EK KAHANI AISI BHI FIR SE - BHAG-2 books and stories free download online pdf in Hindi

एक कहानी ऐसी भी - फिर से - भाग -२

 

 

आगे  आपने  देखा  की  कैसे  गुड़िया  परी  पर  काला  जादू  करती  है  । 

ओर  जैसे  सुनैना  गुड़िया  को  कील  चुभाती  है  । 

परी  चिल्ला  देती  है  । 

जिससे  वो  गुड़िया  खिड़की  से  उड़कर  बाहर  भाग  जाती  है । 

हम  सबको  लगता  है  की  प्रिया  ने  उसे  उड़ते  हुए  देख  लिया  है  । 

पर  हकीकत  कुछ  ओर  थी  प्रिया  ने  सिर्फ  खुली  खिड़की  ही  देखि  थी  । 

ओर  वो  लोग  परी  को  अपने  साथ  ले  गए  ओर  उसे  सुला  दिया । 

अब  आगे  । 

 

सुबह  होते  ही  अनुज  ओर  प्रिया  जागे   ओर  फिर  नहा - धोकर  परी  को  जगाया  । 

पर  ये  क्या  परी  को  तो  बहुत  तेज  बुखार  था  । 

१०४  डिग्री  बुखार  । 

तुरंत  डॉक्टर  को  फोन  लगाया ओर  वो  परी  को  देखने  के  लिए  आए  । 

उन्होंने  परी  को  देखा  ओर  कहा  कुछ  भी  नहीं  सायद  सदमे  की  वजह  से  बुखार  है । 

मैंने  दवाई  देदी  है  । 

जल्द  ठीक  हो  जाएगी  । 

 

सब  काम  पर  चले  गए  । 

फिर  रात  को  डिनर  मे  सब  एकठे  हुए  । 

सब  ने  परी  का  हालचाल  पुछा  । 

तो  परी  एकदम  ठीक  लग  रही  थी  । 

पर  एक  बात  सब ने  नोटिस  की  की  वो  अपने  आपसे  बहुत  बाते  कर  रही  थी  । 

ओर  उसने  कुछ  खाना  भी  नहीं  खाया  । 

 

जब  रात  को  सब  सो  गए  तो  वह  धीरे  से  दरवाजा  खोलकर  बाहर  चली  गई  । 

थोड़ी  देर  बाद  कुत्तों  की  जोर  से  भोंकने  की  आवाजे  आई । 

ये  सुनकर  प्रिया  ओर  अनुज  जाग  गए  । 

कही  पर  परी  दिखाई  न  दी  । 

तो  वो  लोग  भी  बाहर  आए  । 

बाहर  आके  उन्होंने  देखा  की  परी  एक  बिल्ली  को  हाथों  मे  लेकर  दांतों  से  चबा  रही  है  । 

उसके  हाथ  पूरे  मांस  से  सने  हुए  है  । 

ओर  कपड़ों  पर  खून ही  खून  है । 

मानो  कोई  सदी ओ  से  भूखा  हो  । 

ओर आज  खाने  को  मिला  हो । 

वो  बिल्ली  को  इतनी  तेजी  से  खा  रही  थी  । 

की  जब  तक  वो  लोग  उनके  पास  पहोचते  बिल्ली  मे  हड्डियों  के  अलावा  कुछ  नहीं  बचा  था  । 

 

मानो  कोई  प्रेत  साया  उस  पर  हावी  हो  गया  हो  । 

ओर  जब  अनुज  ओर  प्रिया  उसके  पास  पहुचे  वो  हसकर  भाग  गई  । 

ओर  वो  भी  चार  पैरों पर  जैसे  जानवर  जाते  है । 

ओर  कूदकर  जाड़  पर  उल्टी  लटक  गई  । 

मानो  जैसे  कोई  रक्त पिसाच  आज  सदीओ  बाद  जीवित  हुआ  हो  । 

 

फिर  वो  प्रिया  पर  जपटी  ओर  उसके  खंबे  पर  बैठ  गई । 

उसने  जैसे  ही  प्रिया के  खंभे  पर  दांत  गिड़ाए  । 

अनुज  मे  बगल  मे  रखे  डंडे  से  उसके  सिर  पर  वार  किया  । 

ओर  परी  बेहोश  हो  गई  । 

तब  तक  घर  के  सारे  लोग  वहा  आ  चुके  थे  । 

ओर  मंगल  मेंसन  के  ऊपर  काले  बादल  का  डेरा  जमा  । 

फिर  सबको  उसमे  सुनैना  दिखी  ओर  वो  बोली  । 

ये  तो  सिर्फ  सरुआत  है  । अनुज  । 

मै  तेरे ही  सामने  सबको  तड़पा -तड़पा कर  मारूँगी  । 

अब  क्या  होगा  जानने  के  लिए  पढे  - एक कहानी  ऐसी  भी  फिर  से - भाग -३  

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