सुनसान है रास्ता... Bharat(ભારત) Molker द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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सुनसान है रास्ता...

मध्यरात्रि हो चुकी है l इस समय ऊपर आसमान में अँधेरा कुछ इस तरह मंडरा रहा है जैसे पुरे शहर पर अपना अस्तित्व स्थापित करना चाहता हो, शुक्र है स्ट्रीट लाइट जल रही है उस घने अंधरे को टक्वकर देते हुए, वर्ना आज की रात यह अंधरा किसी न किसकी को अपने भीतर समेट लेगा l शहर की एक सड़क जो सीधे एक अंडरब्रिज से मिलती है, वहां से एक बुढा आदमी चलते चला जा रहा है l पीठ से झुका हुआ, पुराना कुर्ता-पायजामा पहने, पैरों में हवाई चप्पल। बाल बिखरे हुए, दाढ़ी बढ़ी हुई। वह कपड़े की एक गठरी लेकर अंडरब्रिज के प्रवेश द्वार की ओर चले जा है। अचानक वह मुड़ता है और पीछे देखता है, एक वाहन आ रहा होता है। वह उस वाहन को रोकने के लिए हाथ हिलाता है.

एक बाइ सवार, जिसकी उम्र 30 साल के आसपास होगी, उसके पहनावे पर से मलूल पड़ता जैसे ऑफिस से छुटकर घर जा रहा है, उस बूढ़े के पास आकर अपनी बाइक रोकता है और बूढ़े से पूछता है,  “इतनी रात को कहाँ जा रहे हो?” l  “घुमने निकला हूँ l मुझे जरा उस पार पहुँचा दोगे?” बुढा उसे कहता है l बाइक सवार को लगता है बुढा आदमी है, शायद बेचारे से चला नहीं जा रहा, इसलिए वह बूढ़े से कहता है, “बैठो पहुँचा देता हूं”

बूढ़ा आदमी उसके पीछे बैठता है, बाइक सवार बाइक चालू करता है। अंडरब्रिज में प्रवेश करते ही बाइक की गति तेज हो गई। विपरीत दिशा से भी एक वाहन आ रहा है, उसकी सिर्फ रौशनी दिखाइ पड रही है, साफ साफ पता नहीं चल रहा l बाइक सवार अंडर ब्रिज के मध्य भाग पर पहुंचने वाला है जहाँ एक छोटी सुरंग जैसा भाग बनाता है। उसी समय विपरीत दिशा से जो वाहन आ रहा होता है वह भी उस छोटे सुरंग वाले हिस्से से गुज़र रहा होता है, दोनों वाहन का अंतर अब बस इतना होता है की एक दुसरे को आसानी से देख सके l उस जगह के एक बिंदु पर जब दोनों वाहनों का मिलाप होता है, तो बाइक सवार का ध्यान विपरीत दिशा से आ रहे वाहन की ओर जाता है। वह घबरा जाता है, क्योंकि वह देखता है कि वही बूढ़ा आदमी विपरीत दिशा से आ रहे वाहन जो एक बाइक है, उस पर बैठा है। और तो और उस बाइक को चला कौन रहा है? वह बाइक सवार खुद! जैसे वही किसी महाकाय दर्पण में अपना प्रतिबिम देख रहा है l सामने की तरफ से बूढ़ा आदमी बाइक सवार से आँख मिलाता हुआ अपने चहरे पर एक अजीब सी मुस्कान बिखरे है, जिसे देख बाइक सवार कांप जाता है l  दोनों वाहन एक दुसरे के करीब से गुजर गए, आखिर ये हो क्या रहा है?  बाइक सवार ने साइड ग्लास में दखा, तो बुढा उसके पीछे था ही नहीं! सहमा हुआ वह बाइक सवार फिर भी अपना सिर पीछे घुमाता है, अपनी पिछली सीट की ओर देखने की कोशिश करता है, क्या बूढ़ा आदमी सच-मुच वहां है या नहीं? अब उसे विश्वास हो जाता है की बुढा वहां बैठा नहीं है l वह उस बाइक को देखने की कोशिश करता है जो उसके पास से होकर गुजरी थी, लेकिन दूर तक कोई भी नहीं दिखता। पहले ही घबराहट से भर चूका है वह बाइक सवार, उसे प्रतीत होता है की तेज गति से चल रही बाइक का संतुलन डगमगा रहा है इधर-उधर देखने से । तो वह अपना चेहरा सामने की ओर कर लेता है और बाइक पर नियंत्रण बनाने का प्रयत्न करता है l जैसे ही वह चहरा आगे की तरफ करता है, वह बूढ़ा आदमी उसके सामने कुछ दुरी पर खड़ा है, उसकी आँखें कुछ अजीब तरह से चमक रही है और उसके शारीर के आस-पास घोर अंधरे का घेरा बना हुआ है जो धीरे धीरे फ़ैल कर बड़ा घेरा बन रहा है । इस द्रश्य को देख बाइक सवार तेज गति से चलती बाइक में ब्रेक लगता है l उने दोनों के बिच उस घने अंधरे में टायरों पर ब्रेक लगने की आवाज़, और फिर बाइक फिसल ने आवाज गूंज गई l सुरंग वाले भाग के अंदर लाइट की रोशनी लपक-झपक होने लगी और कुछ देर बाद फिर स्थिर हो गई। अंडरब्रिज के इस भाग में अब कोई भी नहीं है, कोई भी नहीं l सब सुनसान जैस कुछ देर पहले कोई वहां आया ही नहीं था l


लगभग २० मिनिट पहले, रुपेश अपने कार्यस्थल के मुख्य दरवाजे पर ताला लगा रहा है l उसके बगल में खड़ा अमन, उसका सहकर्मी, परेशान सा उसे कहता है, “जल्दी कर यार! आज ही के दिन लेट करना था!” रुपेश जाँच कर देखता है की ताला बराबर तो लगा है ना । वे दोनों लिफ्ट के अंदर दाखिल होते  हैं। अमन रुपेश को तनी हुई नजरो से देखकर बोला “पोंने बारह बजा दिए, आज के दिन लोग जितना जल्दी हो घर चले जाते है, और तुझे आज ही लेट तक काम करना था? आज...." रुपेश उसे टोकते हुए बोला, "आज काली चौदस है, पता है, शाम से सुने जा रहा हूँ तेरी इस बात को l तीन दिन छुट्टी है, आज काम निपटाना था l तू कौन सी दुनिया में जी रहा है? भुत वुत कुछ नहीं होता, अंधविश्वास है....." अमन रुपेश को सावधान करते हुए बोला "अरे चुप कर, आज के दिन इनका नाम भी नहीं लेते!" अमन की इस बात को सुन कर रुपेश नि:श्वास बाहर निकाल कर चुप रहा l इसी वक्त लिफ्ट का दरवाजा खुलता है और दोनों बाहर निकलते है l पार्किंग लोट में जब वे दोनों अपनी-अपनी मोटरसायकल के पास जा रहे होते है तब अमन रुपेश से कहता है “भाई संभल कर जाना....” अपनी बाइक पर बैठे हुए रुपेश अमन से कहता है "Ok bye, GOOD NIGHT!"  कुछ देर बाद रुपेश को अंडरब्रिज से पहले एक बुढा आदमी रोकता है l रुपेश उस बूढ़े आदमी को अपनी बाइक पर बिठा कर चल देता है, इस बात से बिलकुल अनजान की आगे उसके साथ क्या अनहोनी होने वाली है l

एक साल बाद, उसी दिन और उसी समय मध्यरात्रि को, उसी अंडरब्रिज से अमन अपनी बाइक लेकर गुज़र रहा है l जैसे ही वह सुरंग वाले हिस्से में पहुंचने वाला होता है, बाइक का इंजन अपने आप बंद हो गया, हेरानी में जब तक अमन बाइक पर ब्रेक लगाए तब तक बाइक सुरंग के बीच में आ कर रुकी। अमन बाइक को सेल स्टार्ट करने की कोशिश करता है लेकिन बाइक चालू नहीं होती l वह पेट्रोल कॉक भी चेक करता है, शायद पेट्रोल तो नहीं ख़तम हो गया? लेकिन पेट्रोल कोक तो ओंन है, रिज़र्व में भी नहीं l तो अमन बाइक को हिला कर देखता है, तो पेट्रोल की टंकी की दीवारे से पेट्रोल टकराने की आवाज इस बात की पुष्टि कर रही है की पेट्रोल भी पर्याप्त मात्र में है । तो फिर बाइक इसे केसे बंद पड गइ? अमन इस बार किक मारकर बाइक स्टार्ट करने की कोशिश करता है। जैसे ही वह इस कार्य में वयस्त है, सुरंग वाले हिस्से के अंदर लैंप की रोशनी में लपक-झपक होने लगी। उसे अपने कंधे पर थपकी महसूस हुई। उसने मुड़कर देखा, रुपेश उसके बगल में खड़ा है उसी पहनावे में जब अमन ने उसे आखरी बार देखा था । एक अजीब सी मुस्कान के साथ रुपेश कहता हैं, मुझे उस पार पहोचा देगा?