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बंजारन चुड़ैल - भाग 1

इस से अच्छा बस अड्डे पर रुक जाता कम से कम इंसान नजर नहीं आते तब भी बिजली के खंभों से रोशनी तो होती दूसरा मैंने रिक्शे वाले को गांव के पास वाले हाईवे रोड़ से किराया देकर वापस भेज कर गलती कर दी आज कि रात मामा मामी के घर ही उसे रोक लेता तो कम से कम पक्के रोड़ से गांव तक के इस कच्चे अंधेरे सुनसान डरावने रास्ते पर अकेले तो पैदल नहीं चलना पड़ता। यह सब सोचते सोचते शम्मी अपनी ननिहाल जा रहा था, ऐसी अंधेरी रात में जिसमें अच्छे खासे मजबूत दिल के पुरुष को भी भूत प्रेत चुड़ैल का डर कांपने पर विवश कर दे, ऐसे सन्नाटे रास्ते पर सर्दी के मौसम कि अमावस्या की अंधेरी रात में अपने मामा मामी के गांव जा रहा था, क्योंकि पांच दिन बाद उसकी ममेरी बहन की शादी होने वाली थी और मां कि मृत्यु के बाद शम्मी छ वर्ष के बाद अपनी ननिहाल जा रहा था, इसलिए उसकी यह सोच गलत साबित हुई कि छ वर्षों में हाईवे रोड़ से चार कोश दूर गांव तक पक्का रोड़ बन गया होगा और रोड़ के दोनों तरफ बिजली के खंभे लग गए होंगे और मिनटों में मिनी बस छोटे टेंपो रिक्शे वाले आदि गांव में पहुंचा देते होंगे।

जब वह कोलकाता की बस से रात के आठ बजे बस अड्डे पर उतरा था, तो वह यह सोच रहा था कि नौ बजे तक गांव के पक्के रोड़ पर उतर जाऊंगा अगर कोई वाहन भी नहीं मिला तो भी कोई ना कोई गांव वाला तो मिल ही जाएगा, क्योंकि शहर में तो लोग नौ दस बजे से ज्यादा वक्त तक घर से बाहर घूमते रहते हैं, गांव के देहाती इलाके में 11 बजे तक नहीं तो नौ बजे तक तो लोग अपने घरो से बाहर मिल जाते होंगे हैं।

लेकिन जब शम्मी को मामा जी का गांव और हाईवे रोड़ एक बराबर दूर दिखाई देते हैं, तो उसे अपनी मां कि यह बात याद आती है कि जब उसकी मां दस वर्ष कि थी तो उनके गांव के पास बंजारों ने कुछ महीनो के लिए डेरा डाला था, उस बंजारों के कबीले में एक जुआरी शराबी बंजारे ने रुपए और बहुत महंगी अंग्रेजी शराब कि बोतलो के लालच में अपनी नई नवेली दुल्हन को गांव के अमीर जमींदार को बेच दिया था और जब उस कस्तूरी नाम की नई नवेली दुल्हन को पता चला कि मेरे पति भूतनाथ ने मुझे गांव के जमींदार को बेच दिया है, तो उसने जमींदार की हवेली पर जाने से पहले ही अपने पति की कटार से अपनी जान ले ली थी।

आमिर जमींदार ने अपनी धन दौलत के बल पर स्वयं को और कस्तूरी बंजारन के पति भूतनाथ को कानून कि गिरफ्त से बचा लिया था, लेकिन जब कस्तूरी बंजारन कि आत्मा ने एक ईमानदार पुलिस अफसर को आधी रात को उसके घर से उठाकर अपनी मृत्यु के स्थान पर ले जाकर सारी सच्चाई बताइए, तो उस ईमानदार पुलिस वाले ने जमींदार कस्तूरी बंजारन के पति भूतनाथ को जेल कि सलाखों के पीछे पहुंचा दिया था।

जब जमींदार अपने धन के बलबूते पर वकीलों के कानूनी दावा पेंच के द्वारा अपने साथ भूतनाथ को भी एक बरस के अंदर कस्तूरी के केस से बरी करवा कर जेल से बाहर ले आया था, तो कस्तूरी बंजारन कि क्रोधित आत्मा ने गांव के कुछ लोगों के सामने जमींदार और अपने बेवफा पति भूतनाथ को जिंदा जलाकर राख कर दिया था।

और गांव के लोग बताते हैं कि उस दिन के बाद से कस्तूरी बंजारन की आत्मा पान के तालाब के पास उस स्थान पर भटकती रहती है, जहां उसने अपने पति भूतनाथ कि कटार से अपनी स्वयं जान ली थी, और कस्तूरी बंजारन हमारे गांव और आस-पास के गांव में किसी को भी अन्याया करते देखती है तो उस अन्यायी को मौत की सजा देती है। इसलिए हमारे गांव के लोगों ने और आस-पास के गांव के लोगों ने कस्तूरी बंजारन कि पूजा करना शुरू कर दिया था और जिस दिन तारीख को कस्तूरी बंजारन ने आत्महत्या कि थी, उस दिन तारीख को गांव के लोग मिलकर पान के तालाब के पास मेला लगाते हैं और कस्तूरी बंजारन को मुर्गी बकरों की बलि देते हैं।

और गांव के कुछ लोग यह भी कहते हैं कस्तूरी बंजारन किसी पवित्र आत्मा के आने का इंतजार कर रही है, उस पवित्र आत्मा से मिलते ही कस्तूरी बंजारन को मुक्ति मिल जाएगी वह चुड़ैल से इंसान योनि में चली जाएगी।

कस्तूरी बंजारन चुड़ैल के बारे में सोचते सोचते शम्मी को ऐसा महसूस होने लगता है कि कोई उसके पीछे-पीछे आ रहा है, इसलिए वह तुरंत पीछे मुड़कर देखता है तो उसके पीछे गिद्ध जितना बड़ा उल्लू उड़ने कि जगह पैदल-पैदल चलकर आ रहा था और जब वह चलते-चलते रुक रहा था, तो वह उल्लू भी उसके साथ ही रूक रहा था। उस उल्लू कि दोनों आंखें लाल-लाल ऐसे चमक रही थी जैसे की रेलवे स्टेशन का लाल रंग का खतरे का सिग्नल दूर से चमकता है।

तभी शम्मी आसमान की तरफ देखकर अपनी स्वर्गवासी मां से नाराज होकर कहता है "मां अपने मुझे कस्तूरी बंजारन का बचपन में किस्सा सुना कर अच्छा नहीं किया आपको पता होना चाहिए बचपन कि बातें दिल में घर बना लेती हैं और बुढ़ापे तक साथ चलती है, अगर मैंने कस्तूरी बंजारन चुड़ैल का किस्सा नहीं सुना होता तो मैं बिना भयभीत हुए दौड़ भाग कर अपनी ननिहाल कब का पहुंच जाता।

जब शम्मी दोबारा दो कदम चलता है तो उल्लू भी दो कदम चलता है फिर शम्मी खतरा भाप कर समझ जाता है कि कस्तूरी बंजारन के पान के तालाब वाले स्थान के पास पहुंचते ही यह उल्लू कस्तूरी बंजारन चुड़ैल के साथ मिलकर मेरे ऊपर हमला करेगा।

इसलिए वह अपने मामा के गांव का रास्ता छोड़कर उल्टा हाईवे कि तरफ तेज़ तेज़ चलने लगता है।

सर्दी के मौसम कि अंधेरी सन्नाटे की रात में झिंगुरो के सरसराने कि आवाज़ और गीदड़ों के रोने कि आवाजे ऊपर से अपने मामा के गांव का रास्ता छोड़कर उल्टा हाईवे कि तरफ जाते वक्त उल्लू भी उसके पीछे-पीछे हाईवे की तरफ चलने लगता है और शम्मी जब धीरे चलता था तो उल्लू भी धीरे चलता था और जब शम्मी दौड़ता था, तो उल्लू भी दौड़ता था शम्मी के पीछे उल्लू ऐसे लग गया था जैसे कि वह सीरियल किलर हो और उसकी जान लिए बिना उसका पीछा नहीं छोड़ेगा।

डरावने भूतिया माहौल में शम्मी आगे पीछे दाएं बाएं देखे बिना हाईवे कि तरफ आंखें मीचे भागता है और इस वजह से हाईवे का रास्ता भटक जाता है और कीकरों के पेड़ पौधों कांटेदार झाड़ियां में फसता फासता फसल काटे खेत में पहुंच जाता है।

उस खेत में फसल काटने के बाद फसल के ढूढ ही ढूढ थे, इसलिए शम्मी ढूंढो से टकराने के बाद खेत में गिर जाता है और उसके हाथ कि हथेली में कोई कांटे जैसी नुकीली लकड़ी घुस जाती है जिस वजह से उसके हाथ कि हथेली से टप टप खून टपकने लगता है।

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