शीर्षक-अनाथ
गाँव के लोग आनंद की बात सुनकर हँस रहे थे । और आनंद का मजाक बना रहे थे । आनंद मदनपुर गाँव का लड़का है , जिसका उम्र 14 साल है । आनंद के माता-पिता कौन है पता नही ! बचपन से आनंद अनाथ आलय में रहता था । गाँव के कुछ बुजुर्ग कहते हुए आनंद को ताना देते तुम्हारे पिता चोर थे ! चोरी करके , भाग रहा था और कार एक्सीडेंट में मारा गया । तुम्हारी माता ने तुम्हें कूड़े में फेंक दिया , और कुएं में कूदकर मर गई । इन बातों को आनंद सुनकर रुष्ट हो जाता था। कहता में नही जानता मेरे माता-पिता कोन थे , उन्होंने कोन सा पाप किया तो इसमे आनंद की क्या गलती है , उन्होंने अपने माता-पिता का शक्ल भी कभी नहीं देखा। बदनसीब! होकर अनाथ रह गया , दुनिया में अकेला---- गाँव वाले उसे हमेशा ताना मारते थे । मदनपुर गाँव का मुखिया परमजीत सिंह आनंद से कहता है । अनाथ हो अनाथ ही मर जाओगे तुम्हारे मरने पर कोई रोएगा भी नहीं ।
आनंद ने कहा-- बड़ा होकर मैं 'सैनिक' बनूँगा देश की सेवा करूँगा । अगर रक्षा करते हुए मर गया तो मुझपे रोने वाले लाखों होंगे । आनंद की बात सुनकर गाँव वाले हँसने लगे ।
परमजीत सिंह-- देखो इस कचड़े के डिब्बे को , सैनिक बनेगा । तुम्हारा बाप चोर था । और चोर का बेटा सिपाही नही बनता है । परमजीत सिंह की बातों को सुनकर सभी हँसने लगे । आनंद की आँखों में आँसू आ गया वह रोते हुए भाग गया । अनाथ आश्रम में एक बाबा रहता था जिसे आनंद साधु बाबा कहता था । यह वहीं बाबा है ,जो बचपन में आनंद को कचड़े से उठाकर अनाथ आलय लाया था ।
साधु बाबा आनंद का बहुत ख़्याल रखते थे ।
साधु बाबा ने पूछा:- क्या हुआ? आनंद तुम रो रहे हो । आनंद ने कहा , मुझे गाँव वाले कहते है । तुम्हारा बाप चोर था , और 'चोर का बेटा चोर ही बनता है' सैनिक नही!
साधु बाबा ने कहा गाँव वाले के कहने से क्या होता है?
ये कोई 'ईश्वर' के बन्दे है । जो कहेंगे सत्य हो जाएगा , तुम भगवान पर विश्वास रखो ! वहीं तुम्हारी मदद करेंगे । साधु बाबा की बात सुनकर आनंद के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है ।साधु बाबा ने कहा जा हाथ-मुँह धो ले , सभी खाना खा रहे है । तुम भी खा लो ।
जब वह गाँव जाता तो , गाँव वाले उसे खड़ी-खोटी सुनाते वह चुपचाप सुन लेता । आनंद बड़ा हुआ अपनी पढ़ाई भी पूरी कर ली ।वह सैनिक की परीक्षा देता , असफल हो जाता लगातार प्रयास करता रहा ।परन्तु असफ़ल हो गया , एकदिन अचानक साधु बाबा की तबियत खराब हो गई । उन्होंने आनंद के सर पे हाथ फेरा और इस दुनिया से लीन हो गए । आनंद को गहरा आघात हुआ , साधु बाबा के सिवा मदनपुर गाँव में उसका कोई अपना नहीं था । सभी उससे 'नफरत' करते थे , साधु बाबा का दाह संस्कार किया गया । गाँव के लोग आनंद को एकटक देखना! पसंद नही करते थे।
परमजीत सिंह--गाँव वालों इस चोर के बच्चे को गाँव में रहने कोई हक नहीं है । इससे गाँव की मानहानि होती है , सभी गाँव वाले हाँ... हाँ ! मुखिया जी सही कह रहे है । इसे गाँव से खदेड़कर बाहर निकालो , आनंद अकेला 'बेचारा' क्या करता वक्त का मारा?
गाँव छोड़कर चला गया , कई दिनों तक भूखा प्यासा शहर घूमता रहा । पास की गली नुक्क्ड़ में एक चाय की दुकान थी । एक बूढ़ा जिसकी उम्र करीब 60-62 साल की होगी ।
चाय बेचता था , आनंद के चेहरे का रंगत बूढ़े ने पढ़ लिया । पीने के लिए पानी और चाय आनंद को दिया।
बूढ़ा आनंद से --- बाबू गाँव के मालूम पड़ते हो , शहर कमाने के लिए आये हो ! नही बाबा आनंद ने कहा , बाबा कहते ही आनंद के आँखों से आँसू टपक पड़े । उसे 'साधु बाबा' की याद आ गई । बूढ़े ने आनंद से कहा लगता है आप इस दुनिया में अकेले हो , इसलिए जिंदगी से मायूस हो । बूढ़े ने कहा - मैं भी अकेला हूँ , मेरे बेटे-पुतोहू मुझे छोड़कर चले गए , मेरी घरवाली पाँच साल पहले गुजर गई तब से चाय बेंचकर जीवन-यापन करता हूँ । आनंद ने अपनी व्यथा सुनाई , साथ ही आँखों से मोटे -मोटे आँसू भी गिर रहे थे । बूढ़े ने कहा मेरे घर में दो कोठली है , एक में मैं रहता हूँ । दूसरे में तुम रह जाना ! 'यही पास में मंडी है । थोड़ा-बहुत काम करके , अपनी पढ़ाई-किताबें की व्यवस्था कर लेना दाल-रोटी की व्यवस्था मैं कर दूँगा । आनंद सोचने लगा , आज भी देश में साधु बाबा जैसे लोग है। जो अनाथ की मदद करने के लिए तैयार है । आनंद अपनी पढ़ाई जारी रखा , अगले इम्तिहान में उसे सैनिक भर्ती बहाली में चयन किया गया । आनंद देश का रक्षक बन गया , दो साल देश सेवा में अपना सर्वस्व बलिदान दिया। कुछ दिन के बाद बॉर्डर पर आतंकी हमले होने लगे ।भारतीय सैनिक ने जबाबी हमला किया , आतंकियों के हमले में तीन भरतीय जवान शहीद हो गए---- जिसमें आनंद भी था । आनंद के पास से एक पत्र मिला , वह पत्र सहित उसकी शाहदत जिसपर तिरंगा ओढ़ाया था । मदनपुर गाँव पहुँचा ।
पत्र में लिखा था ---
मैं अनाथ हूँ , अनाथ नहीं रह जाऊँगा ।
देश की रक्षा करते-करते मर जाऊँगा ।
पता-आनंद कुमार , मदनपुर गाँव
-लेखक -गौतम केशरी