महावीर लचित बड़फूकन - प्रकाशकीय Mohan Dhama द्वारा जीवनी में हिंदी पीडीएफ

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महावीर लचित बड़फूकन - प्रकाशकीय


अपने महापुरुषों का स्मरण भारत में एक श्रेष्ठ परम्परा रही है। कथा-कहानियों से लगाकर पुस्तकों तक उनके कर्तृत्व और आदर्श जीवन का सजीव चित्रण किया गया है। यदा-कदा पर्वों के माध्यम से भी हमने उनका स्मरण करना अपना पुनीत कर्तव्य समझा है। रामनवमी में भगवान राम का, जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण का, शिवरात्रि को भगवान शिव का, नवरात्रों में भगवती दुर्गा माँ का स्मरण, वसन्तोत्सव में वाणी की अधिष्ठात्री सरस्वती की वन्दना, हिन्दू साम्राज्य दिवस पर छत्रपति शिवाजी महाराज इत्यादि का स्मरण हमारे लिए शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक कृत्य रहे हैं।
इसी क्रम में हमने महापुरुषों, वैज्ञानिकों, ऋषि मुनियों, साधु संतों, समाज सुधारकों, विभिन्न क्षेत्रों में कीर्ति प्राप्त व्यक्तियों व क्रान्तिकारियों का भी स्मरण किया है। इस पुस्तक के माध्यम से हम प्रस्तुत कर रहे हैं असम के अहोम साम्राज्य के सेनापति लचित बड़फूकन का जीवन वृत्त, जो अपने अद्भ्य साहस, कुशल नेतृत्त्व, पराक्रम व देशप्रेम के कारण इतिहास में अमर स्तम्भ बन गये हैं। मुगल आक्रांताओं से कड़ा संघर्ष करते हुये उन्होंने शत्रु प्रत्येक दुस्साहस को विफल कर दिया। मुगलों के विरुद्ध उनकी रणनीति व सैन्य कौशल अद्भुत था।
जब तक इस देश में स्वतंत्रता के प्रति प्रेम का इतिहास लिखा व स्मरण किया जायेगा, लचित बड़फूकन जैसे वीर बहादुर योद्धा सभी के हृदय में सदा अमर रहेंगे।

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अपने महापुरुषों का स्मरण भारत में एक श्रेष्ठ परम्परा रही है। कथा-कहानियों से लगाकर पुस्तकों तक उनके कर्तृत्व और आदर्श जीवन का सजीव चित्रण किया गया है। यदा-कदा पर्वों के माध्यम से भी हमने उनका स्मरण करना अपना पुनीत कर्तव्य समझा है। रामनवमी में भगवान राम का, जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण का, शिवरात्रि को भगवान शिव का, नवरात्रों में भगवती दुर्गा माँ का स्मरण, वसन्तोत्सव में वाणी की अधिष्ठात्री सरस्वती की वन्दना, हिन्दू साम्राज्य दिवस पर छत्रपति शिवाजी महाराज इत्यादि का स्मरण हमारे लिए शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक कृत्य रहे हैं।
इसी क्रम में हमने महापुरुषों, वैज्ञानिकों, ऋषि मुनियों, साधु संतों, समाज सुधारकों, विभिन्न क्षेत्रों में कीर्ति प्राप्त व्यक्तियों व क्रान्तिकारियों का भी स्मरण किया है। इस पुस्तक के माध्यम से हम प्रस्तुत कर रहे हैं असम के अहोम साम्राज्य के सेनापति लचित बड़फूकन का जीवन वृत्त, जो अपने अद्भ्य साहस, कुशल नेतृत्त्व, पराक्रम व देशप्रेम के कारण इतिहास में अमर स्तम्भ बन गये हैं। मुगल आक्रांताओं से कड़ा संघर्ष करते हुये उन्होंने शत्रु प्रत्येक दुस्साहस को विफल कर दिया। मुगलों के विरुद्ध उनकी रणनीति व सैन्य कौशल अद्भुत था।
जब तक इस देश में स्वतंत्रता के प्रति प्रेम का इतिहास लिखा व स्मरण किया जायेगा, लचित बड़फूकन जैसे वीर बहादुर योद्धा सभी के हृदय में सदा अमर रहेंगे।


अपने महापुरुषों का स्मरण भारत में एक श्रेष्ठ परम्परा रही है। कथा-कहानियों से लगाकर पुस्तकों तक उनके कर्तृत्व और आदर्श जीवन का सजीव चित्रण किया गया है। यदा-कदा पर्वों के माध्यम से भी हमने उनका स्मरण करना अपना पुनीत कर्तव्य समझा है। रामनवमी में भगवान राम का, जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण का, शिवरात्रि को भगवान शिव का, नवरात्रों में भगवती दुर्गा माँ का स्मरण, वसन्तोत्सव में वाणी की अधिष्ठात्री सरस्वती की वन्दना, हिन्दू साम्राज्य दिवस पर छत्रपति शिवाजी महाराज इत्यादि का स्मरण हमारे लिए शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक कृत्य रहे हैं।
इसी क्रम में हमने महापुरुषों, वैज्ञानिकों, ऋषि मुनियों, साधु संतों, समाज सुधारकों, विभिन्न क्षेत्रों में कीर्ति प्राप्त व्यक्तियों व क्रान्तिकारियों का भी स्मरण किया है। इस पुस्तक के माध्यम से हम प्रस्तुत कर रहे हैं असम के अहोम साम्राज्य के सेनापति लचित बड़फूकन का जीवन वृत्त, जो अपने अद्भ्य साहस, कुशल नेतृत्त्व, पराक्रम व देशप्रेम के कारण इतिहास में अमर स्तम्भ बन गये हैं। मुगल आक्रांताओं से कड़ा संघर्ष करते हुये उन्होंने शत्रु प्रत्येक दुस्साहस को विफल कर दिया। मुगलों के विरुद्ध उनकी रणनीति व सैन्य कौशल अद्भुत था।
जब तक इस देश में स्वतंत्रता के प्रति प्रेम का इतिहास लिखा व स्मरण किया जायेगा, लचित बड़फूकन जैसे वीर बहादुर योद्धा सभी के हृदय में सदा अमर रहेंगे।