जिंदगी के रंग हजार - 2 Kishanlal Sharma द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

जिंदगी के रंग हजार - 2

नाइफ्री की रेवड़ी और विकास
कर्नाटक के कांग्रेसी विधायको में विकास निधि को लेकर असन्तोष है।चुनाव के समय पार्टी द्वारा किये गए पांच फ्री के वादों को पूरा करने की वजह से सरकार के पास धन की कमी के रहते सरकार विकास निधि का पैसा नही दे पाएगी।और पैसा नही मिलेगा तो विधायक अपने क्षेत्र की जनता से किये वादे कैसे पूरा करेंगे।वह अपने क्षेत्र में विकास कार्य नही करा पाएंगे और जब वे काम नही करा पाएंगे तो जनता नाराज होगी।
फ्री की रेवड़ी के कल्चर की शुरुआत केजरीवाल ने की ऐसा माना जाता है।उसने दिल्ली में तीन सौ यूनिट बिजली फ्री,पानी फ्री और न जने क्या क्या फ्री देने का वादा किया।
दिल्ली में आप चुनाव जीत गयी ।शायद फ्री के ही वादे पर लोगो ने विश्वास नही किया।उन्होंने इस बात पर विश्वास किया कि वे राजनीति का कल्चर बदलने के लिए आये थे।उनका वादा थ भरस्टाचार मुक्त शासन और बंगला,गाड़ी न लेने और आम आदमी की तरह रहने का वादा।पर वादे तो वादे है उनका क्या।
भरस्टाचार का यह आलम है कि रोज नित्य नए खुलासे हो रहे है।सिसोदिया और जैन जेल में है।विकास के लिए उन्हें फंड देना था।पर नही दिया तब सुप्रीम कोर्ट ने उनके प्रचार का खर्च मंगा तो सारी पोल खुल गयी।
कहते है,मीडिया वाले कि पंजाब में फ्री के वादे करके आप चुनाव जीत गयी।अगर ऐसा होता तो गुजरात,कर्नाटक ऑर हिमाचल में भी जीत जाना चाहिए था।
चुनाव जीतने के और बहुत से कारण होते है।उनमें से एक है सरकार और विधयकों के प्रति जनता की नाराजी।
फ्री के कल्चर की नींव आप ने नही डाली।साउथ में यह पहले से प्रचलित है।चुनाव के समय बहुत कुछ फ्री दिए जाने के वादे किए जाते रहे है।
और राजस्थान सरकार को भी लग रहा है।फ्री का वादा करके चुनाव जीता जा सकता है।
राजस्थान जाने का मौका मिला।जयपुर प्रदेश की राजधानी।स्टेशन से घर जाते समय जगह जगह बोर्ड मिले
अब प्रत्येक घर को 100 यूनिट बिजली मुफ्त।
और फिर रोज अखबारों में तीन चार पेज विज्ञापन होता जिसमें नित्य नए फ्री के वादे होते।500 रु में सिलेंडर और न जाने क्या क्या।ये सारे वादे तब याद आ रहे हैं।जब चुनाव में मात्र कुछ महीने ही रह गए हैं।
टी वी चेनलो पर विपक्षी प्रवक्ता महंगाई,बेरोजगारी के गीत गाते हैं।टमाटर के भाव बताए जा रहे है।जिन राज्यो में विपक्षी गठबंधन की सरकारें है,उन्होंने इसे कम करने के लिए क्या किया।
जयपुर शहर की सड़कों की दुर्दशा देखकर मैं दंग रह गया।जर्जर और टूटी सड़के और बरसात होने पर झील में तब्दील हो जाने वाली सड़के।और पानी
जगह जगह नई कॉलोनियां विकसित हो रही है।लेकिन पानी कही नही।हर घर मे अंडर ग्राउंड टैंक बनवाया जाता है।और हर घर मे रहने वाले को टैंकर मंगवाना पड़ता है।पूरे दिन शहर में टैंकर दौड़ते रहते है।अगर शहर में पानी की कमी है तो टैंकर वाले पानी कहा से लाते हैं।जब निजी लोग पानी सप्लाई कर सकते है तो सरकार क्यो नही
विकास के लिए पैसे की जरूरत होती है।अगर आपके पास पैसा ही नही होगा तो विकास कैसे होगा।आदमी नया निर्माण तभी कर सकता है जब उसके पास पैसा होगा।
हमारे सामने श्रीलंका का उदाहरण है।
विकास करना है तो फ्री के कल्चर से बचना होगा