हमारे देश की सबसे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह रही कि कई शताब्दियों तक इस देश पर मुसलमान शासक आक्रमण करते हुए इस देश की अस्मिता, वैभव व संस्कृति पर प्रहार करते रहे। कालान्तर में आपसी फूट के कारण हिन्दू राजा एकजुट होकर मुगलों का प्रतिरोध नहीं कर सके व परिणामस्वरूप मुगल भारत पर शासन करने में सफल रहे। इसके बावजूद भी देश के कुछ भागों ने मुस्लिम शासकों की सत्ता को स्वीकार नहीं किया। मुगलों ने कई बार चढ़ाई की, परन्तु वे असम को नहीं जीत सके।
बख्त्यार खिलजी अपनी विशाल सेना के साथ दिल्ली से रवाना हुआ और उसने अपनी राह में आने वाले कई हिंदू राज्यों को जीता। उसने बिहार के नालंदा विद्यापीठ को बुरी तरह नष्ट कर दिया। बंगाल विजय के बाद उसने असम पर चढ़ाई कर दी। परन्तु उत्तरी गुवाहाटी में उसे मुँहतोड़ जवाब मिला। ढाका के नवाब का सेनापति कालापहाड़, जो मंदिरों को ध्वस्त करने के लिए कुख्यात था, उसने भी असम पर चढ़ाई की परन्तु वह केदार की पहाड़ियों के पास हाजो में मारा गया।
सन् 1639 में मुगल सेनापति अल्लाह यारखान ने असम पर आक्रमण किया। दुर्भाग्यवश, उस समय अहोम राज्य आपस में ही लड़ते रहते थे। इसलिये पश्चिमी असम में वह सफल रहा। उसने मोमई तामुली बरबरुआ से संधि कर ली जो उस समय सेनापति के पद पर था। कुछ समय बाद जयध्वज सिंह ने पश्चिमी असम से मुगलों को खदेड़ कर वहाँ अपना शासन स्थापित किया।
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हमारे देश की सबसे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह रही कि कई शताब्दियों तक इस देश पर मुसलमान शासक आक्रमण करते हुए इस देश की अस्मिता, वैभव व संस्कृति पर प्रहार करते रहे। कालान्तर में आपसी फूट के कारण हिन्दू राजा एकजुट होकर मुगलों का प्रतिरोध नहीं कर सके व परिणामस्वरूप मुगल भारत पर शासन करने में सफल रहे। इसके बावजूद भी देश के कुछ भागों ने मुस्लिम शासकों की सत्ता को स्वीकार नहीं किया। मुगलों ने कई बार चढ़ाई की, परन्तु वे असम को नहीं जीत सके।
बख्त्यार खिलजी अपनी विशाल सेना के साथ दिल्ली से रवाना हुआ और उसने अपनी राह में आने वाले कई हिंदू राज्यों को जीता। उसने बिहार के नालंदा विद्यापीठ को बुरी तरह नष्ट कर दिया। बंगाल विजय के बाद उसने असम पर चढ़ाई कर दी। परन्तु उत्तरी गुवाहाटी में उसे मुँहतोड़ जवाब मिला। ढाका के नवाब का सेनापति कालापहाड़, जो मंदिरों को ध्वस्त करने के लिए कुख्यात था, उसने भी असम पर चढ़ाई की परन्तु वह केदार की पहाड़ियों के पास हाजो में मारा गया।
सन् 1639 में मुगल सेनापति अल्लाह यारखान ने असम पर आक्रमण किया। दुर्भाग्यवश, उस समय अहोम राज्य आपस में ही लड़ते रहते थे। इसलिये पश्चिमी असम में वह सफल रहा। उसने मोमई तामुली बरबरुआ से संधि कर ली जो उस समय सेनापति के पद पर था। कुछ समय बाद जयध्वज सिंह ने पश्चिमी असम से मुगलों को खदेड़ कर वहाँ अपना शासन स्थापित किया।
हमारे देश की सबसे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह रही कि कई शताब्दियों तक इस देश पर मुसलमान शासक आक्रमण करते हुए इस देश की अस्मिता, वैभव व संस्कृति पर प्रहार करते रहे। कालान्तर में आपसी फूट के कारण हिन्दू राजा एकजुट होकर मुगलों का प्रतिरोध नहीं कर सके व परिणामस्वरूप मुगल भारत पर शासन करने में सफल रहे। इसके बावजूद भी देश के कुछ भागों ने मुस्लिम शासकों की सत्ता को स्वीकार नहीं किया। मुगलों ने कई बार चढ़ाई की, परन्तु वे असम को नहीं जीत सके।
बख्त्यार खिलजी अपनी विशाल सेना के साथ दिल्ली से रवाना हुआ और उसने अपनी राह में आने वाले कई हिंदू राज्यों को जीता। उसने बिहार के नालंदा विद्यापीठ को बुरी तरह नष्ट कर दिया। बंगाल विजय के बाद उसने असम पर चढ़ाई कर दी। परन्तु उत्तरी गुवाहाटी में उसे मुँहतोड़ जवाब मिला। ढाका के नवाब का सेनापति कालापहाड़, जो मंदिरों को ध्वस्त करने के लिए कुख्यात था, उसने भी असम पर चढ़ाई की परन्तु वह केदार की पहाड़ियों के पास हाजो में मारा गया।
सन् 1639 में मुगल सेनापति अल्लाह यारखान ने असम पर आक्रमण किया। दुर्भाग्यवश, उस समय अहोम राज्य आपस में ही लड़ते रहते थे। इसलिये पश्चिमी असम में वह सफल रहा। उसने मोमई तामुली बरबरुआ से संधि कर ली जो उस समय सेनापति के पद पर था। कुछ समय बाद जयध्वज सिंह ने पश्चिमी असम से मुगलों को खदेड़ कर वहाँ अपना शासन स्थापित किया।