त्रिवेणी की तीन प्रमुख धाराओं का मिलन Pranava Bharti द्वारा पुस्तक समीक्षाएं में हिंदी पीडीएफ

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त्रिवेणी की तीन प्रमुख धाराओं का मिलन

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त्रिवेणी अर्थात तीन ऐसी वेगवती धाराएँ जो मिलती हैं जाकर एक में और घुलमिलकर  एक रंग की बन जाती हैं | जीवन की राहें भी कुछ ऐसी ही हैं, कभी थिरकती चाल से चलकर, कभी हिचकोले खाकर, कभी थोड़ी देर ठिठककर एक नया धरती और आसमान का अहसास देती हैं  |

त्रिवेणी की इन तीन पावन गहराई के भाव में से प्रस्फुटित रचनाओं की तारतम्यता मन को एक वेग देती है, विवश करती है कुछ सोचने के लिए | मनुष्य के मन में जो अथाह गहराई है वह इस त्रिवेणी से कहाँ कमतर है जो कभी हिचकोले खाती है, कभी ठिठककर फिर से गतिमान होती है तो कभी स्थितप्रज्ञ भी हो जाती है |

प्रिय रश्मि सिन्हा से मेरा परिचय कई वर्ष पूर्व का है | मैं उनके पटल पर जाती रहती हूँ और उनकी और उनके प्रतिभागियों की रचनाएँ पढ़ती रहती हूँ | प्रभावित होती हूँ और चिंतन के लिए विवश भी |

जहाँ तक मैं परिचित हूँ रश्मि ने अपनी काव्य-यात्रा कई वर्ष पूर्व क्षणिकाओं से प्रारंभ की और आज गीत और नवगीत, गज़लनुमा रचनाओं तक का सफ़र न केवल तय किया बल्कि अपने साथ एक पूरा काफिला तैयार किया है |

कहीं इंतज़ार के लम्हे हैं तो कहीं बीते पलों की एक बार पुन: जीने की वेगवती इच्छा ! कहीं ऐसे खूबसूरत विश्वास की आश्वासित प्रतीक्षा जिन्हें अलंगनी पर नहीं टाँगा जा सकता | जो मन के कोने से उठती हुई किसी विश्वास को विस्तार देती हैं |

रचनाओं में प्रकृति के नवस्वरों की गुंजन गुँजरित होती है तो स्थिति के थपेड़े सहकर भी जीने की एक उत्कट अभिलाषा जो प्रेममय है | शाश्वत नियम है कि प्रेम किसी कटधरे में नहीं सिमटता, वह इतना विशाल है जिसकी कोई सीमा नहीं, जो किसी बंधन में नहीं किन्तु शाश्वत है और किसी न किसी माध्यम से मनुष्य के हृदय में बना रहता है और इसीलिए विभिन्न प्रकार की रचनाओं का संसार खुलता है |

त्रिवेणी में इन रचनाओं के वैविध्य की खूबसूरती का संसार छिपा है जो पाठक को अपने साथ यात्रा करने के लिए बाध्य कर देगा |

इस अनुपम कार्य के लिए मैं तीनों कवयित्रियों सहित प्रकाशिका प्रिय डॉ.नीरज शर्मा को भी स्नेहिल साधुवाद देती हूँ | त्रिवेणी में समाहित रचनाओं से पाठक सम्मोहित हो पुन: काव्य-लेखन के लिए रचनाकारों को प्रोत्साहित करेंगे, यही आशा और विश्वास है |

रचनाओं का साहित्यिक जगत में स्वागत हो, नवीन आयाम खुलें | आमीन !

अनेकानेक स्नेहपूर्ण शुभकामनाओं सहित

डॉ. प्रणव भारती

अहमदाबाद