युद्ध कला - (The Art of War) भाग 15 Praveen kumrawat द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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युद्ध कला - (The Art of War) भाग 15

13. गुप्तचरों का प्रयोग

सुन त्सू के अनुसार एक लाख लोगों की सेना बनाकर उसे
दूर-दराज के इलाकों में तैनात करने पर भारी आर्थिक क्षति होती है। इतनी बड़ी सेना का प्रतिदिन का खर्चा एक हजार चांदी के सिक्कों के बराबर आता है। इससे देश के भीतर और बाहर अफरा-तफरी उत्पन्न हो जाती है, सैनिक थक जाते हैं, तथा कम से कम सात लाख परिवारों के विकास की गति प्रभावित होती है।
रण क्षेत्र में तैनात सेनाएं उस जीत को पाने के लिए एक दूसरे के सामने वर्षों तक डटी रह सकती हैं जिसे किसी को कुछ सौ चांदी के सिक्के प्रदान करके मात्र एक ही दिन में हासिल किया जा सकता हो, कंजूसी, बेवकूफी अथवा अमानवीयता की इससे बड़ी मिसाल शायद ही कोई मिलेगी।

सुन त्सू के अनुसार यदि आप दुश्मन के बारे में सही जानकारी के अभाव में उचित समय पर हमला नहीं कर पाते हैं तो वह युद्ध वर्षों तक खिंच सकता है। शत्रु के बारे में जानकारी प्राप्त करने का एकमात्र तरीका है गुप्तचरों का प्रयोग, तथा विश्वासपात्र गुप्तचरों को तब तक पाया नहीं जा सकता जब तक कि उन्हें उचित पारिश्रमिक अथवा मान धन न दिया जाए। गुप्तचरों पर किए जाने वाले धन के व्यय (जो कि युद्ध पर किए जाने वाले खर्च के मुकाबले काफी कम होता है) को नापसंद करना क्षणिक सुख का अनुभव तो करा सकता है। परंतु देश की गरीब जनता के नाजुक कंधों पर अनावश्यक बोझ डालकर किया जाने वाला यह सबसे बड़ा अत्याचार है।

जो इस प्रकार से कार्य करता है वह सच्चा नायक नहीं होता, वह न तो शासन व्यवस्था में किसी प्रकार की मदद कर पाता है और न ही कोई युद्ध जीत पाता है।
अतः दुश्मन के बारे में जानकारी एक राजा तथा उसके सेनापति को हमला करने एवं उसे जीतने के योग्य बना देती है। यह जानकारी न अनुभव से प्राप्त होती है और न ही जोड़-घटा अथवा गुणा-भाग से।
आत्मज्ञान, ज्ञानी लोगों से प्राप्त किया जा सकता है, विज्ञान की जानकारी तर्क से हासिल की जा सकती है, ब्रह्मांड का ज्ञान गणित की सहायता से गणना करके प्राप्त किया जा सकता है, परंतु दुश्मन के बारे में जानकारी सिर्फ और सिर्फ गुप्तचरों (जासूसों) के द्वारा ही प्राप्त की जा सकती है। गुप्तचरों की सहायता से आप जान पाएंगे कि दुश्मन के राज्य में क्या-क्या हो रहा है, आपको उन षड्यंत्रों की जानकारी भी मिलेगी जो आपके विरुद्ध रचे जा रहे हैं, परंतु गुप्तचरों से काम लेते समय अत्यधिक सावधानी से काम लेने की विशेष आवश्यकता है।
गुप्तचरों को पांच श्रेणियों में बांटा गया है—
1. स्थानीय
2. आंतरिक
3. परिवर्तित
4. विनाशी
5. सक्रिय

जब ये पांचों किस्म के गुप्तचर एक साथ अपने काम में लग जाते हैं तो कोई भी इनके गुप्त तंत्र को भेद नहीं सकता, जो किसी दैवीय चमत्कार से कम नहीं है। यह विभाग किसी भी राजा की सर्वाधिक मूल्यवान संपत्ति होता है।

क्रोमवेल जो एक घुड़सवार सेना का सर्वाधिक व्यवहारिक नायक था, के अधिकारियों को स्काउट मास्टर कहा जाता था। जिनका काम था दुश्मन की गोपनीय जानकारी को इकट्ठा करना। क्रोमवेल की सफलता का संपूर्ण श्रेय स्काउट मास्टर्स द्वारा एकत्र की गई जानकारियों को ही जाता है।

स्थानीय गुप्तचर— जब किसी राज्य के स्थानीय लोगों को गुप्त सूचनाए इकट्ठा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है तो उन्हें स्थानीय गुप्तचर कहा जाता है।

दुश्मन के राज्य में त्रस्त लोगों को अपने दयालु व्यवहार के द्वारा स्वयं के साथ मिला लें, फिर उन्हें गुप्तचर की तरह प्रयोग करें।

आंतरिक गुप्तचर— जब हम शत्रु के अधिकारियों का प्रयोग अपने लिए करते हैं तो उन्हें आंतरिक गुप्तचर कहा जाता है।

सुन त्सू के अनुसार— वे योग्य अधिकारी जिन्हें दंडित करके निचले पदों पर भेज दिया गया हो, सजा काट चुके मुजरिम, राजा के आस-पास रहने वाली लालची एवं स्वार्थी महिलाएं, छोटे पदों पर काम कर रहे असंतुष्ट लोग अथवा पदोन्नति के समय जिन्हें अनदेखा किया गया हो, अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए कोई भी कदम उठाने को व्याकुल लोग, विश्वासघाती तथा दलबदलू लोग— इस तरह के लोगों को प्रलोभन के द्वारा अपने साथ मिला लेना चाहिए ताकि दुश्मन की गुप्त योजनाओं की जानकारी आपको मिलती रहे, तथा इन लोगों के उपयोग के द्वारा दुश्मन के राज्य की शांति व्यवस्था भंग करके राजा तथा मंत्रियों के बीच मतभेद उत्पन्न किए जा सकें। किन्तु आंतरिक गुप्तचरों से काम लेते समय अत्यधिक सावधानी से काम लें। इस बात के महत्व को होशी की निम्न घटना के द्वारा समझा जा सकता है — 'लो शांग' जो 'आई-चोऊ' का राज्यपाल था, उसने विद्रोही ली सियुंग (जो शू का रहने वाला था) पर आक्रमण करने के लिए सेनापति 'वी पो' को भेजा। जब दोनों पक्षों ने अनेक बार जय-पराजय का मुंह देख लिया तो विद्रोही नेता ली सियुंग ने 'पोतेई' नामक व्यक्ति (जो 'वू तू' का रहने वाला था) की मदद ली। पोतेई को चाबुक मारकर लहूलुहान कर 'लो शांग' के पास भेजा गया ताकि लो शांग उस पर आसानी से भरोसा कर सके। उसका काम था शहर के अंदर रहकर लो शांग की झूठी मदद करना तथा उचित समय आने पर आक्रमण के लिए संकेत भेजना। लो शांग, पोतेई की बातों में आ गया। उसने अपनी सेना वी पो के सुपुर्द करके यह आदेश दिया कि हमले के लिए वह पोतेई के संकेत की प्रतीक्षा करे। उधर ली सियुंग ने अपने सैनिकों को घात लगाकर बैठा दिया। पोतेई ने शहर की दीवारों से सीढ़ियाँ लटकाई और आग जलाकर हमले के लिए इशारा किया। वी पो के सैनिक इस छल से अनजान थे और भागकर सीढ़ियों पर चढ़ने लगे, कुछ सैनिकों को लटकाई गई रस्सियों के द्वारा ऊपर खींच लिया गया। इस प्रकार लो शांग के सौ से अधिक सैनिक शहर में प्रवेश कर गए और वहाँ उन सभी के सिर कलम कर दिए गए। ली सियुंग ने हमला बोल दिया और शहर के भीतर और बाहर दुश्मन को रौंद डाला।

परिवर्तित गुप्तचर— शत्रु के वे गुप्तचर जिन्हें उनके राष्ट्र के प्रति वफादारी से विमुख करके अपने लिए इस्तेमाल किया जाता है।

परिवर्तित गुप्तचरों से काम लेने के लिए उन्हें भारी रिश्वत देनी पड़ती है। बड़े-बड़े वादों के द्वारा लुभाकर उन्हें दुश्मन की सेवाओं से विमुख किया जाता है ताकि वे अपना काम छोड़कर आपके लिए तन-मन से कार्य करें तथा दुश्मन तक आपकी गलत सूचनाएं और आप तक दुश्मन की सही जानकारी पहुंचाएं।

विनाशी गुप्तचर— इनका नाश होना निश्चित होता है। ये दुश्मन को धोखा देने के काम आतें हैं। इन्हें इस प्रकार तैयार किया जाता है। कि ये गलत सूचनाओं के भण्डार होते हैं, ताकि दुश्मन द्वारा पकड़ लिए जाने पर ये उन्हें हमारे बारे में गलत जानकारी दें। इनके द्वारा दी गई जानकारी से हमारे प्रति दुश्मन की चाल विफल हो जाने पर दुश्मन मौत के घाट उतार देता है।

सक्रिय गुप्तचर— ये गुप्तचर दुश्मन के शिविर से खबरें लाते हैं। ये साधारण प्रकार के होते हैं तथा सेना का हिस्सा होते हैं। ये तेज दिमाग वाले होने चाहिए, यद्यपि बाहर से दिखने में वे मूर्ख प्रतीत होते हों, मजबूत आत्मबल वाले, सक्रिय, बलवान, साहसी तथा बुरे से बुरा कार्य करने में माहिर, लज्जा के भाव से मुक्त, भूख, ठण्ड और गर्मी को सहन करने वाले होने चाहिए।

हो शिह, सुई वंश के तासी वू की एक कथा सुनाता है— जब वह पूर्वी चइन का राज्यपाल था तो ची के शेन वू ने शायुआन के खिलाफ शत्रुतापूर्ण गतिविधियाँ प्रारंभ कर दीं। बादशाह टासी सू ने टासी वू को दुश्मन की जासूसी करने के लिए भेजा,
उसके साथ दो अन्य व्यक्ति भी थे। रात होने पर तीनों वेष बदलकर चुपके से दुश्मन के शिविर में जा पहुंचे तथा उनकी बातें छुपकर तब तक सुनते रहे जब तक कि उन्होंने दुश्मन के गोपनीय संकेतों (पासवर्ड्स) को जान नहीं लिया। उसके बाद वे
पहरेदारों के वेष में वहां से निकल गए। ऐसा एक नहीं अनेक
बार हुआ जब वे दुश्मन के खेमे में गोपनीय रूप से गए और आए। जब उन्होंने दुश्मन के बारे में जरूरी जानकारी हासिल कर ली तो वे वापस लौट गए। बादशाह ने उनका गर्मजोशी से
स्वागत किया और उनके द्वारा लाई गई सूचना के आधार पर दुश्मन को पराजित करने में सफलता हासिल की।

सेना में सबसे अधिक आत्मीय संबंध सिर्फ गुप्तचरों के साथ ही
होने चाहिए, तथा गुप्तचरों से अधिक किसी अन्य को पुरस्कृत नहीं किया जाना चाहिए किसी अन्य कार्य में इतनी अधिक गोपनीयता की आवश्यकता नहीं होती है।

कहने का अर्थ यह है कि गुप्तचरों द्वारा दी गई जानकारी सर्वाधिक गुप्त एवं गोपनीय रखी जानी चाहिए। गुप्तचर अधिक पारिश्रमिक देने वाले लोगों के प्रति ज्यादा वफादार होते हैं, कम पारिश्रमिक देने वाले लोगों को गुप्तचरों की सेवाएं प्राप्त नहीं होतीं। उनके बारे में अन्य किसी भी व्यक्ति को पता नहीं होना चाहिए, और न ही गुप्तचर आपस में एक दूसरे को जानते हों।
उनके पास कोई बड़ी गोपनीय सूचना होने पर उनके परिवारों की सुरक्षा तय करें। आवश्यकता पड़ने पर उनके पत्नी या बच्चों को बंधक बना लें ताकि वे आपके प्रति वफादार बने रहें तथा गोपनीय बातों की गोपनीयता सुनिश्चित हो सके।

गुप्तचरों से काम लेने के लिए आपका बुद्धिमान एवं दूरदर्शी होना आवश्यक है।

अगर आपमें सही-गलत, ईमानदार तथा बेईमान व्यक्ति को
परखने की अविलक्षण क्षमता है तभी आप गुप्तचरों से काम ले
पाएंगे। गुप्तचर का चयन करते समय उसकी सच्चाई, ईमानदारी, वफादारी, निपुणता, क्षमता तथा अनुभव आदि भी परख लेने चाहिए। धूर्त व्यक्ति सर्वाधिक खतरनाक होता है, उसकी परख एक प्रतिभाशाली व्यक्ति ही कर सकता है।

गुप्तचरों को नियंत्रित करने के लिए उदारता, सरलता एवं स्पष्टवादिता की विशेष आवश्यकता होती है। इनके द्वारा दी गई सूचना के सत्यापन के लिए विशेष बुद्धिमानी की आवश्यकता होती है। इस बात के प्रति सावधान एवं सचेत रहें कि कहीं आपका गुप्तचर दुश्मन के इशारों पर कार्यरत तो नहीं, अतः चतुराई के साथ अपने गुप्तचर का उपयोग करें।

यदि समय से पूर्व कोई गोपनीय बात गुप्तचर द्वारा किसी अन्य व्यक्ति के समक्ष उद्घाटित कर दी जाती है तो उन दोनों को अविलम्ब मौत के घाट उतार देना चाहिए।
पूरी सेना का नाश करना हो, शहर पर धावा बोलना हो, या फिर
किसी व्यक्ति की हत्या करनी हो— इन सभी के लिए जरूरी है यह जानना कि उनके सेवक कौन हैं, उनका निजी सहायक जो उनके खाने-पाने तथा अन्य बातों का ध्यान रखता हो, कौन है? दरबान कौन है? संतरी मंत्री कौन है? यह सब पता लगाने की जिम्मेदारी गुप्तचर को सौंपी जानी चाहिए।

सर्वप्रथम यह पता लगाएं कि किस महत्वपूर्ण अधिकारी को
रिश्वत देकर खरीदा जा सकता है।

शत्रु के गुप्तचर जो हमारे भेद जानने आए हों उन्हें खोज निकालना चाहिए, उनकी देखभाल अच्छे तरीके से की जानी चाहिए। लालच एवं प्रलोभन के द्वारा उन्हें अपने साथ मिला लें ताकि आप उनकी सेवाओं का लाभ प्राप्त कर सकें।
परिवर्तित गुप्तचरों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर हम स्थानीय एवं दुश्मन की सेना के अंदर स्थित लालची लोगों को अपना जासूस बना कर फायदा उठा सकते हैं।

परिवर्तित गुप्तचरों की सेवा हमारे लिए अति महत्वपूर्ण बन
सकती है क्योंकि ये जानते हैं कि कौन सा स्थानीय निवासी
लालची तथा लोभी है और कौन सा अधिकारी भ्रष्ट है।

परिवर्तित गुप्तचरों से प्राप्त जानकारी के आधार पर ही हम विनाशी गुप्तचर को शत्रु के पास अपनी मनचाही जानकारी के साथ भेज सकते हैं क्योंकि परिवर्तित गुप्तचर बखूबी जानता है कि दुश्मन को किस प्रकार सर्वाधिक धोखा दिया जा सकता है। और तो और उसी की जानकारी के आधार पर सक्रिय गुप्तचरों को विशेष कार्य सौंपा जा सकता है।
पांचों प्रकार के गुप्तचरों से काम लेने का एक ही मकसद है।—
दुश्मन की खबर रखना, और यह कार्य परिवर्तित गुप्तचर के बिना करना नामुमकिन है। जो मात्र शत्रु की जानकारी ही नहीं लाता बल्कि अन्य गुप्तचरों से काम लेने की संभावनाओं को भी जन्म देता है। सूचना तंत्र की अत्यंत महत्वपूर्ण कड़ी होने के कारण परिवर्तित गुप्तचर के साथ उदारता का व्यवहार किया जाना चाहिए।
अतः प्रबुद्ध शासक एवं समझदार सेनापति अपनी सर्वाधिक बुद्धिमत्ता का प्रयोग जासूसी के लिए करते हैं ताकि बड़ी सफलता प्राप्त की जा सके।

तूमू इस विषय पर अपनी बात इस चेतावनी के साथ समाप्त
करता है कि जो जल एक नाव को नदी के एक छोर से दूसरे
छोर तक ले जाने का कार्य करता है, वही जल उस नाव के
नदी में डूबने का कारण भी बनता है। अतः जासूसों पर निर्भरता
एक ओर जहाँ लाभदायक है वहीं दूसरी ओर संपूर्ण विनाश
का कारण भी है।

गुप्तचर, सेना का एक महत्वपूर्ण अंग होता है क्योंकि सेना का आगे बढ़ना उसी पर निर्भर करता है। एक सेना जिसके पास गुप्तचर नहीं होते, वह सेना एक ऐसे व्यक्ति के समान होती है जिसके कान तथा आंखें न हों।

युद्ध कला किसी भी राष्ट्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यह जीवन तथा मृत्यु का प्रश्न है, यह वह मार्ग है जो या तो जीत की ओर ले जाता है या फिर मौत की तरफ।
अतः यह एक गंभीर विषय है, जिसे नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता, न तो आज .....
..... न ही कल।