पौराणिक कथाये - 18 - देवी के नौ अवतारों से मिलने वाली शिक्षा Devaki Ďěvjěěţ Singh द्वारा पौराणिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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पौराणिक कथाये - 18 - देवी के नौ अवतारों से मिलने वाली शिक्षा

माँ दुर्गा का पावन पर्व नवरात्रि सकारात्मकता का त्योहार है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मनाता है। इस अवसर पर चलिए जानते हैं माता के नव अवतार और माता के नौ रूप हमें क्या शिक्षा देते हैं -


1. मां शैलपुत्री
मां दुर्गा का पहला रूप है शैलपुत्री का। शैल का अर्थ होता है शिखर। माता शैलपुत्री को शिखर यानि हिमालय पर्वत की बेटी के रूप में जाना जाता है। इन्हें पार्वती और हेमवती के नाम से भी जाना जाता है। इनका वाहन बैल (वृषभ) होने के नाते इन्हें वृषभारुणा के नाम से भी जाना जाता है। माता के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल विराजमान है।

इनका पूजन मंत्र है-
वन्दे वांछितलाभाय, चंद्रार्धकृतशेखराम।वृषारूढ़ां शूलधरां, शैलपुत्रीं यशस्विनीम।।

👉👉शिक्षा
प्रकृति की देवी शैलपुत्री जीवन में उद्देश्य की खोज में मार्गदर्शन करती हैं। इनसे हमें सीख मिलती है कि हर दशा में आत्मनिरीक्षण और मूल्यांकन आवश्यक है। चुनौतीपूर्ण समय में किसी भी निर्णय से पहले स्थिति को स्वीकारें, आत्म को समझें, मन-वचन-कर्मों में संयोजन करें।


2. मां ब्रह्मचारिणी
यह मां दुर्गा का दूसरा रूप है। यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानि तप का आचरण करने वाली बताया गया है। मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में कमंडल है। भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने वर्षों तक कठिन तपस्या की और अंत में उनकी तपस्या सफल हुई। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से सिद्धी की प्राप्ति होती है। तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि के लिए देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है।

इनका पूजन मंत्र है-
दधाना करपाद्माभ्याम, अक्षमालाकमण्डलु।देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

👉👉शिक्षा
देवी ब्रह्मचारिणी हमें सिखाती हैं कि हर कार्य की सफलता दृढ़ संकल्प और तपस्या पर ही निर्भर है। हो सकता है समय-समय पर अस्वीकृति का सामना करना पड़े, किन्तु निरंतर प्रयास और दृढ़ता से अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहना चाहिए।



3. मां चंद्रघंटा
यह मां दुर्गा का तीसरा रूप है। माथे पर अर्धचंद्राकार का घंटा विराजमान होने की वजह से इन्हें चंद्रघंटा नाम से जाना जाता है। दस हाथों के साथ मां अलग-अलग अस्त्र-शस्त्र से सुशोभित हैं। इनकी पूजा करने से वीरता, निर्भयता के साथ ही सौम्यता का प्रसार होता है। इनका वाहन शेर है। राक्षस महिषासुर का वध देवी चंद्रघंटा ने ही किया था।

दुष्टों का नाश करने वाली देवी की अराधना के लिए मंत्र है-
पिंडजप्रवरारूढ़ा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।प्रसादं तनुते मह्मं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।

👉👉शिक्षा
देवी चंद्रघंटा सतर्कता व ध्यान केंद्रित करने की क्षमता के लिए पहचानी जाती हैं। हमें सीख देती हैं कि परिवर्तनों के प्रति हमेशा सतर्क रहने की आवश्यकता है। सफलता के लिए परिवर्तनशील स्थितियों में उचित निर्णय सुनिश्चित करें।


4. मां कूष्मांडा
यह मां दुर्गा का चौथा रूप है। कूष्मांडा शब्द दो शब्दों यानि कुसुम मतलब फूलों के समान हंसी और आण्ड का अर्थ है ब्रह्मांड। अर्थात वो देवी जिन्होनें अपनी फूलों सी मंद मुस्कान से पूरे ब्रह्मांड को अपने गर्भ में उत्पन्न किया है। देवी कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं। साथ ही हाथ में अमृत कलश भी है। मां की पूजा करने से यश, आयु और आरोग्य की वृद्धि होती है।

मां कूष्मांडा की पूजा करने के लिए मंत्र है-
सुरासंपूर्णकलशं, रुधिराप्लुतमेव च।दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्मांडा शुभदास्तु मे।

👉👉शिक्षा
देवी कूष्मांडा समृद्धि व अच्छा स्वास्थ्य लाती हैं। सभी प्रेम और अच्छाई से प्रेरित होते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि हम न सिर्फ दूसरों के विचारों का सम्मान करें, बल्कि स्वयं से भी प्यार करें। इसी से हम औरों के भावों को समझने वाले बन सकेंगे।



5. मां स्कंद माता
यह मां दुर्गा का पांचवा रूप है। भगवान शिव और माता पार्वती के छह मुखों वाले पुत्र स्कंद की मां होने के कारण इनका नाम स्कंदमाता पड़ा। इनकी चार भुजाएं हैं जिनमें एक में इन्होनें एक हाश में स्कंद को, दूसरे में कमल का फूल पकड़ा है। ये कलम के आसन पर विराजमान हैं। इसलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। इनकी पूजा से मोक्ष का मार्ग आसान होता है।

मां स्कंदमाता की अराधना का मंत्र है-
सिंहासनगता नित्यं, पद्माश्रितकरद्वया।शुभदास्तु सदा देवी, स्कंदमाता यशस्विनी।

👉👉शिक्षा
देवी स्कंदमाता के अनुसार करुणा और अनुकम्पा जीवन में महत्त्वपूर्ण हैं। प्रबंधक के तौर पर करुणा का भाव न सिर्फ अधीनस्थों को प्रेरित कर सकता है, अपितु ऐसी संस्कृति का निर्माण करने में मदद कर सकता है, जो संगठन में समग्र प्रगति में सहायक हो।




6. मां कात्यायनी माता
दुर्गा का छठा रूप है मां कात्यायनी का। कात्य गोत्र के महर्षि कात्यायन के यहां पुत्री रूप में जन्म लेने से इनका नाम कात्यायनी पड़ा। स्वर्ण से चमकीले रंग वाली देवी की चार भुजाएं हैं। इनका वाहन सिंह है। इनकी पूजा करने से चारों पुरुषार्थों यानि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मां की पूजा के लिए मंत्र है-
चंद्रहासोज्जवलकरा, शार्दूलवरवाहना।कात्यायनी शुभं दद्यात्, देवी दानवघातिनी।।

👉👉शिक्षा
योद्धा देवी कात्यायनी सभी बाधाओं से लड़ने की आत्मशक्ति को प्रतिबिंबित करती हैं। जीवन में हमें कई उतार-चढ़ाव देखने पड़ते हैं। इनका सामना करने और मुश्किलों को पार करने के लिए आत्मविश्वास व निडरता आवश्यक है।



7. मां कालरात्रि
यहमां दुर्गा का सातवां रूप है। मां कालरात्रि असुरों का नाश करने वाली हैं। इनके तीन नेत्र और चार भुजाएं हैं। इनका वाहन गधा है।

इनका पूजन मंत्र है-
एकवेणी जपाकर्ण, पूरा नग्ना खरास्थिता।लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी, तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।वामपादोल्लसल्लोह, लताकंटकभूषणा।वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा, कालरात्रिभयंकरी।।

👉👉शिक्षा
देवी कालरात्रि अंधकार का नाश करने वाली मां कालरात्रि अस्थिरता में स्थिर रहने की क्षमता दर्शाती हैं। मन-मस्तिष्क तभी स्थिर रहेगा, जब हम शिक्षित होंगे। अज्ञानता, अनभिज्ञता और अस्थिरता के अंधकार को ज्ञान का प्रकाश परास्त कर सकता है।



8. मां महागौरी
यह मां दुर्गा का आठवां रूप है। इनके वस्त्र, आभूषण और वर्ण सभी सफेद रंग के हैं। इनका वाहन वृषभ यानि बैल है। मां की चार भुजाएं हैं।

इनके पूजन का मंत्र है-
श्र्वेते वृषे समारूढा, श्र्वेतांबरधरा शुचि:।महागौरी शुभं दद्यात्, महादेवप्रमोददाद।

👉👉शिक्षा
सकारात्मकता के सौंदर्य का प्रतीक देवी महागौरी हमें आशावादी विचार, सही और उचित निर्णय और सकारात्मकता को आत्मसात करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। विचार ही हमारे आभामंडल में प्रतिबिंबित होते हैं और वैसा ही वातावरण हमारे आसपास निर्मित होता है।



9.मां सिद्धिदात्री
यह मां दुर्गा का नवां रूप है। यह सिद्धियों को देने वाली देवी हैं। कमल पिष्प पर विराजमान देवी सिद्धिदात्री की चार भुजाएं हैं। शास्त्रों में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व नाम की आठ सिद्धियां बताई गई हें। इन सभी सिद्धियों को मां सिद्धिदात्री की पूजा से प्राप्त किया जा सकता है।

इनका पूजन मंत्र है-
सिद्धंगधर्वयक्षाद्यै:, असुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

👉👉शिक्षा
भक्तों को ’सिद्धियां’ प्रदान करने वाली देवी सिद्धिदात्री हमें सिखाती है कि निरंतर प्रयास, लगन और प्रतिबद्धता से कोई भी सिद्धि प्राप्त की जा सकती है। हम स्वयं में हर समय सुधार करते रहें, अपने कौशल की पहचान कर उन्हें विकसित करें व उनका उपयोग सही दिशा में करें।

आप सभी को नवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनायें