बंधन प्यार का - 7 Kishanlal Sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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बंधन प्यार का - 7

तभी जहाज आने का संकेत मिला।
"निचे चलो।
और पुल पर आवागमन रुक गया।वे लोग भी पुल से उतर आए थे।और धीरे धीरे पुल के दोनों हिस्से उपर उठने लगे।पुल के दोनों तरफ का ट्रैफिक जहा का तहँ ठहर गया था।
और जहाज आने पर वे जहाज को नदी में से गुजरते हुए देखते रहे।
"चले
"हा चलो।रोजी और हेनरी चले गए थे।हिना और नरेश काफी देर तक घूमते रहे और फिर लौट गए थे।फिर अगले दो सन्डे ऐसे ही निकल गए।हिना व्यस्त रही और उसे अकेले जाने का मन नही करा।उसने छुट्टी का दिन घर पर ही बिताया था।
फिर शनिवार को उसने हिना का फोन किया था,",दो सन्डे से न तुमने फोन किया न ही घूमने चली।"
"सही कह रहे हो।लेकिन कल चलूंगी।"
"थेँक्यु।"
"कल किधर चलोगे
"तुम किंग्स्टन के बाहर आ जाना।मैं तुम्हारा वही पर ििइन्तजर करूंगा
"आ जाऊंगी
और हिना का उसे ज्यादा देर तक इंतजार नही करना पड़ा।वह आते ही बोली,"तुमने बाहर क्यो बुलाया हर बार तो हम अंदर मिलते हैं।"
"तुम्हे साईकल चलानी आती है?"
"अब साईकल बीच मे कहा से आ गयी।"
"यह बताओ आती है क्या?"
"मेरी माँ अमीर नही है।हम गरीब है।"
"अब तो अच्छा खासा कमा रही हो।"
"अब तो कमा रही हूँ।पहले तो हमारा जीवन गुरबत में ही गुजरा है,"हिना बोली,"घर से कालेज दूर था।मेरी माँ न तो मेरे लिए स्कूटी खरीद सकती थी,न ही रोज ऑटो के पैसे दे सकती थी।इसलिए जैसे तैसे मुझे साईकल दिला दी थी।"
"तुम्हारी बात से एक बात तो साफ हो गयी कि तुम साईकल चलाना जानती हो लेकिन एक बात समझ मे नही आई
"क्या?"
"तुम गरीब थी या गरीब परिवार में तुम पैदा हुई तो फिर इंग्लैंड पढ़ने के लिए कैसे आ गयी।यहाँ के लिए तो पैसे चाहिए।"
"तुम सही कह रहे हो,"हिना बोली,"मैं तालीम में होशियार थी।हर क्लास में अब्बल आती थी।कालेज में मुझे गोल्ड मेडल मिला था।मैंने लंदन में पढ़ाई के लिए वजीफे को अप्लाई किया और मुझे मिल गया।वरना मैं यहाँ आना तो दूर सपना भी नही देख सकती थी।"
"गुड--नरेश ने हिना की पीठ पर हाथ रखकर हौसला अफजाई की थी।
"चलने का इरादा कहा का है?"हिना ने पूछा था।
"आज जू चलते है।"
नरेश ने दो साईकल किराये पर ली थी।लंदन में साईकल किराये पर मिल जाती है।आप एक जगह से साईकल किराये पर लेकर उसे दूसरी जगह भी जमा कर सकते हैं।
हिना और नरेश साईकल से जू पहुचे थे।उन्होंने जू के पास साईकल जमा करा दी थी।
टिकट लेकर वे दोनों जू के अंदर आ गए थे।सन्डे था इसलिए अन्य दिनों से ज्यादा भीड़ थी।हर उम्र,हर वर्ग के औरत आदमी जू देखने के लिए आए थे।
जू बहुत बड़े क्षेत्र के अंदर फैला हुआ है।अलग अलग पिंजरे बने हुए है।विभिन्न प्रजातियों के जानवर ओर पक्षी जू के अंदर है जो अलग अलग पिंजरों के अंदर बन्द है।हर पिंजरे के बाहर एक बोर्ड लगा है।जिसमे उस पिंजरे में बन्द जानवर या पक्षी के बारे में जानकारी दी गयी है।
एक पिंजरे में लंगूर बन्द था।वह शांत बैठा हुआ था।दूसरे पिंजरे में बंदर उछल कूद कर रहे थे।हिना ने एक बंदर की तरफ देखा तो वह घुर्राकर हिना की तरफ लपका था।हिना पीछे हटकर नरेश से लिपट गयी
"डर क्यो रही हो।बंदर पिंजरे के अंदर बन्द है।