EK KAHANI AISI BHI -FIR SE - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

एक कहानी ऐसी भी - फिर से - भाग -१

ये  एक  कहानी  ऐसी  भी  की  दुशरी  नॉवेल  है । 

अगली  कहानी  मे  बहुत  सारी  खामिया  रहे  गई  थी  । 

इस  लिए  कहानी  को  नया  मोड  देने  के  लिए  । 

कहानी  को  नए  जरिए  से  सरू  कर  रहा  हु  । 

जहा  पात्र  वही  रहेंगे  पर  कहानी  को  आगे  ले  जाऊंगा  । 

 

आगे  आपने  देखा  की  परी  का  जन्मदिन  होता  है । 

ओर  एक  अनजान  शख्स  उसका  गिफ्ट  रख के  चला  जाता  है  । 

जब  उसे  खोलते  है  तो  उसमे  से  गुड़िया  निकलती  है । 

जैसे  ही  सब  सो  जाते  है  वो  गुड़िया  की  नीली नीली  आंखे  खुलती  है । 

अब  आगे  

 

वो  गुड़िया  की  नीली - नीली  आंखे  खुलती  है  । 

ओर  वो  चलने  लगती  है  । 

फिर  परी  के  पास  जाकर  वह  आपने  जेब  मे  से  एक  पुड़िया  निकालती  है । 

उसे  पुड़िया  को  खोलती  है  । 

उसमे  मे से  राख  निकालकर  परी  के  कपाल  पर  लगा  देती  है  । 

ओर  फिर  जब  परी  जाग  - जाती  है । 

तो  वह  मंत्र  बोलती  है  ॐ क्लीं  कपालिके  नमः  । 

उसे  बेहोश  कर  देती  है  । 

 

फिर  वो तांत्रिक  विधि  सरू  कर  देती  है । 

वो  सिर्फ  यहा पे  मंत्र बोलती  है  पर  सारी विधि  सुनैना  करती  है  । 

क्युकी  घर बंधन  होने  की वजह से वो  घर  के  अंदर  नहीं  जा  सकती  है । 

यहा गुड़िया  तंत्र कर  रही  है  ओर  वहा  सुनैना । 

मानो गुड़िया के अंदर  ही  सुनैना  बशी  हो  । 

 

सुनैना  परी  के  जन्मदिन के अगले  दिन ही  उसके  घर  के  बाहर  एक  बूढ़ी  औरत  बनके  रोड  पसार  कर  रही  थी । 

तभी  परी  ने उसकी  मदद  की  इस  मौके  का  फायदा  उठाकर  उसने  परी  के बाल ले लिए  । 

ओर  रोड क्रॉस करते वक्त  उसका  रुमाल  चुरा लिया । 

अब उस पर  तंत्र  बांधने की सारी सामग्री थी । 

अब बस उस तक पहोचने  का जरिया  चाहिए  था  जो उसने  इस गुड़िया  को  बनाया । 

अब वो फिर से अपने  असली  रूप मे  आ गई  थी । 

 

उसने  बालों को  खोला  । 

फिर  एक  चाकू  से  गोल बनाया  । 

उसके  बाद  मुर्गे  को  लिया  । 

उसकी  गरदन  पकड़कर  उसे  चबाया  । 

फिर  उसके  खून  से  उस  गोलाकार  को  पूर्ण  किया  । 

फिर  एक  निशान  बनाया । 

उसके  बीचों बीच  उसने  गुड़िया  रखी । 

उस  गुड़िया  को वो  रुमाल  पहेनाया । 

ओर  परी  के  बाल  लगाए । 

फिर  वशीकरण  के  मंत्रों  का  जाप  किया  । 

उधर  जो  मंत्र सुनैना  बोलती  वही  मंत्र  गुड़िया  भी  बोल  रही  थी  । 

तकरीबन  डेढ़  घंटे  के  बाद  । 

सुनैना  उठी  ओर  उसने  जो  गोलाकार  बनाया  था  उसमे  रखी  गुड़िया  को  उठाया  । 

ओर  फिर  उसने  उसे  एक  कील  चुभाई  । 

जैसे  ही  उसने  कील  चुभाई  । 

परी  दर्द  के  मारे  रोने  लगी  । 

अब  जो गुड़िया  परी  के  पास  थी  वो सतर्क  हो  गई । 

ओर हवा  मे उड़कर  खिड़की  से  बाहर  चली  गई  । 

पर  इन  सब मे  बहुत  देरी  हो  गई थी  । 

ओर उसे  उड़कर  जाते  हुए  प्रिया ओर  अनुज  ने  देख लिया  था  । 

वो दोनों  परी  को  अपने  साथ अपने  कमरे  मे  ले  गए  ओर अपने  साथ  शूला दिया  । 

आगे  क्या  होगा  जानने के  लिए  पढे  । 

एक कहानी  ऐसी भी  फिर  से  -भाग -२ 

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