Prem Ratan Dhan Payo - 27 Anjali Jha द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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Prem Ratan Dhan Payo - 27






गायत्री गर्म तेल में गुजिया डालते हुए बोली " अच्छी बात हैं फिर तो दाल चावल, रोटी सब्जी सब हाथ में लेकर ही खाना । " उसकी बातों पर दिशा हंसने लगी । इसी बीच उसके फ़ोन की बेल बजी । नंबर देखकर दिशा की आंखें बडी हो गयी ।

" क्या हुआ किसका फ़ोन हैं ? " गायत्री ने पूछा तो दिशा खुद को नोर्मल करते हुए बोली " वो भाभी हमारी दोस्त का । तबियत खराब थी न इसलिए कालेज नही आई । शायद नोट्स के लिए फ़ोन किया होगा । " ये बोल दिशा किचन से बाहर निकल गई । दिशा की नज़र कुंदन पर पडी जो अपनी शर्ट की बाजू फोल्ड करते हुए नीचे आ रहा था । दिशा अपने दुपट्टे से उस हाथ को छुपाने की कोशिश कर रही थी , जिसमें उसने फोन पकडा हुआ था । दिशा उसे इग्नोर करते हुए सीढ़ियां चढ़ने लगी । कुंदन उसे टोकते हुए बोला " दिशा .....

दिशा के कदम रूक गए । वो अपनी घबराहट छुपाते हुए पीछे की ओर पलटी । ' जी भैया '

" हमारे कमरे में टेबल पर फाइल पडी होगी उसे पूरा ...... कुंदन ने बस इतना ही कहा था की तभी दिशा का फोन फिर से बजा । दिशा ने बिना देखे फ़ोन काट दिया । कुंदन उसकी हड़बड़ाहट देखकर बोला " किसका फोन था और काट काहे दिया ‌। "

" वो .... वो भैया हमारी दोस्त का फ़ोन था । उस कुछ सब्जेक्ट के नोट्स चाहिए थे , तो वही लेने रूम में जा रही थी । बाद में बात कर लूगी । आप बताइए ... आप कुछ फाइल के बारे में कह रहे थे । "

" हां ऊहे जो पेपर से पहले जमा करवाना पडता हैं । का बोलते हैं ऊ को ......

' असाइनमेंट ' दिशा ने कहा ।

" हां हां ऊहे असाइनमेंट ..... कमरे में फाइल पडी होगी देखकर बना देना । " इतना बोलकर कुंदन नीचे चला गया और दिशा अपने कमरे में भाग गयी । उसने दरवाज़ा लॉक किया और फोन निकालकर राकेश का नंबर डायल किया । राकेश के फोन रिसीव करते ही दिशा उसपर बरस पडी । " क्या हल्लो हल्लो लगा रखा है । फोन काट रही हूं एक बार में बात समझ नही आती । अभी भैया से बचीं हैं । अगर उन्हें मेरे फ़ोन में तुम्हारा नंबर दिख जाता , तो आज ही मैं सूली पर चढा दी जाती । "

फ़ोन के दूसरी तरफ से राकेश बोला ' सॉरी दिशू ..... आई एम सो सॉरी ..... तुमने फ़ोन काटा तो मैं घबरा गया इसलिए दोबारा कॉल लगाया । आइंदा से ध्यान रखूंगा । "

दिशा ने खुद को शांत किया और गहरी सांस लेकर बेड पर बैठ गयी । " कहो फोन किसलिए किया । "

" तुम्हारी आवाज़ सुनना चाहता था इसलिए । "

" अच्छा जी आवाज सुननी थी तो फोन कर लिया । देखने का मन करेगा तो क्या घर तक आ जाओगे । " दिशा के ये कहने पर राकेश बोला " पागल समझा हैं क्या ? इतने सी बात के लिए मौत के मूंह में क्यों आऊंगा । डिजिटल का जमाना हैं वीडियो कॉल कर लूगा । " राकेश के ये कहते ही दिशा को हंसी आ गयी ।

राकेश आगे बोला " दिशु कल का पूरा दिन तुम मेरे साथ स्पेंड करोगी ? "

" वो तो मैं रोज करती हूं । " दिशा फ़ोन कान से लगाकर बेड पर लेटते हुए बोली ।

" ऐसे नही कल हम दोनों बाहर चलेंगे । " राकेश के ये कहते ही दिशा चौंककर बोली " बाहर ...... तुम्हारा मतलब है हम कॉलेज गोल करेंगे । "

राकेश अपना कंधा उचकाते हुए बोला " डोंट वरी मुझे इसका बहुत एक्सपीरियंस है । देखो मैं कोई इंकार नही सुनूगा । कल पिंक कलर की ड्रेस पहनकर आना । तुमपर बहुत अच्छा लगता हैं । ओके बाय कल मिलते हैं । " ये कहते हुए राकेश ने फ़ोन कट अन्य दिया । दिशा उसके रूकने का वेट कर रही थी , ताकी वो उसे कुछ बोल सके लेकिन राकेश ने उसकी कोई बात सुनी ही नही । दिशा ने पहले तो फ़ोन को गुस्से से घूरा फिर राकेश की बातों को याद कर शर्माते हुए अपना चेहरा तकिए में छुपा लिया ।

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अगला दिन , सुबह का वक्त , रघुवंशी मेंशन




आज सब लोग घर पर ही थे क्योंकि आज संडे था । हर रोज की तरह आज की सुबह सुरीली नही थी । जब से जानकी आई थी सबकी नींद उसके गीत और भजन से टूटती थीं । आए उसे वक्त ही कितना बीता था हफ्ता भर । आज जानकी ने पूजा बडे ही शांतिपूर्वक किया जिससे किसी को भनक भी नही लगी । जहां वो रामायण की चौपाइयां गुनगुनाते हुए पढती थी , वही आज वो उसे मन ही मन पढ रही थीं । जानकी ने रामायण की किताब बंद की और राम जी की मूर्ती के आगे अपना हाथ जोडा । वो उठकर खडी हुई । जैसे ही जाने के लिए पलटी पीछे करूणा को खडे देखा । उन्हें देख जानकी हल्का मुस्कुरा दी । मुस्कुराहट भी ऐसी मानों जबरदस्ती मुस्कुराने की कोशिश कर रही हो । करूणा उसके पास आई और उसके सिर पर हाथ फेरकर बोली " क्या बात है आज आपने भजन नही गाया ? "

" पूजा पाठ तो खामोशी से भी किया जा सकता हैं । इस तरह सुबह सुबह सबकी नींद खराब करना अच्छी बात नहीं । " जानकी ने कहा तो करूणा बोली " किसने कहा आपसे की आपके गाने से लोगों की नींद खराब होती हैं , बल्कि सच तो ये हो आपके गीत से हम सबकी सुबह अच्छी हो जाती हैं । आगे से इस तरह की खामोशी मत रखिएगा । जैसे गुनगुनाती हैं वैसे ही रहिएगा । " जानकी ने हां में अपना सिर हिला दिया । करूणा पूजा करने के लिए आगे बढ गयी और जानकी किचन में चली आई । संध्या चुपचाप अपने काम में लगी थी । उसे जानकी के आने की आहट मिल चुकी थी , लेकिन न तो उसने उसकी ओर देखा और न ही कुछ कहा । कुछ देर की खामोशी जानकी ने भी धारण कर रखी थी । संध्या फ्रिज से दूध का जग निकालकर उसके पास चली और किचन के स्लैब पर रखते हुए बोली " तो क्या फैसला किया ? कब की टिकट बुक कराऊ आज शाम की या कल सुबह की ? " संध्या ने उखडे हुए लहज़े में पूछा । जानकी समझ गयी की वो उससे गुस्सा है । जानकी ने अपने विनम्र लहज़े में कहा " हम कही नही जा रहे । " जानकी के मूंह से ये सुनकर संध्या ने उसके चेहरे की ओर देखा । जानकी संध्या की आंखों में देखते हुए आगे बोली " जानकी झा नाम हैं हमारा । परिस्थितियों से डरकर भागना हमने कभी नही सीखा , बल्कि उससे लड़कर विजय पाना सीखा हैं । कब तक भागेंगे और कितनों से भागेंगे । नयी जगह होगी , नये लोग होंगे , मुसीबतें भी नये होंगे । बेहतर होगा उनसे भागने की वजाय हम उनसे लडे । हमे यहां परी को संभालने का काम दिया गया है । हम वही करेंगे । राघव जी हमारे मालिक हैं बस इससे ज्यादा कुछ नही । हम उनकी वजह से ये नौकरी नही छोड सकते , इसलिए हमने फैसला लिया हैं की हम यहां की परिस्थितियों में रहना सीख लेंगे । " जानकी की बाते सुनकर संध्या मुस्कुराते हुए उसके गले लग गयी । " ये हुई न मेरी जानू वाली बात जो बहुत बहुत बहुत ..... बहादुर हैं । कल मैं जिस जानकी से मिली थी वो किसी लिहाज से मेरी जानू नही थी बस एक डरपोक लड़की थी । "

" अच्छा बाबा अब बस भी करो , मुझे परी के लिए नाश्ता बनाना हैं । " जानकी ने कहा तो संध्या उससे अलग हुई ।

जानकी परी के लिए नाश्ता बनाने के बाद उसे जगाने उसके रूम में चली गई । ये तो जानकी का रोज का काम हो गया था । परी भी रोज नए नए बहाने ढूंढती थी , फिर भी जानकी उसे जगाने में कामयाब हो जाती । उसे जगाने के बाद जानकी कबर्ड से उसके कपडे निकालने लगी । परी बेड पर कूदते हुए बोली " जानू ये वाला नही वो वाला ...... हमे वो वाला फ्राक पहनना है । "

जानकी ने दो फ्राक निकाला एक येलो कलर का था तो दूसरा पिंक कलर का । " कौन सा वाला कलर पहनना हैं आपको ? " परी ने पिंक की ओर इशारा किया तो जानकी ने उसे बेड पर रखा और बाकी के कपड़े कबर्ड में रख दिए । जानकी परी के पास आने लगी तो परी वहां से भाग गयी । " ऐसे नही पहले आप हमे पकड़कर दिखाईए । "

' नही बेटा रूम में ऐसे भागोगे तों गिर जाओगे ।‌। " जानकी ने उसके पीछे भागते हुए कहा । परी कहा मानने वाली थी । वो आगे आगे भाग रही थी और जानकी को खुद के पीछे भगा रही थी । राघव अपने कमरे से निकला तो उसे परी के रूम से काफी शोर सुनाई दिया । रूम का दरवाजा खुला हुआ था ।‌। वो वही दरवाज़े पर टिककर खडा हो गया । जानकी और परी की पकड़म पकडाई जारी थी । परी तो बस मुस्कुराते हुए भाग रही थी । जानकी ने पीछे से पकड लिया और अपनी गोद में उठा लिया । " लीजिए अब हमने आपको पकड लिया अब आपको तैयार होना पडेगा । "

" मैं अकेली नहाऊगी नही आप भी मेरे साथ नहाइए । " परी ने कहा ।

जानकी हल्की मुस्कुराहट के साथ बोली " मैंने तो आपसे पहले नहा लिया । अब दोबारा क्यों नहाऊगी ? अभी तो आपको नहलाना हैं ।‌" ये बोलते हुए वो परी को वॉशरूम में ले गयी । राघव वही दरवाज़े से टिककर खडा था । परी की मुस्कुराहट देख उसके होंठों पर भी मुस्कुराहट थी । इस वक्त उसने एक टी शर्ट और ट्राउजर पहना हुआ था । आफिस जाना नही था इसलिए घर पर कैजुअल लुक में था । सुरेश राघव की कॉफी लेकर उसके रूम की ओर ही बढ रहा था , लेकिन उसे परी के रूम के बाहर देखकर वो वही रूक गया ।‌‌"

" भैया आपकी कॉफी "

राघव ने सुरेश को देखा और फिर उसके हाथों से कॉफी ले ली । " सुरेश न्यूजपेपर हॉल में ले आओ । " इतना कहकर राघव सीढ़ियों से नीचे उतरने लगा । सुरेश भी अखबार लेने चला गया ।

करूणा भी हॉल में बैठी अपनी चाय पी रही थी । " गुड मॉर्निंग भाभी मां । " राघव ने सामने वाले सोफे पर बैठते हुए कहा ।

" गुड मॉर्निंग देवरजी " करूणा ने जवाब दिया ।

" हमे भी गुड मॉर्निंग विश कीजिए । " अमित ने कहा तो राघव और करूणा ने सामने की ओर देखा । अमित और राज दोनों एकसाथ अंदर आ रहे थे ।

" हम आप दोनों का ही इंतजार कर रहे थे । तभी सोचे आठ बजने वाले हैं और आप दोनों अब तक आए क्यों नही ? " करूणा ने कहा ।

राज काउच पर बैठते हुए बोला " पूछिए मत भाभी मां मुझपर बडे भैया कितना जुल्म करते हैं ‌‌। कितनी अच्छी नींद ले रहा था मैं , लेकिन नही सुबह सुबह खींचकर मुझे जॉगिंग पर ले गए । कहा भागो सेहत बनेगी । कोई इन्हें ये तो बताओ अच्छी नींद लूंगा तो उससे भी सेहत बनेगी । "

" जरूर बनेगी भाभी मां ने खाने का होश , न सोने का । रात दो बजे तक जनाव लैपटॉप पर हॉरर मूवी देख रहे थे फिर जल्दी कैसे उठेंग । ऐसी नींद इंसान लेने लगा न तो सब हेल्दी हो जाएगे । ' अमित ने कहा ।

करूणा मुस्कुराते हुए बोली " सही कहा अमित आपने , हमारे राज तो हमेशा सही करते हैं बस सामने वाले लोग ही उन्हें गलत समझते हैं ..... क्यों राज .... ? "

" एकदम करेक्ट कहा भाभी मां , एक आप ही तों हैं जो मेरी दुखी व्यथा को समझती हैं । बाकी सब तो दुष्ट दुराचारी हैं । " राज की नौटंकी देखकर करूणा तो हंस रही थी , लेकिन अमित और राघव उसे घूर रहे थे ।

" भाभी खाना लग चुका हैं आप सब आ जाईए । " संध्या ने कहा तो सब उठकर नाश्ता टेबल की ओर बढ गये ।

वो लोग पहुंचे तब तक जानकी भी परी को लेकर नीचे चली आई । राज ने हाथ हिलाकर कहा " गुड मॉर्निंग जानू । "

राज के मूंह से जानू शब्द सुनकर अमित की खांसी शुरू हो गयी ।

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जानकी ने अपना फैसला सुना दिया । वो अयोद्धया छोड़कर कही नही जाएगी । उसने हिम्मत कर यही रूकना का फैसला लिया हैं लेकिन क्या वो राघव को इग्नोर करके उस घर में रह पाएगी ? क्या ये सब आसान होगा उसके लिए जानेंगे अगले अध्याय में

प्रेम रत्न धन पायो

( अंजलि झा )


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