भाग - ४
गाड़ी धड धड दिन भर चलती रही, बुधिया का तो यह पहला सफर था तो वह निश्चिंत होकर सफर का मजा ले रही थी. लेकीन चाची बराबर से चारो तरफ नजर रखे हुये थी. क्यो कि चाची को किसी भी अनजाने लोगों पर भरोसा नही था. वह एकदम सतर्क और चौकन्नी थी. दोनो ने गाड़ी में हि खाना खाया और आपस में बाते करती रही. देखते हि देखते दिन ढलने लगा और गाड़ी भी शहर में पहुच गयी. गाड़ी शहर में पहुंच कर स्टेशन पर जाकर रुकी, सब लोग उतरने लगे तो चाची ने किसी से पुछा, “ भाई, शहर आ गया क्या?” तो वह व्यक्ती बोला, हा माई शहर आ गया. तब चाची बोली, “ चल बेटा हमे भी उतरना पडेगा.” दोनों हि जोश जोश में एक बात भूल गयी थी कि उनके पास रामदिन का पता हि नही था. वह दोनों भी स्टेशन से बाहर निकले तो हर तरफ रोशनी कि जगमगाहट थी. वह जगमगाहट देखकर बुधिया बहोत खुश हो रही थी लेकीन चाची के मन में डर बैठ गया था. चाची का तजुर्बा हमेशा साथ था और उसके कारण कि वह वहा के अनजाने लोगो कि नजरे परख रही थी.
तभी एक रिक्षा वाला आया और बोला चाची कहा जाओगी, तब चाची को याद आया और वह बोली, “ बेटी जरा रामदिन का पता निकालना.” तब बुधिया के चेहरे कि ख़ुशी एकदम से गायब हो गयी. बुधिया का चेहरा एकदम से उतर गया था. चाची ने एकपल में बुधिया का चेहरा पढ लिया और स्थिती को संभाल लिया. चाची बोली रहने दे मुझे मालूम है यही पास में है हम चले जायेंगे. ऐसा कहकर चाची ने रिक्षा वाले को रवाना किया. फिर चाची बुधिया कि तरफ मुड़ी और बोली, “ बेटा तुम्हारे पास रामदिन का कोई पता नही है, है ना !” बुधिया बोली, “ हा चाची, वह जितने भी बार आये उन्होने बडी मुश्कील से यह एक नंबर दिया और इसके सिवा कुछ और नही दिया. ” ऐसा कहकर बुधिया रोने लगी. तभी चाची बोली, “ मै भी पगली बिना इस बात कि खैर खबर लिये अनजान शहर में आ गयी. तू चूप हो जा बेटी, तेरी इसमें कोई गलती नही है. वह रामदिन कम अकल नही, बहोत शतीर और चालक है. तू या और कोई उस तक पोहोच ना पाये इसलिये उसने अपना पता हि नही छोड़ा तुम्हारे पास. एक यह नंबर दिया है जो बहोत कोशिश के बाद लगता है. अब सब कुछ समझ में आ रहा है. तू चिंता मत कर बेटी, तेरी मां तेरे साथ है तो लाख मुश्कील आ जायेंगी तो भी मै तुझे सही सलामत पहुचाउंगी. बस तू वह नंबर सम्भालकर रख.”
धीरे धीरे रात घिरती जा रही थी, और दोनों मां और बेटी वही खड़े थे स्टेशन के बाहर, फिर एक ऑटोरिक्षा वाला आया और बोला कहा जाना है जी, चाची ने देखा वह बात कम कर रहा था और बुधिया के जिस्म को ज्यादा घुर रहा था. चाची ने कहा हमको कही नही जाना है, कहकर उसे भी भगा दिया. लेकीन चाची और बुधिया शहर में नये है यह बात वह ऑटोरिक्षा वाला जान गया था. वह जाते जाते बुधिया पर अपनी नजरे गडाये हुये था. चाची को किसी बडे खतरे कि आहट सी होने लगी थी और अब बुधिया भी धीरे धीरे उस जगमगाहट के पीछे छुपे काले अंधेरे को महसूस करने लगी थी. अब वह भी सतर्क होकर चाची से बोली, “ चाची तुम डरो मत मै भी तुम्हारी हि बेटी हुं. अब हर मुश्कील का सामना हम मिलकर करेंगे.” फिर दोनों फोन करने के लिये दुकान पर गयी. चाची ने दुकानदार से रामदिन का फोन नंबर लगाकर मांगा. तो वह फोन बंद है ऐसी आवाज आ रही थी. चाची मन हि मन भगवान को याद कर रही थी. वह भगवान से मिन्नते कर रही थी, वह कह रही थी, “ हे मां जगतजननी , हम तेरे हि बच्चे है और तेरा हि रूप है. मां आज हम एक घोर संकट में फसें हुये है. कृपा करो और कोई चमत्कार करो, या आपके किसी भक्त को हमारी सहायता के लिये भेजो मां.”
चाची भगवान से विनती करने में व्यस्त थी तभी कुछ लफंगे वहा पर आ गये. उन्होने बुधिया से बत्तमिजी करना सुरु कर दिया था. वह बुधिया को उनके साथ चलने को कह रहे थे. उन में से एक ने बुधिया का हात पकड लिया और उसे अंधेरे में खींचकर लेकर जाने कि कोशिश करने लगा. बुधियाने पुरा जोर लगाकर उसे एक लात मारी और उसे गिरा दिया. वह चाची के पास जाकर खडी हो गयी. वह लफंगा फिर से उठा और इस बार वह हाथ में चाकू लेकर आया था. वह दोनो मां बेटी को चाकू दिखाकर डरा धमका रहा था. वह कह रहा था कि चूप चाप हमारे साथ चलो नही तो चाकू घोपकर तुम्हे मार डालुंगा. लेकीन दोनों मां बेटी बडी हि हिम्मत से वहा पर डटी हुई थी. के तभी चमत्कार हुआ और दूर से किसी गाडी कि लाईट दिखने लगी. वह गाडी स्टेशन कि तरफ हि आ रही थी. वह आती गाडी देखकर वह लफंगे अंधेरे में जाकर छुप गये. वह गाडी करीब आयी और उसमें से एक नौजवान उतरा. वह गाडी थी पुलिस कि और उसमें से जो उतरा वह इन्स्पेक्टर था. वह सीधे चाची के पास आया और बोला, “ क्या हुआ माई , कोन तुम्हे सता रहा था. पुलिस स्टेशन में किसीने फोन कर के खबर दि थी. इसलिये हम यहा आये है.” तब चाची ने कहा, “ साहेब वह लफंगे हात में चाकू लेकर मेरी बेटी को उस अंधेरे में लेकर जाना चाहते थे, और वह अभी भी वही छुपे है.” तभी वह इन्स्पेक्टर तुरंत दो साथियो के साथ उस अंधेरे के तरफ भागे. चाची और बुधिया दोनो भी डरे सहमे से एकदुजे को लीपटकर रोते हुये खडे थे.
शेष अगले भाग में .............