किले का रहस्य - भाग 10 mahendr Kachariya द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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किले का रहस्य - भाग 10

अब हम बैठकर पूरा रिकार्ड तैयार करते हैं और फिर. B

आफिसर राजेश और अलवर के S.P मिस्टर सत्यार्थ से
संपर्क करेंगे।

अवंतिका "संजु जाओ बाहर किसी स्टेशनरी की दूकान से एक फाइल ले कर आओ।"

नियति फाइल का क्या करना हम हैं तो सब कुछ बताने के

लिये।"

अमित "फाइल में हम सारी रिपोर्ट लिखेंगे वो अखबार में छपेगी"

प्रीती तालियां पीटते हुए गुड वैरी गुड़ फिर तो सारी दुनिया को पता लग जायेगा इस किले में कोई भूत प्रेत नहीं है।"

अमित और क्या हम सबने दुनिया का अंधविश्वास दूर करने के लिये ही तो जान की परवाह न करके करी है ये जासूसी ।"

अवंतिका "और खजाना इतना खजाना इतना खजाना कि राजस्थान तो क्या पूरा इंडिया ही हतप्रभ हो जायेगा।"

संजू एक फाइल लेकर आ गया।

अमित लिखो अवंतिका और फिर सबको पढ़ कर भी

सुनाना

अवंतिका "नहीं अमित तुम ही लिखो ना मुझे न तो संस्कृत वाले शब्द आते हैं और ना ही वो हिन्दी वाली गिनती ।"

अमित पूरी रिपोर्ट लिख रहा था, और जहां वो रुक जाता अवंतिका बता देती। पूरे एक घंटे तक वो लिखता । रहा, फिर सबको सुनाई कही कुछ छूटा तो नहीं

प्रीती " छूट गई छूट गई। जरूरी बात छूट गई।"

आशीष " तू चुप कर तैरा दिमाग भी है जो बतायेगी।"

प्रीती गाल सुजाकर रुआंसी होकर गुस्से से अपने भाई को घूरने लगी।

अमित बताओ प्रीती।"

प्रीती बताती हूं बताती हूं वो घटना जब उस काकी सा ने भाग कर काली बिल्ली गोद में उठाली थी और घुंघरू की बात पर कैसा बहाना मारा था।"

प्रीती की इस बात पर सभी के चेहरे खुश से झूम उठे ।

अवंतिका " अरे वा... ह हमारी प्रीती भी बन गई अब जासूस

अमित चलो अब हमें वापिस अलवर जाकर इंटैलिजेंस ब्यूरोंसे संपर्क करना है। फिर SP श्री सत्यार्थ से।"

ठीक 12 बजे वो सातों अपनी दोनों गाड़ियों से वापिस अलवर चल दिये। सफर करीब ढाई घंटे का था सबसे पहले वो अपने अभिनव होटल पर ही पहुंचे। वहां से अमित, अवंतिका संजू और रोहित चारों . B आफिस ठीक तीन बजे पहुंच चुके थे । किस्मत से .B आफिसर राजेश राजपूत आफिस में ही थे।

अभिवादन कर वो चारों उनके सामने की कुर्सियों पर बैठ गये। अवंतिका ने अपनी फाइल पढ़ने के लिये उन्हें दी। फिर सारे फोटोज शुरू से आखिर तक

चमगादड़ो के पांव में घुंघरू बाधे झोपड़यों की छतों पर बैठी काली बिल्लियों के चारों नर्तकियों के फिर अरावली से आती गाड़ियों के

उन आदमियों के किले में घुसते हुऐ।

"इन चार अंधेरी रातों में बहुत ही दिलैरी का काम किया है आप लोगों ने गजब ।"

और सर ये तो देखिये, राजेश राजपूत ने जब राव माधौसिंह के विस्मयकारी अकूत खजाने की फोटोज देखी तो आंखें फटी की फटी रह गईं।

अमित "सॉरी सर ये तो फोटोज हैं जब आप खुद अपनी आंखों से देखोगे तो विश्वास ही नहीं होगा कि उस छोटी सी रियासत के राजा के पास इतना खजाना ।"।

राजेश "लेकिन इसकी जानकारी तुम्हे कहां से हासिल हुई।"

अमित के चेहरे पर आत्मसम्मान की मंद मंद मुस्कराहट थी।

अवंतिका ने बताना शुरु किया "सर रात को जब हमने गाड़ी वाले आदमियों को किले मे घुसते तो देखा पर निकलते नहीं, हमारा माथा ठनका।

इस रहस्य का पता करने के लिये हम फिर किले में घुसे। हमने एक अंधेरी सुरंग दिखी, हमने सोचा वो लोग शायद वो सब इसी में घुसे होंगे, लेकिन सुरंग पार करके एक स्तंभ पर संस्कृत भाषा में और हिंदी की संख्या में गुप्त संदेश था, जिसे अमित ने पढ़ लिया और हम खजाने पर पहुंच गये।"

राजेश अमित की ओर प्रशंसा भरी नज़रों से देखते हुए "वंडर फुल वंडर फुल, सारी सारी रात को उस भयानक स्थानपर इतनी बहादुरी.. ये सब।"

अमित "ये सब हमने अपने देश के लिये इंडिया के लिये और इन अफवाहों का पर्दाफाश करने के लिये किया है सर लेकिन.."

राजेश "लेकिन जिस अवैध कारोबर को करने के लिये ये डरावनी अफवाहें फैलाई गयी हैं, उनके फोटो हम नहीं खींच पाये वो तो आपको खुद ही चलकर देखना होगा।"

"हां लेकिन पहले हम एस पी सत्यार्थ अष्ठाना को इस बाबत पूर्ण रूप से बताते हैं फिर कल हम उस किले में चलते हैं।

राजेश " मैं अपने चार विश्वसत जूनियर्स को लेकर तुम्हारे साथ चलूंगा।"

ठीक 5 बजे वो सभी एस पी सत्यार्थ अष्ठाना को अपनी फाइल दिखा रहे थे। फोटोज देखकर वो बड़े प्रभावित हुऐ। और जब खजाने के फोटो देखे तो " इतना गजब का खजाना, इसे देखने के लिये तो मैं स्वयंही चलूंगा।"

उन्होने उसी समय इंसपैक्टर विक्रम को फोन करके बुलाया, और आदेश दिया "कल तुम्हे असिस्टेट इंस्पैक्टर भानु और दो अन्य हवलदारों को लेकर हमारे साथ चलना है लेकिन इस बात का ध्यान रखना कि साधारण और ग्रामीण वेश में चलना हैं और तुम चारों के अलावा किसी को भी इस बात की भनक भी ना पड़े।"

अगले दिन वो चारो अमित अवंतिका रोहित और संजू तथा राजेश राजपूत और उनके चारों जूनियर्स साधारण कपड़ों में और स्वयं सत्यार्थ अष्ठाना इंस्पैक्टर विक्रम और असिस्टेंट इंस्पैक्टर भानु और दोनों हवलदार साधारण ग्रामीण वेशभूषा में किले के अंदर घूम रहे थे। किला पर्यटकों से भरा हुआ था, किंतु किसी को भी इस बात का अनुमान ही नहीं था कि आज का दिन किले के लिये अविस्मरणीय स्वर्ण दिवस होगा।" जानने के लिये बने रहियेगा अगले भाग में