मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 3 राज कुमार कांदु द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 3


लघुकथा क्रमांक 6

विरोध प्रदर्शन
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एक गोदाम में मोमबत्तियों के एक समूह की आपस में बातें हो रही थीं।

एक मोमबत्ती ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, "भला हो इस कोरोना का, जिसने सारे असल दरिंदों को घरों में कैद कर दिया है, नहीं तो अब तक न जाने कितनी निर्भयाओं की इज्जत लूटी जाती, हत्याएँ होतीं और फिर उनके विरोध प्रदर्शन के नाम पर हमें जलना पड़ता।"

दूसरी मोमबत्ती ने रहस्य भरे स्वर में कहा, "इंसानों की दरिंदगी की शिकार ये मासूम अबलाएं ही नहीं इंसानों की एक प्रजाति भी है जिसे मजदूर कहा जाता है। सुना है कि इसी प्रजाति के 16 मजदूर पटरी पर सोये हुए थे और ट्रेन से कटकर मर गए।"
तभी तीसरी मोमबत्ती ने कहा, "वो मरे तो मरे ! तुम्हें इतना दुःख क्यों हो रहा है ?"

"उनका मातम मनाने के लिए जलना तो हमें ही पड़ेगा न ?" दूसरी मोमबत्ती ने रुआँसी आवाज में कहा।
"अरे बेवकूफ ! ये मरनेवाले मजदूर प्रजाति के लोग थे और क्या तू इतना भी नहीं जानती कि इस प्रजाति के लिए हमें नहीं जलाया जाता !" तीसरी मोमबत्ती ने समझाया।

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लघुकथा क्रमांक 7

नजरिया
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नेताजी ने अपना फेसबुक स्टेटस अपडेट किया। पोस्ट डाली 'विरोधियों के हौसले पस्त ! नामी नचनिया 'कमली ' के चरणों में पूरा विपक्ष ! विपक्ष अब नचनियों की पार्टी बनकर रह गई है !'

अगले दिन नेताजी को हाइकमान से जानकारी मिली 'सब सेटिंग हो गई है। 'कमली' अपनी पार्टी जॉइन करने वाली हैं।

अब नेता जी का बदला हुआ स्टेटस था 'जमीन से जुड़ी , मेहनतकश व प्रखर व्यक्तित्व की धनी, देश की बेटी प्रख्यात नृत्यांगना सुश्री 'कमली जी' का हमारी पार्टी में दिल से स्वागत है !'

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लघुकथा क्रमांक 8

काबिलियत
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एक राष्ट्रीय पार्टी के प्रवक्ता पद के लिए पार्टी द्वारा आवेदन मँगवाए गए थे। तय दिनांक के बाद पार्टी के महासचिव ने अपने सहयोगी को तलब किया और उनसे पूछा, "प्रवक्ता पद के लिए कितने आवेदन आए हैं ?"

आवेदनों के पुलिंदों को दिखाते हुए सहायक ने बताया, "सर ! आवेदन तो खूब आए हैं, और मैंने अपने विवेकानुसार उन्हें अलग अलग छाँट भी लिया है।"

खुश होते हुए नेताजी ने आवेदनों के एक बड़े से गट्ठर की तरफ इशारा करते हुए पूछा, "कुछ इसके बारे में बताइए !"

"सर ! यह सबसे बड़ा गट्ठर उच्च शिक्षित विशिष्ट पदवी धारी लोगों के आवेदनों का है!"

"..और यह दूसरा गट्ठर ?"

" सर ! यह दूसरा गट्ठर अपेक्षाकृत कम पढेलिखे मगर पार्टी के पुराने निष्ठावान कार्यकर्ताओं के आवेदनों का है। मैं इनमें से ही कुछ बेहतर आवेदन जाँच परखकर आपको देता हूँ। आप उनमें से चयन कर लीजिएगा।" सहायक ने कहा।

तभी नेताजी की नजर दोनों गट्ठरों के पास ही बेतरतीब खुले पड़े कुछ आवेदनों पर गई। उनका मंतव्य भाँप कर सहायक कहने लगा, " सर ! ये तीन आवेदन आए हैं जिनपर कोई विचार किया ही नहीं जा सकता, इसलिए अलग रखे गए हैं।"

"क्यों ?...क्यों विचार नहीं किया जा सकता ?"

"क्योंकि इन तीनों ने माध्यमिक शिक्षा भी पूर्ण नहीं की है।"

"तो ये कौन सी बड़ी बात है ? शिक्षा का क्या है, अगर आवेदक प्रवक्ता बनने की हमारी अन्य शर्तों को पूरा करता है तो उसे कोई भी डिग्री दिलाकर शिक्षित बनाने में हमें देर नहीं लगेगी यह तो तुम जानते ही हो...!"

महासचिव का भाषण अभी शुरू ही था कि सहायक ने हैरानी भरे स्वर में कहा, "लेकिन सर ! बात इतनी ही नहीं है। ये तीनों अपराधी भी हैं। गंभीर धाराओं में दर्जनों मुकदमे चल रहे हैं इन तीनों पर !"

"बस बस ! अब और कुछ नहीं जानना है इनके बारे में ! ऐसे ही प्रवक्ताओं की तो हमें तलाश थी। इन तीनों को ही प्रवक्ता पद का नियुक्ति पत्र सौंप दो !"

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