Seva aur Sahishnuta ke upasak Sant Tukaram - 1 books and stories free download online pdf in Hindi सेवा और सहिष्णुता के उपासक संत तुकाराम - 1 (2) 1.3k 3.1k 1 सेवा और सहिष्णुता के उपासक संत तुकारामसंसार में सभी मनुष्यों का लक्ष्य, धन, संतान और यश बताया गया है। इन्हीं को विद्वानों ने वित्तैषणा, पुत्रेषणा और लोकैषणा के नाम से पुकारा है। इन तीनों से विरक्त व्यक्ति ढूँढ़ने से भी कहीं नहीं मिल सकता। संभव है कि किसी मनुष्य को धन की लालसा कम हो, पर उसे भी परिवार और नामवरी की प्रबल आकांक्षा हो सकती है। इसी प्रकार अन्य व्यक्ति ऐसे भी मिल सकते हैं कि जिनको धन के मुकाबले में संतान अथवा यश की अधिक चिंता न हो। पर इन तीनों इच्छाओं से मुक्त हो जाने वाला व्यक्ति किसी देश अथवा काल में बहुत ही कम मिल सकता है।इसका आशय यह नहीं कि इस प्रकार की आकांक्षा रखने वाला मनुष्य निश्चय ही दूषित समझा जाए। संसार में रहते हुए इन वस्तुओं की आवश्यकता मनुष्य को पड़ा ही करती है और यदि इस आवश्यकता को न्यायानुकूल मार्ग से पूरा किया जाय तो उसमें बुराई अथवा निंदा की कोई बात नहीं है। पर देखने में यह आता है कि बहुसंख्यक लोग इनके लिए गलत उपायों का अवलंबन करते हैं, इनकी लालसा में पड़कर अन्य उच्च श्रेणी के लक्ष्यों को त्याग देते हैं, इसीलिए इन तीनों एषणाओं की ज्ञानी व्यक्तियों ने निंदा की है।दूसरी बात यह भी है कि चाहे ये तीनों कामनायें सामान्य दृष्टि से बुरी या हानिकारक न हों, पर जब मनुष्य का ध्यान अधिकांश में इनकी पूर्ति में लग जाता है, तो वह परोपकार, सेवा आदि के अधिक श्रेष्ठ कार्यों की तरफ से प्रायः उदासीन हो जाता है। ऐसी दशा में यदि कोई व्यक्ति सांसारिक एषणाओं की तरफ से चित्त-वृत्तियों को बिल्कुल हटा ले और उनकी अपूर्ति में भी आनंद का अनुभव करे, तो उसको अवश्य ही सच्चा संत कहा जायेगा। तुकाराम इसी श्रेणी के मनुष्य थे। गृहस्थ जीवन के आरंभ में ही जब वे आकस्मिक विपत्तियों के फलस्वरूप सब सांसारिक वस्तुओं से वंचित हो गये, उन्होंने भगवान् को धन्यवाद देते हुए कहा “भगवान् ! अच्छा ही हुआ जो मेरा दिवाला निकल गया। अकाल पड़ा यह भी अच्छा ही हुआ, क्योंकि कष्ट पड़ने से ही तेरा ध्यान आया और सांसारिक लालसाओं से पीछा छूटा। स्त्री और पुत्र भोजन के अभाव से मर गये और मैं भी हर तरह से दुर्दशा भोग रहा हूँ, यह तो ठीक ही है। संसार में अपमानित हुआ, यह भी अच्छा ही हुआ। गाय-बैल, द्रव्य सब चले गये, यह भी अच्छा ही है। लोक-लाज भी जाती रही, यह भी ठीक है, क्योंकि इन्हीं बातों से अंत में तुम्हारी शरण में आया।”सच तो यह है कि भगवान् अपने सेवक को सांसारिक सफलता मिलने ही नहीं देते, वे उसे सब जंजालों से मुक्त रखते हैं। अगर वे उसको वैभवशाली बना दें तो उसमें अभिमान उत्पन्न हो जाय। अगर वे उसे गुणवती स्त्री दें तो मन में उसी की इच्छा लगी रहे। इसलिए वे उसके पीछे कर्कशा स्त्री लगा देते हैं। तुकाराम कहते हैं कि इन सबको मैंने प्रत्यक्ष देख लिया, अब मैं संसारी लोगों से क्या कहूँ ?* * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * › अगला प्रकरणसेवा और सहिष्णुता के उपासक संत तुकाराम - 2 Download Our App अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Charu Mittal फॉलो उपन्यास Charu Mittal द्वारा हिंदी आध्यात्मिक कथा कुल प्रकरण : 11 शेयर करे आपको पसंद आएंगी सेवा और सहिष्णुता के उपासक संत तुकाराम - 2 द्वारा Charu Mittal सेवा और सहिष्णुता के उपासक संत तुकाराम - 3 द्वारा Charu Mittal सेवा और सहिष्णुता के उपासक संत तुकाराम - 4 द्वारा Charu Mittal सेवा और सहिष्णुता के उपासक संत तुकाराम - 5 द्वारा Charu Mittal सेवा और सहिष्णुता के उपासक संत तुकाराम - 6 द्वारा Charu Mittal सेवा और सहिष्णुता के उपासक संत तुकाराम - 7 द्वारा Charu Mittal सेवा और सहिष्णुता के उपासक संत तुकाराम - 8 द्वारा Charu Mittal सेवा और सहिष्णुता के उपासक संत तुकाराम - 9 द्वारा Charu Mittal सेवा और सहिष्णुता के उपासक संत तुकाराम - 10 द्वारा Charu Mittal सेवा और सहिष्णुता के उपासक संत तुकाराम - 11 द्वारा Charu Mittal NEW REALESED Biography यादों की अशर्फियाँ - 2. डेमो लेक्चर्स Urvi Vaghela Fiction Stories फादर्स डे - 61 Praful Shah Love Stories द मिस्ड कॉल - 10 vinayak sharma Fiction Stories फागुन के मौसम - भाग 3 शिखा श्रीवास्तव Moral Stories सर्कस - 11 Madhavi Marathe Love Stories Hot romance - Part 16 Mini Fiction Stories प्यार हुआ चुपके से - भाग 11 Kavita Verma Horror Stories द्रोहकाल जाग उठा शैतान - 40 Jaydeep Jhomte Anything आईना जज्बातों वाला दिनेश कुमार कीर Thriller द सिक्स्थ सेंस... - 2 Ritesh M Bhatnagar