Saat fere Hum tere - 57 books and stories free download online pdf in Hindi

सात फेरे हम तेरे - भाग 57

नैना ने बहुत कोशिश किया पर हाथ नहीं छुड़ा पाई।
और फिर उसे कुछ याद आया और फिर बोली ओह मेरा मोबाइल।।
ये सुनकर विक्की ने अपना हाथ हटा लिया।
नैना ने तुरंत मोबाइल लेकर कुछ देखने लगी।

फिर सब खाने के बाद वही पर कुछ चादरें अन्य सामान, हैंड बैग देखने लगें।

फिर सागर ने माया को एक लहंगा खरीद दिया।
माया ने कहा क्या बुढ़ापे में ये सब पहनूंगी। सागर ने कहा अरे बाबा तुम भी ना ये सब मत बोलो ।।जो जो कर सकता हूं कर दुंगा।
माया ने कहा हां ठीक है फिर लहंगा खरीद लिया।
विक्की ने कहा नैना तुम भी ले लो।
नैना ने कहा नहीं मुझे नहीं लेना है। विक्की ने कहा लेना तो होगा ही।
फिर एक मेहरून रंग का लहंगा उठा कर विक्की नैना के हाथों में दे दिया । नैना ने कहा पर मुझे नहीं लेना है।पर विक्की कहा सुनने वाला था वो नैना को देखते ही आगे बढ़ने लगे और फिर सामने ही लेडिज टायल रूम था और फिर नैना भी बुत बन कर खड़ी रही और फिर लाइट गोल हो गया और नैना के साथ विक्की भी रूम में बन्द हो गया।
नैना ने कहा ओह माई गॉड अब क्या होगा।
विक्की ने कहा सब कुछ तुम्हारी वजह से हुआ अब क्या होगा।
दोनों ही एक दूसरे को पकड़ कर झगड़ने लगे और दोनों इतने करीब आ गए कि नैना कोशिश भी कर ले तो वो निकल नहीं पाएंगी।
विक्की ने मौके की नजाकत को देखते हुए अपने मोबाइल से टार्च जलाकर नैना को देखते देखते नैना के बालों को सहलाने लगा और फिर नैना के माथे को चूमा और फिर उसकी आंखों को देखते हुए चूमा और फिर नैना खुद को विक्की से दूर करने की कोशिश करने लगी। विक्की ने कहा नैना आई लव यू।कह कर उसके होठों को चूमने लगा। और फिर नैना भी मदहोश हो गई और विक्की को अपने गले से लगा लिया।
कुछ देर बाद लाइट आ गई और फिर दोनों खुद को एक-दूसरे के इतने करीब देख कर ये एहसास हो गया था कि क्या हुआ था।
विक्की ने कहा तुम ठीक हो। नैना कुछ भी नहीं बोली और इशारे से बाहर जाने को कहा।
विक्की बाहर आ गया और फिर उसने सब शीशे में खुद का चहरे देखा तो जल्दी से उसने रूमाल से पोंछने लगा और मन ही मन मुस्करा रहा था। ये क्या ये तो नैना के लिपस्टिक थे।
फिर विक्की वहां से सबको ढुंढने लगा।

कुछ देर बाद माया सागर और अतुल बिमल सब मिल गए।

माया ने कहा अरे बाबा कहां थे? विक्की ने कहा अरे यही था।
कुछ देर बाद नैना आ गई। विक्की उसको ऊपर से नीचे देखता रहा और फिर बोला अरे ये तो ठीक है ले लो।
नैना ने अपनी पलकें झपका दिया।
फिर सब शापिंग मॉल से वापस घर के लिए निकल पड़े।


विक्की गाड़ी चलाने लगा और फिर वो उस पल को याद करने लगा जिस समय नैना उसके इतने करीब थी।
नैना क्या चाहती है मुझे नहीं पता पर फिर भी मुझे उसका इन्तज़ार है।
उधर नैना भी उस पल को याद करते हुए झूम उठी कैसा ये एहसास था। ये तो कभी निलेश के साथ रहते हुए मैंने महसूस नहीं किया क्योंकि निलेश ने कभी मेरे साथ ऐसा किया ही नहीं था।

फिर सब घर पहुंच गए। पैकेट रख कर सब फ्रेश होने चलें गए।
माया ने सागर का बेड तैयार कर दिया।
नैना भी अन्दर पहुंच कर बाथरूम चली गई और फिर खुद को आईने में देखने लगी ये कैसा गुरूर है दिल को जाने कैसा शुकून है ये दिल अब जीने को चाहता है उसके प्यार में मर जाने को दिल करता है ।।

फिर नैना रूम में आ गई तो देखा मैसेज था।
नैना ने चेक किया तो देखा विक्की ने लिखा तुम ठीक तो हो ना।मैं जानता हूं तुम भी उस पल को पहली बार महसूस किया है और शायद मैंने ये एहसास कराया है।
तुम क्या चाहती हो मुझे बताना जरूर।
नैना ने कहा सैम की क्या जगह है तुम्हारे जिंदगी में।
विक्की ने कहा हा, हा, हा।
नैना ने कहा हां ठीक है मैं समझ गई।
फिर नैना ने फोन ही बन्द कर दिया।
विक्की ने कहा लो इतनी नाराजगी फोन बंद कर दिया।
फिर सब सो गए।
नैना सारी रात सो नहीं पाई रह रह कर उसे वो पल ,वो एहसास वो लव को छूना ये सब याद आ रहा था। नैना ने कहा क्या हो रहा है मुझे मैंने उसे क्यों करने दिया ये सब। निलेश ने कभी मुझे एक किस नहीं किया और विक्की ने जो किया क्या मैं चाहती थी कि वो ये सब करें। उसके छूने से मुझे क्यों एक अजीब सा शुकून मिलता है उसके देखने से मैं जी उठती हुं क्यों लगता है कि वो मेरे पास रहें। क्या विक्की मेरे साथ नाटक कर रहा है धोखा दे रहा है मुझे वो।।

फिर नैना भी सो गई।
दूसरे दिन सुबह सब जल्दी जल्दी नाश्ता करने लगे। सागर जी आज वापस जा रहें हैं। अगले महीने ही मिल रहें हैं हम।
विक्की ने कहा हां जीजू मैं होटल बुक कर लूंगा।
सागर ने कहा हां ठीक है पर मैं सब पेमेंट कर दूंगा।
विक्की ने कहा हां ठीक है जीजू आप वो दीं को दे देना। माया ने कहा भाई रूलाएगा क्या।
फिर सागर ने पैकिंग कर लिया।
सागर ने कहा सोना खरीदना था पर अब वहां पर ही कर लूंगा। माया ने कहा हां ठीक है। सागर ने कहा पर मैं चाहता था कि तुम्हारी पसंद का हो।
माया ने कहा बात एक ही है तुम्हारी पसंद मेरी पसंद।
सागर ने कहा हां ठीक है।
नैना ने कहा सब खाना खाने बैठ जाओ।
अतुल ने कहा कल हम भी जाएंगे अब अगले महीने मिलते हैं।
माया ने कहा हां ठीक सब जाओ।।
अतुल ने कहा अरे दीदी जाऊंगा तभी आऊंगा ना।
नैना ने कहा खाना लग चुका है।
विक्की बार बार नैना को देख रहा था और फिर वो इशारे से नैना को अपने बगल वाली सीट पर बैठने को कहा।
पर नैना ने अतुल को बैठा दिया और खुद हंसने लगी।
फिर सागर को एयरपोर्ट छोड़ने अतुल बिमल और विक्की चले गए।
माया रोने लगी तो नैना ने कहा अरे दीदी सागर जी तो मिलेंगे।
माया ने कहा मैं इस घर के लिए रो रही हुं ये सब कुछ छोड़ कर जाना होगा। नैना ने कहा निलेश भी तो यही चाहता था।।।
माया ने कहा हां ठीक कहा तुमने। निलेश हमेशा कहा करता था कि मैं एक बार जरूर सागर जी के साथ बात करूंगा।

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