सात फेरे हम तेरे - भाग 58 RACHNA ROY द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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सात फेरे हम तेरे - भाग 58

माया ने कहा देखो नैना जो कुछ निलेश का है वो अब तेरा है।
नैना ने कहा ये क्या बोल रही हो दीं।
मैं तो कभी ये सब सोचा ही नहीं था ‌निलेश ने जो कुछ मेरे लिए किया उसका कर्ज कभी नहीं चुका पाऊंगी।
तभी तो मैं अपना सब कुछ छोड़ कर आपके पास आ गई थी। जबकि निलेश ने मुझे कोई अधिकार नहीं दिया था।पर फिर भी आ गई।
निलेश ने मेरे साथ कभी कुछ भी नहीं किया अपने प्यार का इजहार वो अपनी आंख देकर चला गया। इसके लिए मैं उसे शत् शत् नमन करती हुं भगवान उसकी आत्मा को शान्ति प्रदान करें।
माया ने कहा हां ठीक कहा तुमने।पर अगर निलेश की सारी चीज़ें पर तुम्हारा हक नहीं है तो फिर किसका है। निलेश के जाने के बाद तुमने उसकी कला को एक मुकाम पर पहुंचाया क्योंकि निलेश का मन था कि उसकी प्रतिभा को एक आकार मिलें और फिर तुमने ही तो विदेश में उसको कला को कितने लोगों तक पहुंचा दिया।
नैना ने कहा हां दीदी मैं जो कुछ भी किया वो अपनी खुशी से किया।
फिर दोनों ही जाकर सो गए।
शाम को तीनों घर वापस आ गए।
रात को डिनर के समय सागर का फोन आया और बोला कि ठीक से पहुंच गए।
माया ने कहा कि ठीक है कल बात करते हैं।
फिर सब रात को बैठ कर शादी की सारी खरीदारी देखने लगें।
माया ने कहा कभी ऐसा सोचा नहीं था कि मेरी शादी इस उम्र में होगी। विक्की ने कहा अरे दीदी शादी की कोई उम्र नहीं होती है ये तो बस एक एहसास है और कहीं न कहीं हमे किसी की जरूरत पड़ती है जिंदगी भर के लिए।
नैना ने कहा हां एक साथी होना चाहिए ऐसा होने से जिंदगी चल पड़ी।।

जिंदगी प्यार का गीत है जिसे हर दिल को गाना पड़ेगा। जिंदगी ग़म का सागर भी है हंस के उस पार जाना पड़ेगा।।
ये गाना बजने लगा।।
विक्की ने कहा हां दीदी कल तो बिमल और अतुल भी चलें जाएंगे।
विक्की ने कहा कि दीदी क्या हम परसों नैना को लेकर जा सकतें हैं।
नैना ने कहा हां पर कहां? विक्की ने कहा अरे बाबा भरोसा नहीं है क्या।
माया ने कहा हां भाई नैना जरूर जाएंगी।
नैना ने कहा मैं अब सोने जा रही हुं।
विक्की ने कहा अच्छा गुड नाईट।।
माया भी सोने आ गई।
नैना ने कहा अरे दीदी विक्की अचानक क्यों मुझे लेकर जाना चाहता है।
माया ने कहा अरे बाबा एक बार जा न।
नैना ने कहा हां ठीक है फिर नैना सो गई पर उसे वो पल याद आ रहा था जिस पल विक्की ने उसे ये एहसास कराया कि वो कितनी खूबसूरत हुं
वो कितना अच्छा है क्या वो मुझसे शादी करेगा।।
फिर नैना गहरी नींद में सो गई।
फिर दूसरे दिन सुबह सब जल्दी से नाश्ता करने लगे। विक्की ने कहा चलो तुम दोनों को छोड़ कर हम भी निकल जाएंगे

नैना ने कहा अरे बाबा बताओ ना कहां जा रहे हैं हम? विक्की ने कहा अरे बाबा थोड़ा सा सब्र करो ना।
माया ने कहा हां ठीक है मैं भी स्कूल में जाकर आज एक रेजिग्नेशन दे देती हुं।

फिर एक पार्टी भी देना होगा।
विक्की ने कहा हां दीदी सबको एक दिन घर पर बुलाओ।
माया ने कहा हां सच में बहुत कुछ मिलता है
तुम्हारा नेचर निलेश से।

विक्की ने हंसते हुए कहा शायद ये निलेश ने ही कहा।
फिर नैना भी तैयार हो गई थी।
फिर सब निकल गए।


गाड़ी निकाल कर विक्की ने कहा आओ सब सीट बैल्ट लगा लो।।
फिर सब निकल गए।
कानपुर बस स्टैंड पर बिमल और अतुल उतर गए।
और फिर बोलें की अब अगले महीने मिलते हैं।
फिर विक्रम सिंह शेखावत ने कहा ने कहा अब सामने आ जाओ।
नैना बाहर निकल कर सामने बैठ गई।
फिर सीट बेल्ट भी लगा लिया।
नैना ने कहा अब तो बताओ हम जा कहा रहे हैं।

विक्की ने कहा अरे बाबा चलो तो सही।
पहले हम मोती झील जाएंगे।
नैना ने कहा अच्छा मोती झील ।।
विक्की ने कहा एक बात पूछूं क्या?
नैना ने कहा हां ।
विक्की ने कहा वो उस दिन माॅल में जो कुछ हुआ क्या तुम्हें अच्छा लगा?
नैना ने कहा ये कैसा सवाल है।
विक्की ने कहा प्लीज़ मुझे बुरा मत समझना पता नहीं उस दिन मैं अपने बस में नहीं था।
नैना ने कहा हां मैं भी उसके पर के बाद अभी तक खुद को नहीं संभाल पाई हुं कैसे हुआ मुझे भी नहीं पता।
कुछ देर बाद ही हम मोती झील पहुंच गए।
वाह वाह क्या जगह है।
नैना ने कहा हां बहुत ही मनमोहक दृश्य है।
नैना ने पुछा कि आज अचानक मुझे अकेले में घुमाने क्यों ले आएं?
विक्की ने कहा हां मुझे कुछ बताना है तुम्हें बहुत ही जरूरी बात।
नैना ने कहा ऐसा क्या है जो घर में नहीं बता पाए।
विक्की ने कहा हां कुछ ऐसा है जो मैं सबको नहीं बता सकता था।
नैना ने कहा प्लीज़ मुझे कुछ ऐसा मत बताना जो मै सहन ना कर पाऊं।
मैं क्या थी और अब क्या बना दिया तुमने मुझे।
हम तो जी रहे थे अचानक तुम मेरी जिंदगी में आ गए।
विक्की ने कहा देखो मेरे बस में कुछ भी नहीं था ना पहले और ना अब।।
नैना ने कहा ऐसा क्यों है कि तुम अपनी काम काज छोड़ कर यहां हो और खुद को आर्मी ऑफिसर कहते हो।

फिर वहां पर लोगों की भीड़ काफी आ गई थी और फिर एक गाइड सारी जानकारी दे रहा था।
मोती झील, कानपुर के बेनझाबर इलाके में स्थित है, एक खूबसूरत झील होने के साथ-साथ एक बेहतरीन दर्शनीय स्थल भी है। आपको बता दें, इस झील का निर्माण अंग्रेजों के समय में शहर को पानी उपलब्ध कराने के लिए किया गया था। बाद में, बच्चों के लिए इसे मनोरंजक बनाने के लिए इसमें पार्क और लैंडस्केप गार्डन जोड़ा गया। यहां कई फूड स्टॉल और एक्टिविटी के लिए आप यहां बोटिंग भी कर सकते हैं। आप यहां सुबह 5 बजे से रात के 9 बजे के बीच कभी भी आ सकते हैं।
विक्की ने कहा चलो हम बोटिंग कर लें।
फिर नैना और विक्की बोटिंग करने लगे। नैना पहले डरने लगी थी पर विक्की ने उसको पकड़ लिया था तो नैना थोड़ी ठीक हो गई थी।
फिर वहां से निकल गए।।
विक्की ने कहा पहले लंच करने चले।
नैना ने कहा हां ठीक है।
फिर वहां से एक रेस्तरां में जाकर दोनों बैठ गए।
नैना थोड़ी सी गुमसुम सी थी।
विक्की ने कहा अरे बाबा क्यों ऐसा मुंह बनाई हो
नैना ने कहा मुझे डर लगता है।
विक्की ने कहा किस बात का।
नैना ने कहा ये कहीं फिर से मेरा सब कुछ न खो जाएं।
विक्की ने कहा अरे बाबा ऐसा मत कहो। अब बोलो क्या खाओगी।
नैना ने कहा कुछ भी नहीं।
विक्की ने कहा मुझे बहुत भुख लगी है। नैना ने कहा ठीक है मंगवा लो।
फिर विक्की ने खाना आर्डर कर दिया।
कुछ देर बाद खाना सर्व हो गया।

विक्की ने एक निवाला नैना को खिला दिया और फिर बोला ये हमारे प्यार के नाम। नैना ने एक निवाला विक्की को खिलाया और फिर बोली ये सब कुछ बोलने के लिए।
विक्की ने कहा हां बाबा सब कुछ बता दुंगा तुम्हें।

फिर वहां से निकल कर विक्की ने कहा अब फूल बाग चलते हैं। बहुत कुछ है देखने को।।
गाड़ी में बैठ गए दोनों एक दूसरे को देखने लगें। नैना ने कहा कसम है जो कुछ भी छुपाए।
विक्की हंसने लगे और फिर बोला हां नैना देवी।।
नैना ने कहा देवी हुं मैं।
नैना ने फिर कहा कहा तुम कहां हम। तुम ठहरे विक्रम सिंह शेखावत एक आर्मी ऑफिसर जो पता नहीं यहां क्या कर रहा है।अपना विदेश छोड़ कर यहां क्यों आए । मेरे लिए ऐसा तो नहीं लगता।
एक साल होने वाला है विक्की तुम्हारा हमारे साथ।।
विक्की ने कहा अरे बाबा ये पुलिस अधीक्षक बन गई हो
नैना ने कहा सही कहा हां,हां,हां,
फिर फूल बाग पहुंच गए।
नैना ने कहा पता है मैं यहां निलेश के साथ आई थी जब उसने मुझे।।
विक्की ने कहा उसने मुझे क्या?
नैना ने कहा हां क्यों क्या हुआ एक बात बोलो जैसा उस दिन मेरे साथ किया ऐसा कितनी बार किया होगा तुमने क्यों?
विक्की ने कहा क्या तुम मुझे क्या समझती हो मैं लोफर हुं जो सब को किस करता फिरूगा।

फूल बाग, कानपुर में एक शहरी पार्क है, जो कि एक ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। ये एक सदी से भी अधिक समय से राजनीतिक रैलियों और जनसभाओं का स्थल रहा है। इसे 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश प्रशासन के मनोरंजन स्थल के रूप में डिजाइन और निर्मित किया गया था। आज, यहां के प्रमुख स्थलों में से एक कानपुर संग्रहालय भी है, जिसे शहर का सबसे बड़ा संग्रहालय, फूल बाग में स्थित है। कानपुर संग्रहालय औपनिवेशिक काल से लेकर आधुनिक कानपुर तक की कलाकृतियों और दस्तावेजों को प्रदर्शित करता ।।

चलो अब कुछ देर यहां बैठे।
क्रमशः