किले का रहस्य - भाग 7 mahendr Kachariya द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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किले का रहस्य - भाग 7

तीनों अचंभित से चकित से आंखें फाड़ फाड़ कर अपने चारों ओर देख रहे थे। उन्हें यह भी पता नहीं लग पाया कि जिस दीवार के दरवाजे से वो आये हैं वो बंद हो चुकी है। तीनों अपनी टाचों को घुमा घुमा अकूत खजाने को देख रहे थे।

सोने की बड़ी बड़ी मूर्तियां हीरे और मोतियों के जेवरों से लदी हुई

रोहित, मोमबत्तियां जला दो।

रोहित ने एक झटके में थैले में से मोमबत्तियों के दो पैकिट निकाले

और फटाफट फटाफट पूरी बीस मोमबत्तियां चारों तरफ जला दी। मोमबत्तियों के प्रकाश से उस खजाने के गहने आभूषण प्रकाश को परावर्तित कर प्रसफुटित हो चम चम चमक रहे थे।

अमित - अद्भुत अति अद्भुत इतना खजाना... अपरिमित ।

अवंतिक और इस खजाने की महाराज माधोसिंह ने कितनी गुप्त और सुद्रढ़ व्यवस्था की है कि कोई पंछी तो क्या मक्खी भी प्रविष्ट नहीं हो सकती। रोहित कहां खो रहे हो तुम।

रोहित तो अपनी ही धुन में मस्त था, मूर्तियों के पास जा जाकर स्फटिक आभूषणों को हाथ लगा लगा कर असीम आनंद ले रहा था।

अवंतिका, अमित आओ इधर तो आओ देखो तो इन गहनों पर कितनी बारीक कटिंग करके कलाकृतियां उकेरी गई हैं।

अमित और अवंतिका ने भी पास जाकर देखा।

वा.....हो....

कितने खूबसूरत डिजाइन कभी देखे ही नहीं।

अमित - अवंतिका ये करीब ३००, ४०० वर्ष पूर्व के ऐतिहासिक प्राचीन डिजाइन है।

अवंतिका हां अमित अति दुर्लभ ।

अमित - दिन में इतना घना अंधकार कैसे व्यवस्थित किया होगा

खजाने को।

रोहित अपनी टार्च को ऊपर की ओर घुमाते हुए वो देखो अमित दीवारों से एटेच्ड कितनी मशालें।

अमित -हां इन मशालों के प्रकाश में ही यहां काम होता होगा।

रोहित अवंतिका मशाल जलायें ?

अवंतिका नहीं, पता नहीं क्या टेक्निक होगी। ---

तीनों एक स्थान पर बैठ जाते हैं, पानी पीकर अपना अपना गला तर करते हैं।

अमित सोचो अवंतिका, रात को हमने जिन लोगों को किले में घुसते हुए देखा था क्या वो इसी तहखाने में आये होंगे।

अवंतिका बिल्कुल नहीं, उन संख्याओं का वर्णमाला से संबंध का पता हर कोई नहीं लगा सकता।

याद करो वो स्तंभ हमसे कितनी मुश्किल से घूमा था, यदि हमसे पहले कल रात को उन्होंने घुमाया होता तो वो इतना टाइट नहीं होता।

अमित - हां अवंतिका, तुम्हारी धारणा बिल्कुल ही सही है।

देखो गौर से देखो इस खजाने को ऐसा लगता ही नहीं कि इसे

किसी ने छेड़ा भी होगा। सब कुछ सुव्यवस्थित ही है।

रोहित -अमित जिस बक्से में से मोतियों के हार लटक रहे थे ना, मुझे उसमें बही खातों जैसा एक रजिस्टर सा दिखा था।

अवंतिका - अरे बुद्ध हमें क्यों नहीं बताया, जाओ उस रजिस्टर को लेकर आओ।

रोहित उस रजिस्टर को निकाल लाया।

अवंतिका ----- अमित इसमें सूचियां हैं, लेकिन सब कुछ संस्कृत में लिखा है मुझे नहीं आती संस्कृत

अमित - लाओ मुझे दो मुझे आती है।

अमित रजिस्टर लेकर।

वंडर फुल अवंतिका हर पेज पर तिथि है कि किस दिन क्या क्या रखा गया है और हर पेज़ के नीचे शाही मोहर लगी हुई

अर्थात इस खजाने का पूरा मिलान इस रजिस्टर के द्वारा हो है। सकता है।

हां लगता है जब सवाई जयसिंह ने आक्रमण किया होगा तब अफरा तफरी में या तो इस खजाने के जानकार मारे गये होंगे या बंदी बना लिये गये होंगे।

अवंतिका हां और उन स्वामिभक्त जानकारों ने मरते दम

तक इस खजाने के बारे में कुछ बताया ही नहीं होगा।

अमित देंगे अब हम सरकार को हम इस खजाने की जानकारी

तो कितना हर्ष होगा।

इस किले की अभिक्षप्तता भी समाप्त हो जायेगी और खजाना भी मिल जायेगा।

अवंतिका अमित एक बात समझ नहीं आ रही, यदि कल रात वाले गाड़ियों वाले आदमी इस खजाने को लेने नहीं आये तो फिर फिर किले में अंदर क्या करने घुसे थे।

•अमित शायद इस किले के खंडहरों में कोई अवैध सामान

उन लोगों ने कहीं छिपाया हुआ है उसी के लिये आये होंगे।

अवंतिका ---इसकी जासूसी हम आज रात करेंगे।

चलो पहले इस खजाने की वी डि ओ रील बना लेते हैं।

उन तीनों ने खजाने के मूर्तियों के कई फोटो खींचे।

वीडिओ बनाई।

OMG 4 बज रहे हैं, वो चारों भी परेशान हो रहे होंगे,

चलो अब वापिस चलते हैं।

वो तीनों वापिस पीछे को घूम जाते हैं लेकिन उन्हें वो दीवार

ही

नहीं दिखती जहां से वो अंदर आये थे।

अवंतिका अमित रोहित, अब क्या होगा हम तो यहां पर कैद हो गये। कहीं से भी निकलने का रास्ता नहीं मिल रहा।

अब क्या करें।

अमित --- अवंतिका रिलैक्स अवंतिका कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ सुराग अवश्य मिलेगा।

अवंतिका अमित मेरे मोबाइल की बैटरी खत्म हो गई

अमित - मेरी भी।

रोहित - मेरी भी।

O.M.G हमने भी कैसी मूर्खता कर दी हमें चार्जिंग बैटरी साथ लेकर चलना था।

अवंतिका अब क्या करें अमित हम यहां फंस चुके हैं, और उन चारों से भी संपर्क नहीं कर पा रहे।

बाहर वो चारों ही हताश निराश हो रहे थे, लोगों ने तो वापिस जाना भी शुरू कर दिया था और उनके साथी तो सुरंग में क्या गये

जैसे सुरंग उनको निगल ही गई।

चारों में से किसी के भी मोबाइल से कोई संपर्क नहीं हो रहा
था,

ना ही मैसेज सेंड हो रहे थे।

अब क्या करें, प्रीती तो रोने ही लगी,

नियति ने प्रीती का हाथ पकड़ कर कहा- चलो हम शिव मंदिर में चल कर भगवान से प्रार्थना करते हैं, आशीष और संजू यहीं बैठे रहेंगे।

प्रीती और नियती मंदिर में प्रभु की मूर्ति के आगे बैठ कर प्रार्थना करने लगी।

हे शिव शंभू हमारे साथी तो निस्वार्थ भावना से लोगों की भलाई

का काम कर रहे हैं उनकी रक्षा करो प्रभु, रक्षा करो।

दोनों के गाल आंसुओं से तरबतर हो रहे थे।

आशीष और संजू एकटक उस काली सुरंग पर नजर गढ़ाये एथे चेहरा म्लान हो चुका था। क्या बाहर जाकर लखनवा हुए को बता दें।

संजू तुम यहीं बैठे रहना, में लखनवा को बताता हूं उसका भी मोबाइल स्विच आफ है।

आशीष द्रुत गति से बाहर गया, लेकिन अफसोस लखनवा मिला ही नहीं ना ही कार में था और ना ही किसी दुकान पर ।

आशीष मुंह लटकाये वापिस संजू के पास आ गया।

अब हमारा क्या होगा संजू ?

क्या होगा क्या उस तहखाने से निकल पायेंगे वो तीनों कैसे?." जानने के लिये बने रहियेगा अगले भाग में