The Author Swati फॉलो Current Read संघर्ष अपनो से By Swati हिंदी लघुकथा Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books इश्क दा मारा - 38 रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है... डेविल सीईओ की मोहब्बत - भाग 79 अब आगे,और इसलिए ही अब अर्जुन अपने कमरे के बाथरूम के दरवाजे क... उजाले की ओर –संस्मरण मनुष्य का स्वभाव है कि वह सोचता बहुत है। सोचना गलत नहीं है ल... You Are My Choice - 40 आकाश श्रेया के बेड के पास एक डेस्क पे बैठा। "यू शुड रेस्ट। ह... True Love Hello everyone this is a short story so, please give me rati... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी शेयर करे संघर्ष अपनो से (3) 1.2k 3.3k नई नई शादी और सपनो की उड़ान दोनो को एक साथ लेकर चलना थोड़ा मुस्किल था पर निभाना तो दोनो को था , शादी मेरी मजबूरी थी और उड़ान भरना मेरी जिद , मां बाप की इकलौती बेटी थी , कहीं लोग ये ना ना कहने लग जाए की बेटी को पढ़ने बाहर क्या भेजा ये तो अपनी मनमानी ही करने लगी ।मैने अपनी पढ़ाई तो पूरी दिल्ली यूनिवर्सिटी से किया था पर न जाने क्यों थोड़ा ज्यादा पढ़ने लग जाओ तो रिस्तेदारो को क्या दिक्कत होती है जो रिश्ता भेजने लग जाते है , अब रिश्तेदार है तो माना भी कोई कैसे करें।मुझे अपनी पढ़ाई पूरी करके घर आनी थी । सो मैं घर आ गई , घर आकर पता चला की मेरी तो शादी होने वाली है। मां पापा से कोई सवाल ही भी नही कर सकती थी यहां तक पढ़ने लिखने में कोई कमी नहीं किया था उन्होंने मेरे से कुछ भी पूछे बिना मेरी शादी कर दी मेने भी माना नही कर पाई क्योंकि मां पापा का फैसला ही मेरे लिए सर्वोपरी है ।मैने भी शादी कर लिया । पर शायद मेरी किस्मत में कुछ और ही लिखा था मेरी शादी ज्यादा दिन तक नही चल पाई 12 महीने ही होने वाले थे उनका एक्सीडेंट हो गया और वो इस दुनिया में नही रहे । मेरे लिए ये सब कुछ जैसे हवा जैसे था मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी ये क्या हो गया । मैं मां बनने वाली थी कुछ दिन तक तो ससुराल वालो ने मुझे साथ रखा और मुझे खिलाया पिलाया । पर वो भी शायद थोड़े दिन के लिए ही था ।उन्होंने मुझे घर से निकल दिया । मैं रोते बिलखते अपने मां के घर आ गई । उन्हे सबकुछ बताया । पापा भी बूढ़े हो चुके थे एक घर के किराया से हमारा घर चल रहा था लेकिन मुझे अपने सपने भी प्यार करने थे । मैने बीएससी पूरा करके पीएचडी के लिए अप्लाई कर दिया ।मैं मुंबई आ गई वहां कुछ छोटा मोटा काम करके अपना पेट पालती और जब भी टाइम मिलता मैं पढ़ाई करती ।कुछ ही महीनों में मेरे बेटे ने इस दुनिया में अपनी पहली झलक दिखाया मुझे उसे देख कर बस ये हिम्मत मिल रही थी की नही मुझे रुकना नही है मुझे आगे बढ़ना हैं । उसको लेकर हि काम पे जाती और जो भी पैसे आते उससे उसके लिए दूध और अपने लिए कुछ खाने के लिए लाती ।ऐसे ही जिंदगी चल रही थी मेरा बेटा 6 साल का हो गया था और मैने भी धीरे धीरे अपनी पीएचडी की पढ़ाई पूरी करी मुझे इस पीरियड्स में बहुत मुश्किल आई लेकिन मैने कभी हार नही माना मैने उसे ही अपनी हिम्मत और अपनी ढाल बना कर आगे बढ़ते गई ।मैने आईआईटी बॉम्बे से पीएचडी पूरी करके आज अच्छे पैसे कमा रही हूं और अपने बच्चे को बॉम्बे के स्कूल में ह पढ़ा रही हूं । मैं आईआईटी बॉम्बे को भी धन्यवाद कहना चाहती हू क्योंकि इनलोगो ने भी हमारा बहुत साथ दिया हैं ।हिम्मत न हारने की आदत ही आपको आपके मुकाम तक ले कर जाती है बस आप अपनी हिम्मत को पहचानिए और अपने लक्ष तक जाइए ।स्वाती Download Our App