Before the trip - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

सफर से पहले ही - 2

डॉक्टर की बात सुनकर पति पत्नी निराश हो गए।
हर औरत की साध होती है मातृत्व।माँ बनकर ही औरत सम्पूर्ण कहलाती है।इसलिये हर औरत माँ बनना चाहती है।वीणा भी यही चाहती थी।उसने सन्तान प्राप्ति के लिये व्रत उपवास किये।धार्मिक अनुष्ठान कराए।फकीरों के पास गई और गंडे ताबीज बंधे।मन्नते मांगी।जिसने जो भी उपाय बताया वो किया।न जाने कौन सा उपाय काम कर गया।शादी के दस साल बाद वीणा को उम्मीद बंधी और उसने एज बेटे को जन्म दिया।सन्तान होने पर पति पत्नी की खुसी का ठिकाना नही रहा।उन्होंने अपने बेटे का नाम विश्वास रखा।
लम्बी प्रतीक्षा के बाद घर मे किलकरी गूंजी थी।इसलिए विश्वास सबका लाडला बन गया।वीना ने बड़े लाड़ प्यार से अपने बेटे का लालन पालन किया।उसे किसी चीज की कमी नही होने दी।उसकी हर इच्छा जिद्द को वीणा ने पूरा किया।और धीरे धीरे विश्वास बड़ा होता गया।विश्वास जब कालेज में पढ़ रहा था।तभी उसे नीलम से प्यार हो गया। और दोनो ने जीवन साथी बनने का निर्णय लिया।नीलम दलित लड़की थी।वीणा ब्राह्मण थी।वह पूजा पाठ करने वाली एक कर्म कांड को मानने वाली औरत थी।वह छुआ छूट को बहुत मानती थी।वह दलित नीची जाति के को अपने घर मे भी नही घुसने देती थी।लेकिन बेटे की खुशी के लिए उसने नीलम को अपनी बहू बना लिया।
हमारे देश मे औरते बेटे की शादी होते ही पोते का मुह देखने के लिए उतावली नजर आने लगती है।वीणा भी बेटे की शादी होते ही रट लगाने लगी,"बहु अब तू जल्दी से पोते का मुह दिखा दे।"
वीणा चाहती थी कि उसकी बहु नीलम जल्दी से मा बन जाये।लेकिन जमाना बदल गया है।आज की औरते शिक्षित और समझदार होती है।उन्हें अपनी सुंदरता और फिगर का बड़ा ख्याल होता है।वे शादी होते ही माँ बनना नही चाहती।शादी के बाद कुछ साल तक पति के साथ मौज और मस्ती की जिंदगी गुजरना चाहती है।इसलिए वे शादी होते ही मा बनना नही चाहती।नीलम आज की उन औरतों से अलग नही थी।वह भी उसी मानसिकता सोच की औरत थी।इसका परिणाम क्या हुआ?वीणा पोते का मुह देखने की आस मन मे लिए इस संसार से चली गयी।
राम लाल सर्विस में थे।पत्नी के गुजर जाने पर अकेले रह गए।सास की मौत के बाद नीलम ने अपने ससुर का ध्यान रखना शुरू कर दिया।और समय गुजरने पर राम लाल सेवानिवृत्त हो गए।सेवानीवर्ती के समय राम लाल को बहुत पैसा मिला था।उस समय उनके दोस्तों ने समझाया था,"पैसा अपने पास ही रखना।"
लेकिन राम लाल ने अपने दोस्तों की सलाह नही मानी।बेटे के सिवाय था ही कौन?बहु उनका बहुत खयाल रखती थी।उन्होंने अपना सारा पैसा बेटे को दे दिया।
पहले नीलम अपने ससुर की बहुत सेवा करती थी।उनकी हर जरूरत का ख्याल रखती थी।राम लाल अपनी बहू की सेवा से बहुत खुश थे।वह जंहा भी जाते अपनी बहू के गुणगान करते हुए कहते,"बहु दे तो नीलम जैसी।"
लेकिन पैसा हाथ मे आने के बाद बहु के रंग ढंग धीरे धीरे बदलने लगे।पहले राम लाल को चाय नाश्ता खाना सब कुछ समय पर मिलता था।लेकिन अब वह लापरवाही बरतने लगी।कभी कभी ऐसा भी होता बेटा बहु किसी पार्टी में या पिक्चर देखने के लिए चले जाते तो उस दिन खाना ही नही बनता

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