प्रोफेसर!
कैसे हैं? कल आपकी आवाज़ ने क्या ही कहर ढा दिया। किस मुँह से भगवान से कहूं की ये ज़ुखाम वाली आवाज़ बनाये रक्खे आपकी!!
Happy New Year Professor! ❤️
अभी रास्ते में हूं, कहीं जा रही। ये जो रास्ता आज तय करने निकली हूं, इसकी मंज़िल मेरे हमसफर की तलाश पे ख़तम होगा। जी हाँ, नये साल के पहले दिन ही ये सब!!!
वो क्या है ना, मम्मी- पापा अब और इंतज़ार नहीं करना चाहते। और अब मैं उन्हें अपने कारण और परेशान नहीं करना चाहती। तो अंत में यही एक मात्र उपाय बचा था।
आपको भी लगता होगा ना, कुछ ही दिनों में आपसे कुछ ज़्यादा नहीं खुल गयी मैं!! मुँह ज़ोरी भी करने लगी हूं, है ना!! पहले ही कहा था शब्दों का रिश्ता जोड़ रही...बातों की शेर हूं मैं अब !! शब्दों का रिश्ता कितना खूबसूरत है और हो सकता है, ये आज समझ आ रहा।
किसी रिश्ते के मापदंड में बंध कर उसे निभाना कितना बोझिल है, बोझिल इसलिए क्यूंकि कोई भी रिश्ता हो, एक समय के बाद दो लोगों के बीच केवल एक के ऊपर उसकी ज़िम्मेदारी आ पड़ती है। ऐसा इसलिए कह पा रही क्यूंकि समाज ने कुछ दायरे बाँध दिए हैं जिनके मुताबिक लाइन से थोड़ा भी आर पार होने पर वो रिश्ते अमर्यादित कहलाये जाने लगते हैं।
ज्ञान बहुत हो गया ना, क्या करूँ मेरा मन दौड़ने लगता है.... खैर,
"ये इतना खूबसूरत एहसास है... एक ओर आपसे मैसेज में बातें करना और दूसरी ओर आपसे यहाँ अकेले बातें करना!! अपना अलग सुकून है इसका प्रोफेसर। "
दिन बीत गया और जिस काम से गयी थी वो नहीं हुआ। इतना आसान होता अगर हमसफर मिलना तो शादी.कॉम और जीवनसाथी.कॉम वालों की रोज़ी रोटी कैसे चलती!!
गुड मॉर्निंग प्रोफेसर! कल की लिखी चिट्ठी आज भेज रही, फिलहाल हॉस्पिटल में बैठी हूं, इंतज़ार कर रही अपनी रिपोर्ट्स के आने की। झूठ तो बोल दिया है आपसे वहां, यहाँ सच बता दे रही। न्यूरोसर्जन के पास आयी हूं। हाँ शुगर मना कर दिया है और एक बहुत बड़ा काम बोला है डॉक्टर ने, 8 घंटे की पूरी नींद! अब डॉक्टर को क्या कहूं? मेरे शरीर में खून की जगह चॉकलेट सिरप दौड़ता है, और 8 घंटे की नींद तो ज़माना हो गया!
कल की गुस्ताखी के लिए माफ़ी तो मांगी ही नहीं, बेवजह आपके सामने उस लंगूर का मज़ाक उड़ाए पड़ी थी, बड़ी स्ट्रांग बनने की नाकाम सी कोशिश थी वो मेरी। उसने तो मेरे सेल्फ कॉन्फिडेंस की देखते ही धज्जियाँ उड़ा दी थीं। मगर खुद को बिखरने नहीं दिया मैंने वहां। हाँ, मुँह तोड़ जवाब तो नहीं दिए लेकिन अपनी अस्मिता को तार तार नहीं करने दिया उसे। आइना दिखाया लेकिन नपे तुले रूप में। ये सब भूल जाना चाहिए, आप भी यही सलाह देते हैं ना, शायद ऊपर वाले की मर्ज़ी भी यही है। लेकिन एक बात कहनी है आपसे,
" खुद को भूलना मंज़ूर है प्रोफेसर, आपको नहीं! अब ये नहीं हो पायेगा मुझसे! हाँ, हो गयी हूं आप पर भावनात्मक रूप से निर्भर, और सिर्फ आपकी सिखाई यही एक बात मैं नहीं मानना चाहती। अपने मन के सुकून के लिए, जो मुझे आपके साथ होके मिलता है। "
Happy New Year Professor❤️
आपकी डांट के इंतज़ार में...
आपकी
Dr T
01/01/2023