एक अदद औरत - 3 Kishanlal Sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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एक अदद औरत - 3

उसके चुंगल से बच निकलने का कोई रास्ता नही था।उसका तथाकथित पति न जाने उसी की तरह कितनी औरतों को अपने जाल में फंसाकर वेश्यावर्ती का धंधा चला रहा था।चाहती तो वह थी उसके चुंगल से निकलना पर उसे कोई रास्ता,कोई उपाय कोई तरकीब नजर नही आ रही थी। पूरे दो साल तक वह वहाँ रही।रोज रात को कोई नया मर्द आता और पूरी रात उसके जिस्म से खेलता और चला जाता।
दो साल बाद एक दूसरा आदमी उसे खरीद कर महू ले गया।वह आदमी शादी शुदा था।उसके बल बच्चे थे।इसलिए वह उसे अपने घर नही ले गया।उसे दूसरी जगह अपनी रखैल बनाकर रखा।
उसके भाग्य ने थोड़ा सा पलटा खाया था।पहले रोज रात को उसे एक नए मर्द की हवस का शिकार होना पड़ता था।लेकिन अब वह एक मर्द की थी।एक मर्द की ही भूख उसे मिटानी होती थी।
और जब उस आदमी का मन कमला से भर गया तो उसने कमला को दूसरे आदमी को बेच दिया था और वह महू से बड़ोदा आ गयी थी।यह आदमी शादी में विश्वास नही करता था।यह किसी औरत को खरीद लाता।साल छ महीने तक एक औरत को रखता।फिर उसे दूसरे आदमी को बेचकर दूसरी औरत ले आता।
इस खरीद फरोख्त का ही नतीजा था कि कमला एक शहर से दूसरे शहर में बिककर जाने लगी।बिकते बिकते एक दिन वह आगरा आ गयी।यहा उसे तारा ने खरीद लिया था।
तारा की स्टेशन पर टी ट्राली थी।तारा कराची का रहनेवाला था।सन 1947 में भारत आजाद हुआ।आजादी के साथ देश का विभाजन भी हुआ था।यह बटवारा धर्म के आधार पर हुआ था।मुसलमानों के लिए पाकिस्तान बना था।देश का बटवारा होने पर पाकिस्तान में रह रहे हिन्दू ने भारत का रुख किया था।तारा को भी अपने माँ बाप और बहन के साथ पाकिस्तान से भागना पड़ा था।और इस भागने में मुस्लिम दंगाइयों के हाथों तारा के मा बाप और बहन मारे गए थे।तारा जैसे तैसे भारत आ पाया था।
तारा जगह जगह काम करके एक दिन आगरा पहुंच गया।यहा आने पर वह स्टेशन पर एक टी स्टाल पर काम करने लगा
फिर धीरे धीरे वह इस काम मे माहिर हो गया।उसकी जान पहचान भी रेलवे वालो से हो गयी और उसने अपने नाम से टी ट्राली का लाइसेंस ले लिया।
तारा इस संसार मे अकेला था।इस दुनिया मे उसका कोई नही था।
तारा के पास आने के बाद कमला के भाग्य ने फिर पलटा खाया था।
"आज से तुम मेरी पत्नी हो।"तारा ने अग्नि को साक्षी मानकर न तो कमला के साथ सात फेरे लिए थे।न ही उसे पत्नी बनाने के लिए न कोई औपचारिकता निभाई।न ही शादी का कोई नाटक रचा।बिना किसी औपचारिकता के तारा ने कमला को पत्नी का दर्जा दे दिया था।
कमला तारा की पत्नी बनने वाली पहली औरत नही थी।कमला से पहले वह तीन औरतों रमा,विभा और विमला को भी पत्नी का दर्जा दे चुका था।लेकिन रमा,विभा और विमला तीनो में से कोई भी टिककर उसके साथ नही रह सकी थी।तीनो ही उसे धोखा देकर चली गयी थी। क्यो?यह पता नही।
तारा पहले। रात व दिन स्टेशन पर ही पड़ा रहता था।खाना व सोना यही करता था।पर कमला को पत्नी बनाने के बाद इसमें बदलाव आया था