पूरी दुनिया चहेरो से ढकी हुई है |
पर किसी का असली चहेरा सामने नहीं आता |
लोग अपने आप को ही तरह - तरह के चहेरो के पीछे छुपा देते है |
पता नहीं चलता की किसी का असली रूप क्या है |
जो शख्स कल - तक हमारे साथ था |
वो एक ही पल मे अपना नकाब हटा कर अपना असली रूप दिखा देता है |
फिर हमे पता चलता है की |
कल - तक हम जिसे अपना समजते थे |
वो दर असल हमारा था ही नहीं |
वो चहेरा तो सिर्फ दिखावे का था |
कई बार ऐसा भी होता है |
जिसे हम अपना दुश्मन समजते रहते है |
वो दर असल हमारा अच्छा चाहने वाला निकलता है |
पर अपनी बड़ाई मे हम उन्हे पहेचान नहीं शकते |
ना जाने कॉनसा शख्स कॉनसा चहेरा लेकर घूमता है |
ये तो तब पता चलता है |
जब उनसे बात होती है |
कोई आदमी मुशकुरा कर सबसे बात कर रहा होता है |
हमे तो यही लगता है की इससे अच्छा आदमी हो ही नहीं शकता |
पर वही इंशान सबसे बुरा निकलता है |
वो अच्छे वाले चहेरे के पीछे अपनी सारी बुरी बाते छुपा देता है |
हम उसे कभी नहीं पकड़ पाते है की वो बुरा आदमी है |
ये तो तब पता चलता है |
या तो हम उसे हूबहू अपने असली चहेरे मे देख ले |
या फिर किसी ओर से इसके बारे मे सुन ले जिसने इसको बुरा काम करते देखा है |
कभी ऐसा भी होता है की |
किसी इंशान को देखकर ऐसा लगता है की ये तो बहुत स्वस्थ ईशान है |
इसे नाखून मे भी रोग नहीं है |
फिर अगले दिन हम जब उसकी मृत्यु की खबर सुनते है |
तब अहेशास होता है की उसे लाइलाज बीमारी थी |
पर उसने अपने चहेरे को स्वस्थ दिखाके के अपनी बीमारी को दुनिया के सामने ढक दिया |
कभी ऐसा भी होता है की जो इंशान सबसे हसकर बात करता है |
दर असल उसके जीवन मे बहुत बड़ी परेशनीया होती है |
पर उसके चहेरे से पता नहीं लगता |
पता तब चलता जब हम उसके बारे मे किसी ओर से सुनते है |
या फिर वो खुद कहेता है |
कभी - कभी तो हमे जिंदगी भर पता नहीं चलता की |
किस का असली चहेरा क्या है |
ये तो जब मरने के बाद राज खुलते है तब पता चलता है |
की |
कोन क्या चीज है |
जिसे हम गरीब समजते रहते है |
वो तो बड़ा अमीर आदमी निकलता है |
ओर जिसे अमीर समजते है |
वो तो निर्धन निकलता है |
जिसे दुखी समजते है |
वो सबसे सुखी निकलता है |
जिसे अनपढ़ समजते है |
वो तो बहुत पढ़ा लिखा निकलता है |
ओर जिसे पढ़ा लिखा समजते है |
वो अंगूठा छाप निकलता है |
इस दुनिया किसी का हम असली चहेरा नहीं पहेचान पाते |
पूरी दुनिया चहेरे के पीछे ढकी हुई है