कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ॥
जो तुमने किया उसका भुगतान तुम्हें करना ही पड़ता है ।
जितना बड़ा पाप उतनी बड़ी सजा ।
सायद इंशान माफ करदे ।
पर भगवान हर गलती की सजा देता है ।
एक लड़की रात को बारा बजे पोलिस थाने आती है ।
ओर हवलदार बबलू यादव से कहेति है ।
सुनिए साहब जल्दी चलिए मेरे साथ ।
कुछ लोग मेरे घर पर आके मेरे मम्मी - पप्पा को हेरान कर रहे है ।
दरअसल वो मुजे ले जाने के लिए आए है ।
मे जैसे तैसे वहा से निकल गई ओर आपके पास आ गई ।
चलिए बबलू यादव को लगा की मौका पाकर उसके साथ रात रंगीन कर लूँगा ।
ये सोचकर वो उसके साथ गया ।
वो लड़की उसे उसी सड़क पर ले गई ।
ओर फिर उसी कमरे तक लाई जहा शीला के साथ बलात्कार हुआ था ।
अंदर जाते ही पॉलिसवाले ने कहा तुम्हारे मम्मी - पापा कहा है ।
ओर वो लोग भी कहा है ।
तब उस लड़की ने एक लोखंड का पाइप उठाकर उसके माथे पर मारा ।
फिर वही पाइप उसके मुह मे घुसेड़ दिया ।
ओर चिल्लाने लगी न्याय कहा है न्याय ।
फिर बोली मे करूंगी न्याय ।
उसने उसे इतनी बार पाइप से मारा की उसका मुह तक पहेचान पाना मुस्किल ही नहीं नामुनकीं था ।
फिर वो हस्ते हुए उसकी लास को घसीटते हुए कुवे तक ले आई ।
ओर उसकी लास को कुवे मे डाल दिया ।
दो - तीन दिन बित गए पर किसिको बबलू का पता न चला ।
फिर एक दिन वही चरवाहा वहा से गुजरा ओर उसे उसी कुवे मे बबलू की लास दिखी ।
उसने गाव वालों को बुलाया ।
ओर लास को बाहर निकाला ।
चहेरा कोई पहेचान नहीं पा रहा था ।
पर वर्दी पे लगे नाम की वजह से सबको यकीन हो गया की ।
वो बबलू ही है ।
किसी ने उसे बे रहेमी से मारकर उसकी लास को कुवे मे डाल दिया ।
इतना सुनते ही साहिल , रोमिल ओर उसके दोस्त डर के मारे धृजने लगे ।
उनके हाथ - पैर कांपने लगे ।
ओर मानो की उनके तोते ही उड गए ।
वो डरकर वहा से भाग गए ।
अगले दिन रोमिल साहिल से कहेता है ।
वो वापस आ गई है ।
वो हम सबको जिंदा नहीं छोड़ेगी ।
एक - एक कर हम सब को वो ऐसे ही मौत के घाट उतार देगी ।
तूने आज सुबह सुबह पी ली है क्या वो वापस नहीं आ सकती ।
हमने खुद उसे मारकर कुवे मे फेका था ।
भूल गया क्या ।
ये किसी ओर का काम है ।
वैसे भी बबलू ना जाने कितनी लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बना चुका है ।
उन्मे से ही किसी ने ये किया होगा ।
क्या आपको भी लगता ये बबलू के किसी दुश्मन का काम है ।
या फिर शरू हो चुका है मौत का तांडव ।
जानने के लिए पढे ।
प्यासा कुवा - भाग - ४