SUDESH - 7 ANKIT YADAV द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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SUDESH - 7

सुदेश की उम्र शादी वाली होती जा रही थी|पवन को बेटी की शादी की चिंता ही तो सता रही थी क्योंकि वो बीमार रहने लगा था | ना कुछ खाता न पीता था | सारे दिन एकाएक आसमान को निहारते रहता था | इधर समीर के पापा अपने बेटे के वियोग मे निशब्द पड़े रहते थे | दोनों की अपनी मायुसी का अपना -अपना कारण था | सुदेश आजकल बड़ी दुखी सी रहने लगी थी | समीर इतनी निर्दयी हो सकता है, वह ये अबतक सहन न कर पा रही थी | इधर अदिति व टप्पू का breakup हो गया था | मनीष अब अवसर सुदेश से मिलता रहता था व उसका मन बहलाने के प्रयास करता रहता था | एक दिन एकाएक समीर के पापा समीर की आत्मा शांति के लिए हरिद्वार गए | हरिद्वार मे एक मौत देख उनका मन बदला | उन्होंने खुद को समझाया कि न्याय का सिद्धांत समाज के सुखी संचालन के लिए कितना अनिवार्य है| उनके बेटे ने गलत किया और उन्होंने उसे सजा दिलवाई ,इस बात पर अब उन्हें गर्व महसूस हो रहा था | लेकिन पवन की चिंता उन्हें सताए जा रही थी, सहसा उन्होंने सुदेश के रिश्ते के लिए अपने संबंधो मे बातचीत शुरू की | हर जगह से जब जवाब मिला कि मिस सुदेश बदजलन है, तो प्रयास ख़त्म हो गए | मिस सुदेश व मनीष अब शादी का मन बना चुके थे | दोनों के परिवारो को अभी इसकी कोई सुचना न थी | टप्पू इधर अदिति के वियोग मे मारे-मारे फिर रहा था | उसे अदिति की नहीं लड़की की कमी महसूस हो रही थी | एक दिन मिस सुदेश ने अपने मन की बात (मनीष से शादी) पवन को बताई | पवन आशचर्यचकित था क्योकि मनीष सुदेश से करीब 3 साल छोटा था और पवन इसे बेमेल विवाह समझता था | लेकिन समीर के पापा के समझाने पर पवन मान गया व वे दोनों मनीष के घर विवाह प्रस्ताब लेकर पहुंचे | मनीष अपने माता - पिता से पहले ही इस मुददे पर संवाद कायम कर चुका था | सहसा मनीष की बहन ने इसका विरोध करना चाहा लेकिन मनीष के गुस्से के आगे उसकी एक न चली | इधर पंडित जी ने 16 सितंबर को शादी का दिन तय किया , अभी october था , मतलब 11 महीने अभी थे | ये 11 महीने क्या निकल पाएगे |
शहनाईया बजने लगी थी , शादी का वक्त नजदीक था, बस 3-दिन दूर थे | पवन ने अपनी सारी कमाई अपनी बेटी के ही नाम करने की घोषणा कर दी थी | समीर के पापा भी तैयारियों मे लगे थे | शायद सुदेश की शादी मे मदद करके वे अपना प्रायशिचत करना चाहते थे | इधर टप्पू किसी ओर लड़की की फ़िराक मे था| अम्मा अक्सर टप्पू को उसकी गंदी नजर के लिए डांटती रहती थी | इधर समीर को इसी बीच फांसी हो गयी थी | फांसी वाले दिन भी पुलिसवालों के अनुसार समीर के मुख पर प्रायशचित का कोई भाव न था , शायद भगवान ने गलती से उसे मनुष्य बना दिया था |
खैर, सुदेश की शादी धुमधाम से हुई। इसी धुमधाम मे पवन अपनी जिम्मेदारियां पूरी कर इस दुनिया को विदा कह गया। शादी के 3 दिन बाद उसने शाम 7: 05 पर अपनी आखिरी सॉंस ली। सुदेश के लिए ये सब मुसीबतों का पहाड़ सा टूट पड़ा था। खैर वो जल्द ही ये भुलकर अपने प्रेम की गुलाबी बेला मे मशगुल हो गई थी।
अदिति ने जमगढ़ जाने का निशचय किया। खैर उसके पापा को तो जाना ही था , लेकिन उसके पास रुकने का विकल्प भी था ,लेकिन यहां Peon की मौत , समीर जैसे जानवरों की दर्दनाक मौत से थक चुकी थी, वह अब ये सब और नहीं देख सकती थी और न ही ऐसी जगह रह सकती थी जहाँ ये खौफनाक मंजरो की यादों की धुल उस मिट्टी मे मिली हुई हो।
इसी बीच अदिति मार्च मे चली गई। होली आ गई थी, लेकिन होली को लेकर कोई उत्साह न था। होली मे रंग भरने वाली दोनो ( अदिति व सुदेश ) दोनो जा चुकी थी, जानवर पहले ही फांसी की बेट चढ चुका था, टप्पू अकेला बेचारा क्या करे। टप्पू Porn का आदि हो गया था। वो संभाले न संभलता था।
अदिति ने नये स्थान पर अपने जीवन की नयी शुरुआत की थी, वो सब पुराने प्यार बुलाकर नई प्यारे जीवन का शुभारभ कर चुकी थी। और वैसे भी मनुष्य अंततः स्वार्थी है, व्यक्ति अपनो की मौत पर भी अपने स्वार्थ के खातिर ही तो रोता हैं। प्रेमिका के बिछड़ जाने पर टप्पू का रोना प्रेमिका के लिए नही अपने स्वार्थ जो अदिति मे है, उसके लिए रोना है। पवन का सुदेश की शादी के बाद प्राण त्याग देना स्वार्थ है क्योंकि का शिकार वह हो चुका था। लेकिन हर बात के मूल मे स्वार्थ होने के बावजूद भी प्यार, करुणा, वात्सल्य इन सबका अपना महत्व हैं। जिंदगी के समृद्ध निर्वाह के लिए इनका होना अति आवश्यक है। हरे व्यक्ति इन भावों को अपने अंदर जगाने की चेष्टा करे, तो धरती पर स्वर्ग लाया जा सकता है।
सुदेश के घर से अम्मा के घर के side से होते हुए 50 मीटर चलकर फाटक आएगा, उसे पार करके , दूसरे फाटक को पार करके, फिर नरेश किरयाना को पार करके एक 80 फीट चौड़ा Highway आएगा, वहां कुछ देर रुकिए , देखिए, सारी यादे समेटे बस मे बैठकर वही चले जाए जहां से आप आए थे।