूर्ति से मिलने के लिए।

परंतु उसी समय उसके कमरे में एक भयानक विस्फोट होता है।

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