चहेरे Abhishek Joshi द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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चहेरे

पूरी  दुनिया  चहेरो  से  ढकी  हुई  है |

पर  किसी  का  असली  चहेरा  सामने  नहीं  आता  |

 

लोग  अपने  आप  को  ही  तरह - तरह  के  चहेरो  के  पीछे  छुपा  देते  है |

पता  नहीं  चलता  की  किसी  का  असली  रूप  क्या  है |

 

जो  शख्स  कल - तक  हमारे  साथ  था  |

वो  एक  ही  पल  मे  अपना  नकाब  हटा  कर  अपना  असली  रूप  दिखा  देता  है |

फिर  हमे  पता  चलता  है  की  |

कल - तक  हम  जिसे  अपना  समजते  थे  |

वो  दर असल  हमारा  था  ही  नहीं |

वो  चहेरा  तो  सिर्फ  दिखावे  का  था  |

 

कई  बार  ऐसा  भी  होता  है  |

जिसे  हम  अपना  दुश्मन  समजते  रहते  है |

वो  दर असल  हमारा  अच्छा  चाहने  वाला  निकलता  है |

पर  अपनी  बड़ाई  मे  हम  उन्हे  पहेचान  नहीं  शकते |

 

ना  जाने  कॉनसा  शख्स  कॉनसा  चहेरा  लेकर  घूमता  है |

ये  तो  तब  पता  चलता  है  |

जब  उनसे  बात  होती  है  |

 

कोई  आदमी  मुशकुरा  कर  सबसे  बात  कर  रहा  होता  है  |

हमे  तो  यही  लगता  है  की  इससे  अच्छा  आदमी  हो  ही  नहीं  शकता |

पर  वही  इंशान  सबसे  बुरा  निकलता है |

 

वो  अच्छे वाले  चहेरे  के  पीछे  अपनी  सारी  बुरी  बाते  छुपा  देता  है |

हम  उसे  कभी  नहीं  पकड़  पाते  है  की  वो  बुरा  आदमी  है |

ये  तो  तब  पता  चलता  है  |

या तो  हम  उसे  हूबहू  अपने  असली  चहेरे  मे  देख ले |

या  फिर  किसी  ओर  से  इसके  बारे  मे  सुन ले  जिसने  इसको  बुरा  काम करते  देखा है  |

 

कभी  ऐसा  भी  होता  है  की  |

किसी  इंशान  को  देखकर  ऐसा  लगता  है  की  ये  तो  बहुत  स्वस्थ  ईशान  है |

इसे  नाखून  मे  भी  रोग  नहीं  है  |

फिर  अगले  दिन  हम  जब  उसकी  मृत्यु  की  खबर  सुनते  है  |

तब  अहेशास  होता है  की  उसे  लाइलाज  बीमारी  थी  |

पर  उसने  अपने  चहेरे  को  स्वस्थ  दिखाके  के  अपनी  बीमारी  को  दुनिया  के  सामने  ढक  दिया  |

 

कभी  ऐसा  भी  होता  है  की  जो  इंशान  सबसे  हसकर  बात  करता  है |

दर असल  उसके  जीवन  मे  बहुत  बड़ी  परेशनीया  होती  है |

पर  उसके  चहेरे  से  पता  नहीं  लगता |

पता  तब  चलता  जब  हम  उसके  बारे  मे  किसी  ओर  से  सुनते  है |

या  फिर  वो  खुद  कहेता  है |

 

कभी  - कभी  तो  हमे  जिंदगी  भर  पता  नहीं  चलता  की |

किस का  असली  चहेरा  क्या  है  |

ये  तो  जब  मरने  के  बाद  राज  खुलते  है  तब  पता  चलता  है  |

की |

 

कोन  क्या  चीज  है |

जिसे  हम  गरीब  समजते  रहते  है |

वो  तो  बड़ा  अमीर  आदमी  निकलता  है |

 

ओर  जिसे  अमीर  समजते  है  |

वो  तो  निर्धन  निकलता  है |

 

जिसे  दुखी  समजते  है  |

वो  सबसे  सुखी  निकलता  है  |

 

जिसे  अनपढ़  समजते  है  |

वो  तो  बहुत  पढ़ा  लिखा  निकलता  है  |

 

ओर  जिसे  पढ़ा लिखा  समजते  है |

वो  अंगूठा छाप  निकलता  है |

 

इस  दुनिया  किसी  का  हम  असली  चहेरा  नहीं पहेचान  पाते  |

पूरी  दुनिया  चहेरे  के  पीछे  ढकी  हुई  है