महावीर लचित बड़फूकन - पार्ट - 5 Mohan Dhama द्वारा जीवनी में हिंदी पीडीएफ

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महावीर लचित बड़फूकन - पार्ट - 5


युद्ध में गुप्तचरों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। लचित ने अपने कुछ सैनिकों को शत्रु दल में फकीरों के वेश में भेजा। वे वहाँ घूमकर सूचनायें एकत्रित करते थे । उन्होंने मुगल सेना में अहोम राजा व उसके सैन्य बल के बहुत अधिक शक्तिशाली होने की अफवाह उड़ानी शुरू कर दी। इससे मुगल सेना का मनोबल गिरने लगा। इसके अतिरिक्त यह भी प्रचारित किया गया कि “अहोम सेना में बहुत से जादूगर हैं जिन्हें कामाख्या देवी का वरदान प्राप्त है। उसकी सेना में ऐसे दानव (राक्षस) भी हैं जो मनुष्य को कच्चा खा जाते हैं।”

मुगल सैनिकों को इसका प्रमाण दिखाने के लिए उन्हें उत्तरी किनारे पर ले जाया गया। वहाँ मुगल सैनिकों ने देखा कि करीब पचास दानव आग जला कर उसके इर्द-गिर्द नाच रहे थे। उनके हाथों में खून से लथपथ मानव अंग भी थे । यह सब देखकर वे हतोत्साहित होने लगे। वे इस बात से अनभिज्ञ थे कि वह केवल लचित द्वारा रचित नाटक था ।

अंधेरी रात में असमी सैनिक केले के पेड़ को काटकर उसे मशाल का रूप देते थे और नदी में बहा देते थे । इसके द्वारा वे मुगल सेना को यह बताना चाहते थे कि बड़ी संख्या में सेना का संचालन हो रहा है। इसी प्रकार वे लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े अनेक स्थानों पर जला देते थे ताकि ऐसा लगे कि हजारों की संख्या में अहोम सैनिकों ने वहाँ पड़ाव डाला हुआ है।

इसी बीच किले का एक भाग क्षतिग्रस्त हो गया। लचित ने अपने मामा के नेतृत्व में कुछ सिपाहियों को क्षतिग्रस्त भाग को ठीक करने का काम सौंपा। सैनिक चूँकि युद्धाभ्यास में बहुत थक गये थे, इसलिए वे लचित के मामा की अनुमति लेकर आराम करने लगे। मामा स्वयं भी आराम करने चले गये।

आधी रात के समय लचित वहाँ के काम का निरीक्षण करने आया। जब उसने सभी को सोया हुआ पाया, तो वह क्रोधित हो गया। उसने अपने मामा को नींद से जगाया और डाँटा । इससे पहले कि उसका मामा कोई वक्तव्य दे, लचित ने तलवार निकाली और एक ही बार में अपने मामा का सिर काट दिया और कहा- 'मेरा मामा मेरे देश से बढ़कर नहीं 'हो सकता।' सभी सैनिक उसकी क्रोधपूर्ण मुद्रा को देखकर स्तब्ध रह गये। उन्होंने तीव्रता से काम शुरू किया और सूर्योदय से पूर्व ही क्षतिग्रस्त भाग को ठीक कर दिया। मुगल सैनिकों को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि पिछली शाम को किले के जिस भाग को उन्होंने तोड़ दिया था, अब पूर्णरूप से बन गया है।

लचित का अपने सभी किलों पर पूरा-पूरा ध्यान था । सम्पूर्ण सुरक्षा व्यवस्था पर उनकी पैनी नजर रहती थी। फिर भी एक रंगमली नाम का किला हाथ से निकल गया। लचित को इस पर बहुत आश्चर्य हुआ। उसने सभी को बुलाकर पूछताछ की। जाँच करने पर पता चला कि राम सिंह ने वहाँ पर एक चाल चली थी। युद्ध क्षेत्र में विषाक्त धुँआ फैला दिया गया था। इससे सैनिक एक-दूसरे को देख नहीं सके और उस स्थिति में चारों ओर भ्रम फैल गया। तब सैकड़ों कुत्ते अहोम सैनिकों पर टूट पड़े। चारों ओर भगदड़ मच गई। इस स्थिति का लाभ उठाकर रामसिंह के सैनिकों ने किले पर नियंत्रण कर लिया।

लचित ने अपने सभी सरदारों को एकत्रित किया। राम सिंह को परास्त करने के उपायों पर विस्तृत चर्चा हुई। यह निर्णय हुआ कि किसी भी तरह राम सिंह को सराईघाट तक आने पर मजबूर किया जाये। कारण यह था कि सराईघाट पर असम सैनिकों को हराना किसी के बूते की बात नहीं थी।