चौदह इंजेक्शन Gautam द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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चौदह इंजेक्शन

शीर्षक-चौदह इंजेक्शन

माधव एक 'लोकप्रिय' कर्मथशील आदमी है । समाज में अपने व्यवहार से काफी इज्जत बटोर रखा है । एक शिक्षक और समाजसेवी के रूप में काफी 'ख्याती' प्राप्त हुई उसे । वह वसूल का बहुत पक्का इंसान है। अपने बातों पर अटल रहने वाला परम् सत्यवादी ! ऐसे तो उसे पक्षी बहुत पसन्द है । परंतु जानवरों में वह कुत्ते से बहुत 'नफरत' करता है । गाँव में एक भी कुत्ते भटकने नहीं देता है । मालूम चल गया गाँव में , आवारा कुत्ते घूम रहे है तो कुत्तो की सामत आ गई 'बचपन' में जब वह अपने घर से स्कूल जाता तो , रास्ते में भोंकने वाले कुत्ते पर पत्थर फेंकता , कभी लाठी से मारता-- उसे इस कार्य में परम् आनंद मिलता था । बचपन में ऐसी कितनी बदमाशी हो जाती , हम ये नहीं सोचते है क्या कर रहे है । बस करते जाते है । स्मरण शक्ति इतनी तरो-ताजा नहीं होती , जिससे सही -गलत की पहचान हो सकें । 'माधव' स्कूल जाने के दौरान , कुत्ते को चिढ़ाता! उसपे पत्थर फेंकता अब जानवर तो जानवर ठहरा !
'जानवर' में कुत्ते की प्रजाति वह तो इंसान को देखकर भोकेगा ही । एक काले-कुत्ते ने माधव को काट लिया , काटा भी इस तरह! माधव को अस्पताल का खटिया पकड़ना पड़ा । उसके पैरों में घाव हो गए , डॉक्टर के द्वारा 'चौदह इंजेक्शन’: लगाया गया । इजेक्शन से उसे , बहुत डर लगता था । एक-एक इंजेक्शन उसे चाकू की नोंक सामान लगते ।

'इसी घटना' के कारण , उसे कुत्ते से नफरत हो गई । बचपन में जब कोई अप्रिय घटना , घटती है तो उसके मानसिक प्रभाव की झलक रह जाता है । वो कुत्ते से नफरत करता था । एकबार उसे साक्षात्कार के लिए राजस्थान बुलाया गया , साक्षात्कार में उत्तीर्ण होने के बाद शिक्षक पद के लिए चुना गया । प्राइवेट संस्थान में शिक्षक कार्य करने लगा । उस शहर में कुत्तों की संख्या ज्यादा थी , जब वह पढ़ाने के लिए जाता तो गली-मोहल्ले में देखता! कहीं कुत्ते तो नहीं घूम रहे है । इसी 'वजह' से उसे अपने कार्यस्थल में पहुँचने पर हमेशा देरी का सामना करना पड़ता था । रोज-रोज प्रिंसपल की डांट सुननी पड़ती थी । एक-दिन गली का कुत्ता , उस स्कूल में घुस गया । माधव कुत्ते को देखकर आग बबूला हो गया , माधव गेट पे तैनात सिक्रेटी को बहुत डांट-फटकार लगाया , और गुस्से में आकर स्कूल से रिजाइन दे दिया।
उसकी अच्छी खासी 'नोकरी' भी गई , अब तो वह अपने गाँव में पढ़ाने लगा । तथा साथ ही समजकर्ता का कार्य देखता! अपने छोटे से कार्यो में बहुत खुश रहता । अपनी जीविका-पार्जन करता था , गाँव में आय दिन चोरी की समस्या बढ़ रही थी । जिससे गाँव में कुछ लोग शहर से 'कुत्ता' खरीद लाए और अपने दरबाजे पर बाँधकर रखते थे । कुत्ता वफादार जानवर होता है , रात में जब मनुष्य सौ जाता है । तो कुत्ता अपने मालिक के घर की रखवाली करता है । यह बात 'माधव' को हजम नहीं होती थी । वह कुत्ते से सख्त नफरत करता था । और उन सभी से झगड़ा करता था , जो कुत्ते को पालते । कुछ दिन के बाद वंशी नामक व्यक्ति जो 'माधव' का पड़ोसी था । उसके घर चोरी हुई , चोर को जो समान मिला! उसे ले गए , वंशी की स्थिति देखकर , गाँव वाले ने सलाह दिया औरो की तरह एक कुत्ता पाल लो ।

'वंशी ने जब कुत्ता लाया', तो माधव उसका विरोध करने लगा! दोनो में बहुत झगड़ा हुआ गाँव वाले ने सलाह दिया । माधव तुम्हें कुत्ते से समस्या है , तो गाँव छोड़ दो! वंशी कुत्ता पाले , ये उसका निजी मामला है । गाँव वाले ने माधव से कहा , गाँव छोड़ भी दोगे तो शहर में कोई कुत्ता दिखाई नहीं देगा क्या? फैसला कर लो ।
एक रात कुछ चोर आया और माधव के घर से सामान चुराकर चुपके से भागने लगा । गाँव में सभी लोग सौ रहे थे। 'माधव' भी सोया हुआ था ,'चोर जब भाग रहा था', तो कुत्ते ने 'भोंकना' शुरू किया । वंशी जाग गया, चोर को देखकर चोर-चोर चिल्लाने लगा। गाँव के कुछ लोंगो दौड़कर चोर को गाँव के बाहर नहर किनारे पकड़ा!
माधव भी दौड़कर आया , कीमती सामान वापस लिया , जो चोर ले जा रहे थे । बाद में गाँव वाले ने बताया माधव "जिस कुत्ते से तुम नफरत करते हो" , आज उसी ने तुम्हारी घर की रखवाली की है । माधव को बहुत ग्लानि हुआ , उसका नजरिया बदल गया । कुत्तो में उसे 'वफादारी' झलकने लगीं ।
गौतम केशरी