009 सुपर एजेंट ध्रुव (ऑपरेशन वुहान) - भाग 18 anirudh Singh द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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009 सुपर एजेंट ध्रुव (ऑपरेशन वुहान) - भाग 18

ध्रुव के चेहरे पर पसरता तनाव उस वक्त समाप्त हो गया,जब उसने सामने स्क्रीन पर खुद को झांग म्याऊँ के रूप में वैरिफाई हो जाने का ग्रीन सिग्नल मिलता देखा।
टेक्नोलॉजी को भी मात दे डाली थी ध्रुव ने....

और फिर लैब के उस अतिसंवेदनशील भाग में प्रवेश करने का वह एकमात्र दरवाजा खुल चुका था......जिसके रास्ते बिना देरी किये ध्रुव अन्दर एंट्री कर चुका था।

.....................................

इस बीच चाइनीज सुरक्षा एजेंसियों को मिली इंडियन मूवमेंट की खबर के चलते वुहान एवं चाइना के अन्य प्रमुख शहरों में इन सुरक्षा एजेंसियों के खुफिया तंत्र भी पूरी तरह से सक्रिय हो चुके थे.....

देर रात में ही लोकल पुलिस एवं चाइनीज इंटेलीजेंस को भी अपने क्षेत्रों में होने वाली प्रत्येक संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखने का आदेश जारी कर दिया गया था।

उधर..... पब्लिक प्लेस की ओपन पार्किंग में रखी उस वैनिटी वैन में नशे में धुत एक चाइनीज युवक द्वारा अपनी कार को पार्क करते समय टक्कर मार दी गयी।
उस कार की बैक लाइट डैमेज हो गयी थी.......नशे में धुत वह युवक अपनी कार से नीचे उतर कर स्वंय की इस गलती का सारा दोष चीख चीख कर वैनिटी वैन पर ही मंडने लगा........साथ ही वैन का दरवाजा जोर जोर से पीटते अपनी कार में हुए नुकसान का हर्जाना भी मांगने लगा।

उस शराबी के कारण जेनी के काम मे व्यवधान हो रहा था,
उसी पार्किंग के पास मौजूद थॉमस यह सब देख कर उस चाइनीज शराबी के पास पहुंच कर उसे वहाँ से जाने के लिए समझाने लगा .....पर वह शराबी थॉमस से भी उलझ गया।

शराबी का शोरगुल सुनकर आसपास से गुजरते हुए लोग वहां एकत्रित हो गए थे......चूंकि थॉमस जानता था कि इस वक्त किस भी प्रकार का विवाद खड़ा करना उनके लिए ठीक नही होगा....इसलिए उसने गलती न होने पर भी उस सनकी शराबी को कुछ युआन मुद्राएं देकर मामला रफा दफा किया।

वह शराबी युवक बड़बड़ाता हुआ पैसे गिनते हुए वहां से चला गया।

थॉमस चैन की सांस लेने के बाद अभी वापस पलटा ही था कि उसके ठीक सामने चाइनीज लोकल पुलिस के एक ऑफीसर को खड़ा पाकर वह ठिठक गया।

"मैंने देखा कि तुमने बिना गलती के भी उस शराबी युवक को हर्जाना दिया....क्या मैं जान सकता हूँ 'ऐसा क्यों?'"
सड़क से गुजरते समय सारा वाकया देख चुके उसचाइनीज पुलिस के अफसर ने थॉमस से सवाल किया,शायद उस ऑफीसर को थॉमस के रवैये को देखकर किसी प्रकार का शक हुआ था।

"सर,मैं परदेशी हूँ,बिना मतलब के विवाद नही चाहता था, इसलिए।"

थॉमस ने सफाई देते हुए उस ऑफीसर से कहा।


Officer- "क्या मैं तुम्हारा पासपोर्ट देख सकता हूँ?"

Thomas- "बेशक"

और फिर थॉमस ने तुरन्त ही अपनी पॉकेट में रखे पर्स से पासपोर्ट निकालकर उस ऑफीसर को दिखाया।

Officer- "मिस्टर अल्वर्ट गुड्सहॉप फ्रॉम स्कॉटलैण्ड...एज 35 साल.....बिजिनेस पर्पज से आये है आप चाइना में"
ऑफीसर ने पासपोर्ट पर लिखी डिटेल्स को पढ़ते हुए दोहराया..

दरअसल थॉमस ने भी अल्वर्ट गुड्सहॉप नाम के साथ फेक डिटेल्स वाले पासपोर्ट के जरिये चाइना में एंटर किया था।

और वह ऑफीसर भी बाल की खाल निकालने पर तुला था.....

"मिस्टर अल्वर्ट....यह वैन आपकी है न ,क्या है इसमें? "

ऑफीसर के इस सवाल ने थॉमस को परेशानी में डाल दिया था,फिर भी उसने कुछ हद तक स्थिति सम्भालने का प्रयास किया

"कुछ भी नही....मैं बस अपने एक कैनेडियन बिजिनेस पार्टनर का वेट कर रहा था,इसलिए कार को पार्किंग में खड़ा किया है,उसके आते ही हम साथ मे एक बिजिनेस मीट में जाने वाले है।"

पर वह ऑफीसर अपने जेहन में दौड़ रही प्रत्येक शंका का समाधान करने से पहले वहां से टस से मस नही होना चाहता था।

"मैं एक बार चेक करना चाहता हूँ, आप कृपया इस वैन का गेट ओपन करें।"

थॉमस समझ चुका था कि अगर उस ऑफीसर ने वैन के अंदर झांक कर भी देख लिया तो उसके अंदर बनी सायबर लैब और जेनीफर को देख कर वह तुरन्त ही समझ जाएगा कि दाल में बहुत कुछ काला है।

Thomas- "सर,आप मुझ पर शक कर रहे है?"

Officer- "नही,मैं बस अपनी ड्यूटी कर रहा हूँ, हमें ऊपर से सघन चेकिंग के ऑर्डर मिले है....इसलिए आप कृपया सहयोग करते हुए गेट ओपन करें।"

थॉमस समझ चुका था,कि वह अब फंसने वाले है....और उनके फंसने का मतलब है....मिशन फेल्ड।

फिर भी वह चेहरे पर सामान्य से भाव रखते हुए पास खड़ी वैनिटी वैन के गेट के करीब पहुंच चुका था.....गेट बाहर से लॉक था.....थॉमस ने हाथ में पकड़े हुए रिमोट के एक बटन को प्रेस किया.....तुरन्त ही कार का दरवाजा खुलने की आवाज आई.…...

थॉमस ने उस ऑफीसर की ओर इशारा करते हुए उसे दरवाजा खोल कर वैन को चेक करने के लिए आमंत्रित किया.....उस ऑफीसर ने सावधानी के साथ आगे बढ़ते हुए उस वैन के गेट को हैंडल से पकड़ते हुए बाहर खींचा.....गेट खुल चुका था।

उधर ध्रुव वुहान लैब के सबसे संवेदनशील एवं सुरक्षित स्थान पर मौजूद उस लाइब्रेरी में पहुंच चुका था, जहां पर प्रोफेसर टिम ली ने उस पेनड्राईव को छिपाया था।

अपनी मंजिल के बेहद करीब पहुंच कर ध्रुव स्वयं को काफी रोमांचित महसूस कर रहा था।

यह एक विशालकाय लाइब्रेरी थी.....जिसमें बुक्स का अपार भंडार चारो ओर मौजूद था....ध्रुव ने व्यवस्थित रूप से विभिन्न बुक सेल्वस में सजों कर रखी पुस्तको पर नजर डाली तो महसूस किया कि सभी पुस्तकें अंग्रेजी के अल्फाबेट के अनुसार लेखकों के नाम के हिसाब से रखी गयी थी.......

प्रोफेसर सीवांग के बताए अनुसार ध्रुव को ब्रिटिश लेखक जॉन मिल्टन की पुस्तकों की तलाश थी.....

Aur fir kuch hi der ki mehnat ke baad bad dhruva ki talash khatm hui.....Library ke kone me rakhi hui ek dhool khaati hui book selves......Jisme haath se chinese bhasha me 'john milten books' likha hua ek sticker chipka thaa.......Dhruv ne क्रम से रखी हुई उन books ki jild pr लिखा हुआ नाम पढ़ना आरम्भ किया.......कुछ ही प्रयास के बाद उसे वह एक पुस्तक दिख ही गयी जिसका नाम था......'पैराडाइज लास्ट'

धूल चढ़ी हुई इस पुस्तक को बाहर निकालते वक्त ध्रुव जैसे आत्म संयमित इंसान की भी धड़के असामान्य थी.....क्योंकि इस पुस्तक में ही दुनिया की किस्मत बन्द थी।

पुस्तक को खोल कर ध्रुव ने तेजी से पलटा.....लगभग बीस पच्चीस पेज तेजी से पलटने के बाद उसने देखा कि बुक्स के अगले हिस्से में पेजो के बीचोबीच काट कर एक विशेष प्रकार की आकृति के रूप में रिक्त स्थान तैयार किया गया है ,जिसके ऊपर टेप लगा कर चिपकाया गया है..........टेप को उधेड़ते ही ध्रुव खुशी से झूम उठा.......जिस पेनड्राईव के अस्तित्व का प्रोफेसर सीवांग द्वारा कयास मात्र लगाया गया था.....वह सच में ही इस पुस्तक में मौजूद थी.......अर्थ स्पष्ट था कि प्रोफेसर सीवांग द्वारा बताई गई एक एक बात आईने की तरह साफ थी।

उस पेनड्राईव को अपनी ड्रेस में छिपाते हुए ध्रुव तेजी से बाहर निकला......वह जल्द से जल्द इस ड्राइव में मौजूद डाटा को अपने देश तक पहुंचाने के लिए उत्सुक था......

उधर जॉन अभी भी उसी गटर में ध्रुव के आने का इंतजार कर रहा था...चूंकि लैब में प्रवेश करते समय कोई भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस साथ ले जाना सम्भव नही था,इसलिए ध्रुव के पास इस वक्त कोई ट्रांसमीटर भी नही था .......प्लान के अनुसार घास में छिपी उस कैमरे वाली डिवाइस के जरिये ध्रुव को आता देखने के बाद उसको ट्रांसमीटर के द्वारा जेनी को मैसेज देना था.....और फिर जेनी के दोबारा से सीसीटीवी कैमरों को कुछ देर के लिए हैक करते ही उसी गटर के रास्ते लैब कैम्पस से बाहर निकलना था।

उस फेस रिकॉनाइजेशन सिक्योरिटी सिस्टम को पार करता हुआ ध्रुव लगभग उतने ही समय में लैब के प्रमुख द्वार तक आ पहुंचा था....जितना समय आमतौर पर झांग म्याऊ द्वारा अंदर लिया जाता था।

जाते वक्त भी गार्ड्स द्वारा ध्रुव की आईसी चेक की जा रही थी।
तभी अचानक से पास से गुजर रहे एक अन्य स्वीपर ने झांग से सवाल किया

"झांग.....क्या तुमको पता है 'साऊ चिन' कहां है?.....मैने आते वक्त उसे रास्ते में तुम्हारे साथ देखा था....मगर वह लैब में नही आया.......हमारे सुपरवाइजर उसकी लापरवाही के कारण नाराजगी के साथ उसके बारे में पूंछ रहे थे......मैने उन्हें बताया कि वह तुम्हारे साथ था.......तो उन्होंने तुमको बुलाया है.......वह साऊ चिन के बारे में पूंछना चाहते है।"

ध्रुव उसको नजरअंदाज करना चाहता था पर इस से पहले वह कुछ जबाब देता....पास खड़ा हुआ गार्ड मजाकिया अंदाज में बोल पड़ा

"जाओ...झांग, पहले अपने सनकी और तुनकमिजाज बॉस के सामने सफाई पेश करके आओ....फिर घर जाना"






उफ्फ ये कहां फंस गया था ध्रुव......ध्रुव ने झांग म्याऊँ का चेहरा तो हासिल कर लिया था,पर उसके जैसी बॉडी लैंग्वेज और उसकी शुद्ध चाइनीज बोली वाली टोन लाकर उसी के सहकर्मियों को बेवकूफ बनाना असम्भव था......और न ही ध्रुव के पास इतना समय था कि वह स्वयं को इस प्रकार की अनर्गल परिस्थितियों में उलझा कर नई परेशानी खड़ी करें......ध्रुव का अगला निर्णय अब पूरी तरह से उसके बुध्दि और विवेक पर ही निर्भर था।

कहानी जारी रहेगी।