कुत्ता और चांद Rk Mishra द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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कुत्ता और चांद

एक गाँव में एक बुढ़िया अपने दो पोतों के साथ रहती थी। एक दिन वह बहुत बीमार पड़ गई। उसके बचने की कोई उम्मीद न रही। उसने अपने पोतों को अपने पास बुलाकर कहा कि मैं तुम दोनों के लिए कुछ सम्पत्ति छोड़कर नहीं जा रही हूँ। मेरे पास बस दो चीजें हैं, एक ओखली और दूसरा मूसल। मैं चाहती हूँ कि तुम दोनों उनमें से एक-एक ले लो। बड़े पोते ने ओखली और छोटे पोते ने मूसल ले लिया।बुढ़िया का देहान्त हो गया। बड़े पोते का गाँव में गुज़ारा नहीं था। वह तो अपनी ओखली गाँव में छोड़ स्वयं काम की तलाश में शहर चला गया। लेकिन छोटे पोते को अपनी दादी माँ से बहुत लगाव था, अतः यह मूसल को अपनी दादी माँ की निशानी समझकर हमेशा अपने साथ रखता। गाँव-वाले उसका मज़ाक उड़ाते, किन्तु वह किसी की बात पर ध्यान न देता ।एक दिन जब वह लकड़ियाँ काटने के लिए जंगल गया, अचानक उसके सामने एक साँप आ गया। लड़के ने जैसे ही साँप को मारने के लिए मूसल उठाया, वैसे ही साँप बोला, "नहीं, नहीं, मुझे मत मारो। मैं तो इतना चाहता हूँ कि तुम मुझे अपना मूसल थोड़े समय के लिए उधार दे दो। मेरी पत्नी की अभी-अभी मृत्यु हुई है।"लड़के ने हैरान होकर पूछा, "लेकिन तुम मेरे मूसल से क्या करोगे?" साँप बोला, "क्या तुम्हें नहीं मालूम कि तुम्हारे मूसल में संजीवनी बूटी है? उससे तो मरा हुआ प्राणी भी जिन्दा हो सकता है। अगर तुम्हें मेरी बात पर विश्वास नहीं हो रहा हो तो तुम स्वयं मेरे साथ चलकर देख लो।"साँप उस लड़के को अपने साथ लेकर अपनी पत्नी के पास पहुँचा और उससे बोला, "तुम यह मूसल मेरी पत्नी के मुँह के पास रख दो।"लड़के के मूसल पास रखते ही सर्पिनी ज़िन्दा हो गई। साँप ने लड़केका आभार प्रकट किया।जब वह लड़का अपना मूसल लेकर वापस आ रहा था तो रास्ते में उसे एक कुत्ता मरा पड़ा मिला। उसने जैसे ही उसके मुँह के पास मूसल रखा, वैसे ही कुत्ता भी जीवित हो गया। उसके बाद कुत्ता लड़के के साथ ही हो लिया और उसकी सेवा करने लगा।कुछ ही दिनों में लड़के ने खूब ख्याति प्राप्त कर ली। लोग उसे बहुत बड़ा डॉक्टर मानने लगे।एक दिन राजकुमारी की मृत्यु हो गई। राजा ने भी उस लड़के को महल में बुलाया और राजकुमारी को जीवित करने की उससे प्रार्थना की।लड़के ने मूसल राजकुमारी के मुँह के पास रखा और राजकुमारी जीवित हो उठी। राजा ने प्रसन्न होकर राजकुमारी का विवाह उस लड़के के साथ कर दिया। दोनों हँसी-खुशी राजमहल में ही रहने लगे। लड़के का सेवक कुत्ता भी उनके साथ ही रहने लगा।समय बीतता जा रहा था। लड़का भी दिन-प्रतिदिन बूढ़ा होता जा रहा था। अचानक एक दिन उसे ध्यान आया कि अगर इस मूसल को प्रतिदिन सूँघा जाए तो क्या मैं जवान नहीं रह सकता? अब उसने रोज़ मूसल को सूँघना आरम्भ कर दिया। लड़का साठ साल की उम्र का होने पर भी पच्चीस साल का युवक बना रहा।लड़के की जवानी देखकर चाँद को ईर्ष्या होने लगी। चाँद को लगा कि अगर इस लड़के का यही हाल रहा तो इसकी आयु मुझसे भी लम्बी हो जाएगी। वक्त के साथ-साथ हर चीज़ ढलती है तो इसका शरीर भी ढलना चाहिए। चाँद मन-ही-मन मूसल चुराने की योजना बनाने लगा।एक दिन की बात है। चाँद, बादल और सूरज ने मिलकर योजना बनाई। बादल से कहा गया कि वह मूसलाधार बरसे और मूसल को बिलकुल भिगो दे। बादल बरसे और उन्होंने मूसल को भिगो दिया। अगले दिन तेज़ धूप निकली.। मूसल को सुखाने के लिए राजमहल की छत पर रखा गया। उस समय कुत्ता पास ही बैठा मूसल की रखवाली कर रहा था। अचानक सूरज इतनी तेज़ी से चमका कि कुत्ते की आँखें चौंधिया गई। बस उसी पल चाँद मूसल को चुराने के लिए आया। जैसे ही चाँद मूसल चुराने लगा, वैसे ही कुत्ते ने झपटकर उसे काट लिया। तभी से चाँद के चेहरे पर दाग लग गया।