तेरी चाहत मैं - 52 Devika Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तेरी चाहत मैं - 52

शाम को अजय जब रिया को लेने आया तो उसे पहली बार साडी मैं देख कर हैरान हो गया। रिया लाल रंग की साडी मे बेइंतेहा खूबसूरत लग रही थी। अजय के पास आकार रिया बोली "ऐसे क्या देख रहे हो, हमको तुम रोज देखते हो।" अजय रिया के ये कहने पर झेप सा गया और फिर बोला "असल मैं, मैं ये सोच रहा था की तुमसे ये साडी संभले गी की नहीं। आज तक तो तुमको कभी देखा नहीं साडी में।"
“तुम्हारा ना हम क़तल करेंगे, हमने इतनी मेहनत से साडी पहना है, और तुम हो की तारीफ करने की जगह हमको परेशान कर रहे हो। जाओ हमको नहीं जाना तुम्हारे साथ कहीं।" रिया नराज़ होते हुए बोली।
"अरे मैं तो मज़ाक कर रहा था, तुम आज बहुत अच्छी लग रही हो।" अजय ने रिया को मनाते हुए हुए कहा तो रिया बोली "मतलब हमें नहीं लगता, बहुत सही कह रहे हो अजय अभी से।"
“तुम लड़कियों को समझौता बहुत मुश्किल काम है। बात समझती नहीं है और फलतू मे लड़ाई करती हैं!" अजय के ये कहने पर रिया बोली "अछा! हम्म् लडकियां, कितनी कितनी लड़कियों को जानते हो तुम अजय, जरा पहले ये तो बताओ। हमको लग रहा है की तुम हम से बहुत कुछ छुपा रहे हो।"
“ऐसा कुछ नहीं है, हमको माफ करदो, गलती हो गई, अब से तुम जब कभी जैसे भी सामने आएंगे हम तुम्हारी तारीफ के पुल बंद देंगे। अब अगर तुम्हारा दिल करे तो मेरे साथ चलो।” अजय ने थक कर कहा।
"हां हमको भी तुम्हारे साथ कहीं जाने का शौक नहीं।" ये कह कर रिया अंदर चली गई।
अजय उसे जाते हुए देखता रहा। उसे उसको रोका नहीं। रिया भी गुस्से में थी, पलट के देखा भी नहीं। उसे सोचा की कम से कम मनाता ही। अजय ने सोचा की इतनी सी बात का इतना बड़ा मसला बना दिया। क्या सिर्फ यही तो नहीं कहा की वो अच्छी लग रही है। अब इसमे इतना नराज होने की बात तो है नहीं। अजय भी वहा नहीं रुका।

रात के कोई 10 बजे अजय के फ्लैट की बेल बाजी। रोहित ने दरवाजा खोला तो सामने रिया को देख कर घबड़ा गया। उसके हाथ में सैंडविच था जो उसे जल्दी से मूंह में ठूस लिया।
"अजय कहां है?" रिया ने गुस्से से पूछा।
"वाह ... वाह!" रोहित कुछ बोलता उसे पहले रिया बोली "रहने दो, खाने के अलावा तुमसे कुछ नहीं होगा।"
"क्या हुआ रिया आप यहां कैसे?" साहिल ने पूछा तो रिया बोली "हां अजय कहां है। मुझे उससे कुछ बात करनी है।"
"बालकनी मैं बैठा है। कोई खास बात!” साहिल ने पूछा।
“नहीं कोई खास बात। तुम लोग क्या कर रहे थे?” रिया ने पुछा
"कुछ खास नहीं, बस मूवी देख रहे थे।" रोहित बोला
"ओह, मतलब कोई खास काम नहीं है आज तुम्हारे पास।" रिया ने मुस्कुराते हुवे पूछा।
"नहीं, कोई खास काम नहीं है।" साहिल बोला
“ठीक है, तुम दोनो याहा से अभी निकल लो। और जब तक मैं बोलूं नहीं आना मत घर के अंदर।” रिया ने मुस्कुराते हुए कहा।
"पर हम इतनी रात मैं कहां जाएंगे।" साहिल बोला
"लेट नाइट मूवी, किसी होटल मैं जा के सो जाओ। बहुत ऑप्शन है।" रिया ने कहा।
"पर… रिया!" रोहित कुछ बोलता उसे पहले रिया बोली "चुप चाप निकल रहे हो या तुम लोगो में बहार का रास्ता दिखाऊं । पर उसमे तुम्हारा सर ज़रूर टुटेगा।”
“साहिल चल भाई, देर ना कर। रिया तुम परेशान ना हो, हम जा रहे हैं।" रोहित साहिल को खींचते हुए बोला।
"गुड बॉयज! जल्दी समझते हो. चलो मैं तुम दोनो को दरवाजे तक छोड़ देती हूं" रिया बोली
“भाई ये क्या हो रहा है, हमको हमारे घर से निकला दिया गया है। आज अजय का क्या होगा!” रोहित धीरे से साहिल से बोला, पर रिया ने सुन लिया और बोली "अपनी खैर पहले मना लो, अजय की बाद मैं सोचना।"
ये सुन कर फिर वो दोनो नहीं रुके, तीर की तरह लिफ्ट मैं सवार हो गए। रिया जैसी आफत का सामना करना उनके बस की बात वैसी भी थी नहीं।

रिया बालकनी मैं पहुची। देखा अजय कानं मैं हेडसेट लगाये आंखे बंद किए गाने सुन रहा था। उसे देख कर रिया मुस्करा दी, फिर धीरे से उसके पास पहुंची। अजय को भनक भी नहीं लगी। अपना सर उसके सीने पे रख कर वो वही उसके पास बैठ गई।

अजय की आंख एकदम से खुल गई। रिया को देख कर बोला "रिया आप यहाँ कैसे!"
"कुछ ना बोलो अजय, हमको तुम्हारी धड़कनो मैं अपना नाम कुछ और देर सुन दो।" रिया ने अजय के सीने पे सर रखे - रखे कहा तो अजय ने भी कुछ नहीं किया। बस धीरे से उसकी जुल्फों मैं अपनी उनगलियां फिराने लगा। कुछ देर बाद अजय को महसूस हुआ की उसकी टी-शर्ट भीगी हुई सी है। उसने रिया के चेहरे को उठाया तो देखा का उसका सुरखाब जैसा चेहरा उसके आंसुओं से भीगा हुआ था।
“रिया आप रो क्यूं रही हैं। क्या हुआ।" अजय ने तड़पते हुए पूछा, उसके लेहजे मैं परेशानी साफ झलक रही थी।
"हमें आज तुम्हारा दिल दुखाया है। रो लेने दो हमको। हम इसी लायक हैं।" रिया रुआसी होते हुए बोली। उसके लेहजे मैं सक्त अफसोस था।
“ये क्या कह रही है आप रिया। गलती तो हमारी थी। आप प्लीज ना रोइए। और हम आप से नराज़ नहीं हैं, बिलकुल, बस हम वक्त हम दोनो ही गुस्से में थे।" अजय उसके आंसू पोछते हुए बोला।

"तुमने हमको माफ़ किया!" रिया अजय को देखते हुए बोली।
"हां पर एक शर्त पे, तुमको हमको भी माफ करना होगा।" अजय ने रिया से कहां
"ठीक है, हम अपने कान पकड़ते हैं। मुझे अफ़सोस है!" रिया के चेहरे पे मुस्कुराहट लौट आई थी।
“आप ठीक से अपने कान नहीं खींच रही है। लाए मैं खींचता हूं।" ये कह कर अजय ने रिया के कान जरा ज़ोर से खीचे। "आह इतनी ज़ोर से खीचे तुमने, रुको अभी बताते हैं हम!" ये कहकर रिया ने अजय के कान मारोड दिए।
"अछा - अच्छा अब बस भी करो दर्द होने लगा है।" अजय ने रिया से मिन्नत कारी तो रिया ने उसके कान छोड़ दिए और फिर से उसके सीने पे सर रख कर बैठ गई।

"अजय, एक बात बताओ, क्या हम आज तुमको अच्छे नहीं लग रहे थे।" रिया ने कुछ देर बाद पूछा
"आप आज बहुत ख़ूबसूरत लग रही थी" अजय ने जवाब दिया
"तो फिर बोले क्यूं नहीं।" रिया ने कहा। अजय ने आसमान की तरफ इशारा किया फिर बोला "असमान में चांद दिख रहा है रिया, हम सबको पता है की वो कितना खूबसूरत है। चाहे कुछ भी हो जाए, चांद की खूबसूरत मैं फरक नहीं पड़ता। उसी तरह, तुम हमें अच्छी लगती हो मुझे, और जो चीज हमें अच्छी और खूबसूरत हो, उसकी तारीफ क्या करना। मैं करूँ ना करूँ, तुम हमें मेरे लिए ख़ूबसूरत ही थी। मेरे लिए हमेशा खूबसूरत ही रहोगी।”

"ओह माई गोड, इतनी अच्छी लगती हूं मैं तुम्हें। इतना चाहते हो तुम मुझे। और मैं पागल सिर्फ इतनी सी बात पे तुमसे लड़ पड़ी। तुम समंदर की तरह हो अजय, इतनी गहराई है तुम्हारे अंदर। क्या हम तुम्हारे काबिल हैं भी। हमको एक अंजना सा खोफ महसूस होने लगा है।" रिया अजय परेशान होते हुए बोली।

“पागल हो क्या। आपके अलावा मैं किसी और का सोच भी नहीं सकता। और अपने को कैसे मेरे ना-काबिल माना आपने। दुबारा ऐसा मत कहियेगा।” अजय ने रिया की आंखें में देखते हुए कहा। कुछ देर दोनो एक दुसरे की आंखें मैं खोए रहे।

फ़िर रिया बोली "अजय, हमको भूख लग रही है।"
अजय हैरानी से बोला "मतलब!"
“वोह हमको भूख लगी है। प्लीज हमारे लिए कुछ बना दो ना खाने को!" रिया बोली
"है ये क्या बात हुई। तुम मुझसे ही क्यूं बनवाती हो, कभी खुद भी बना के खिला दिया करो मुझे।” अजय उठते हुए बोला।
"अब हम क्या करें हमको कुछ बनाना नहीं आता तो, पर हम जल्दी ही सीख लेंगे। हम कोशिश तो कर रहे हैं।” रिया अजय के पीछे पिछे आते हुए बोली।
“मैं समझ गया। पर शादी के बाद क्या होगा। तब भी लगता है मैं ही किचन मैं रहूंगा। मेरी लाइफ मैं कुछ चेंज नहीं होने वाला। अभी रोहित है, रात को कभी भी आके कहता है, भाई कुछ बना दो। आने वाले दिनो मैं आप हैं।" अजय किचन मे फ्रिज चेक करते हुए बोला।
"पर हम तुमको प्यार भी तो करेंगे ना।" रिया उसके पास आके बोली।
"अच्छे प्यार के अलावा क्या करोगी।" अजय ने पूछा।
"इस्के अलवा हम तुम्हारे हाथ से खाना खांयेंगे।" रिया ने मजे लेकर कहा।
“हे भगवान इस लड़की में कुछ अक्ल डालिये। वर्ना मैं क्या करुंगा।” अजय ऊपर देखते हुए बोला।
उसकी ये हरकत देख कर रिया हसने लगी और अजय भी मुस्कुराते हुए उसके लिए सैंडविच बनाने लगा।

रिया और अजय के लिए दिन अजीब रंग लाया था। पहले दोनो मैं वक्त तकरार हुई, और फिर दोनो ने मोहब्बत के नए फासले पार किए। दोनो की मोहब्बत अब धीरे- धीरे आगे बढ़ रही थी, जिसको अभी बहुत आगे जाना था।


To be continued
in 53th Part