तेरी चाहत मैं - 46 Devika Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तेरी चाहत मैं - 46

शाम को एयरपोर्ट पर अजय ने मुकेश रॉय से इजाजत ली की क्या उनकी गैर हाजीरी में उनके घर जा कर रिया से मिलना सही होगा तो मुकेश रॉय हंसते में बोले "किस जमाने मैं जी रहे हो अजय, तुमको मेरे घर में आने जाने के लिए कोई इजाज़त की ज़रूरत नहीं। और जब हमने रिया को दिल से तुम्हारे मना लिया है तो हमको कोई ऐतराज नहीं है। हां पर जरा संभल लेना, रिया मान तो गई है पर थोड़ा गुस्से में है।”

"मतलब..." अजय परेशान होते हुए बोला तो मुकेश रॉय बोले " तुम तो रिया का मिजाज़ जानते हो। थोड़ा नाराज है तुमसे बस, और कोई बात नहीं। हमको यकिन है की तुम दोनो जल्दी ही एक दुसरे को पसंद करने लगोगे। "


तभी फ्लाइट का अनाउंसमेंट हुआ और मुकेश रॉय ने अजय को ऑफिस के लिए कुछ हिदायत दी और चले गए और अजय सोचता हुआ कार की तरफ बढ़ा की बहुत बुरी तरह जिंदगी उथल पुथल होने वाली है। कुछ वक्त मैं वो मुकेश रॉय के घर पहुंच गया।

गार्डन मैं माली से पूछा की रिया कहा है। उसने बतया की वो पिछे लॉन मैं है। अजय लॉन की तरफ बढ़ गया। लॉन मैं रिया में चहल कदमी कर रही थी।

"रिया आपको क्या बात करनी थी मुझसे!" अजय ने रिया से पूछा तो रिया अजय के पास आके बोली "हमको तुमसे बहुत जरूरी बात करनी है, पर उससे पहले हमको तुम्हारा मुह तोड़ना है।" रिया ने गुर्राते हुए अजय पर सवार हो गई। अजय लड़खड़ा कर गिर पड़ा। रिया उसपर सवार हो कर उसे मारने लगी। अजय उसे रोकने के लिए कहता रहा पर रिया ने उसके चेहरे को नोच लिया।

“हम तुम्हारा मूह नोच लेंगे, सर तोड़ देंगे, मार डालेंगे तुमको। तुम्हें ने पापा को भड़काया है, जो वो हमारी शादी तुमसे कर रहे हैं।" रिया गुस्से से बोली और फिर पागलों की तरह अजय को मारने लगी। अजय को भी गुस्सा आ गया और वो रिया को उसने अलग किया और उठा कर खड़ा हो गया। रिया पलटी और फिर उसे अजय को मरना चाहा पर इस बार अजय ने रिया के हाथ पकड कर उसे अपने गिरफ्त में ले लिया और बोला "तुम्हारा दिमाग खराब है। और सुनो तुम कोई हूर परी नहीं हो जो तुमसे शादी करने के लिए मैं मरा जा रहा हूं। तुम्हारे पापा ने मुझसे कहा है और मैं उनकी बात नहीं टाल सकता था। वर्ना अगर दुनिया मैं तुम आखिरी लड़की भी हो तो मैं तुमसे बात ना करूं, शादी तो दूर की बात है।" ये कह के उसे रिया को झटके के अपने से अलग किया और वहां से जाने लगा।

तो तुम कोई कहीं के शहजादे नहीं हो जो हम तुमसे शादी करने को तरस रहे हैं। हम सिर्फ अपने पापा का मान रख रहे हैं। वर्ना हमको पता है की तुम सिर्फ दौलत के लिए ऐसा कर रहे हो।

अजय ये बरदाश्त नहीं कर पाया "वो पलटा और रिया के पास आके बोला, इस दौलत का गुरूर मत करो रिया, इस्के बिना तुम्हारा कोई वजूद नहीं है। तुम जो इतनी सुकून भरी जिंदगी जी रही हो वो सिर्फ दौलत की वजह से है। वर्ना तुम्हारा कोई वजूद है ही नहीं। हां मुझे अपनी मेहनत पर भरोसा है, मैं दुनिया मैं अजय के नाम से जाना जाता हूं, अपनी कब्लियत और मेहनत के लिए पहचाना जाता हूं। मैं कही भी अपने बूते पे जी सकता हूं, पर तुम क्या हो तुम्हारी कोई पहचान नहीं, तुम सिर्फ़ मुकेश रॉय की बेटी के नाम से जानी जाती हो। क्या दौलत के बिना तुम्हारा कोई वजूद नहीं है। तुम अपने लिए अपने बूते पे एक वक्त का खाना तक नहीं खा सकती हो।” ये कह कर अजय वहां से चला गया।

रिया उसे कोई जवाब नहीं दे सकी, क्योंकि उसे पता था की जो उसने जो कहा था वो बिलकुल सच था।

To be continued
Part 47th