SUDESH - 5 ANKIT YADAV द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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SUDESH - 5

'अदिति, आज गोलगप्पे खाते हैं, चलो न'।
'अरे नहीं,नहीं, पुष्पा, कल मेरे पड़ोस में शाम को शादी है। अब सीधे वही junk food को हाथ लगाऊंगी, आज रहने देते हैं, वैसे भी मुझे अपना 0 figure maintain रखना है।'
शादी का समारोह एकदम सजा-धजा हुआ है। सामने ही गली में दूल्हा-दुल्हन के लिए स्टेज/मंच लगा है। उसके सामने ही ये बड़े-बड़े खाने की दुकान मौजूद है। पारंपरिक मिष्ठान्नों से लेकर special Chinese menu तक मौजूद है। शादी में समुंदर व रोहित भी मौजूद है, व आज कुछ खास होने वाला है।
'अरे रोहित, तुम्हें कोई जमीन मिली कि नहीं, मैंने जो एक पता भेजा था, उस पर तफदीश की या नहीं '
'कहां समुंदर अंकल, एक बार वहां चला गया, क्या ये कम है, वहां पड़ोस में ही मस्जिद है। '
'मस्जिद के पास एक बड़ा सुंदर पार्क भी है, वैसे रोहित ठीक कहते हो मस्जिद के पास होने से अच्छा तो कहीं गटर में रहलो'
'पुष्पा, पार्क वाली pics मैंने insta पर डाली है, मस्त है न' ' हॉ, अदिति, तुम एकदम रानी लग रही थी'
' हे लड़की, तुम हिंदू होकर उस मस्जिद के सामने पार्क में गई। तुम्हें शर्म नहीं आती अपनी धर्म की आन-बान-शान को मिट्टी-मिट्टी करते हुए। तुम जैसे ने ही तो भारत को हिंदू राष्ट्र बनने से रोक रखा है।'
'तो क्या हो गया बुढाऊ अंकल, तुम्हारा दिमाग भी तुम्हारी तरह बूढ़ा हो गया या तुम्हारा नाम समुंदर है ही, तुम्हारे दिमाग में भी पानी भर गया। मस्जिद भी तो किसी के लिए उतनी ही पवित्र है जितनी मंदिर हमारे लिए। हम क्यों अपनी आस्था को आस्था मानते हैं और दूसरों की आस्था को आडंबर। हर व्यक्ति मंदिर मस्जिद दोनों जाए तो ना जाने कितने सांप्रदायिक दंगे रोके जा सकते हैं, कितनी हत्या रोकी जा सकती हैं। मैं खुद को अंधविश्वासी नहीं बनने दूंगी,अंकल' इतना सुन के समुंदर तिलमिला उठे। उसका क्रोध चरम स्तर पर पहुंच रहा था। सहसा गूंजते हुए बोले-सनातन अंतिम सत्य है लड़की। ना इसके पहले कुछ था, ना इसके बाद कुछ है, ये समझ लो उतना बेहतर।
अदिति भी खुद को काबू न रख सकी। बोली-सारे धर्म अपने अपने लोगों को सर्वोच्च लगते हैं। अपने संस्कारों पर, परंपरा पर गर्व होना चाहिए, लेकिन केवल हमारा धर्म ही सत्य है, ये घोर अंधविश्वासी बात है। यह तो वहीं बात हो गई अंकल, चुहा कुएं में है तो कुएं को ही तो वह दुनिया समझता है। सनातन केवल भारतवर्ष में पैदा हुआ धर्म है ‌ दुनिया के कई हिस्सों में और भी कई धर्म हुए हैं। सबकी अपनी अपनी पारलौकिक कहानियों मौजूद हैं। सभी धर्मों में कुछ अच्छी व बुरी बातें मौजूद हैं। हमें बिना किसी समस्या के सभी धर्मों से आपस में अच्छी बातों को सीखना चाहिए व खराब बातों को त्यागना चाहिए। आप और ये पढ़ा लिखा मुर्ख रोहित जैसे लोगों की वजह से ही हम अंकल आज हम पिछड़े हैं। किस देश में सांप्रदायिकता के नाम पर फायदा उठाने वाले लोग ये सब जानते हैं और, आप जैसे मूर्ख इन्हीं बातों पर उलझते फिरते रहते हैं।
समुंदर के पास इसका कोई जवाब न था। उसकी बुद्धि सुन्न पड़ गई थी। इतनी तार्किक बातों को समझ पाना उसकी अतार्किक बुद्धि के लिए असंभव था। चिढते हुए बोला-भगवान सब देख रहे हैं, इसका निश्चित फल देंगे। इतनी हिम्मत सिर्फ हिंदू होकर तुममे है लड़की। अगर इनके बारे में बोल देती तो अब तक पता नहीं--------।
'तो क्या हो जाता अंकल, जितना आप दूसरे धर्मों के बारे में गलत समझते हैं,उतना ही वो आपके बारे में। सभी धर्मों के सामान्य लोग शांति, भाई-बुंदुत्व कायम रखना चाहते हैं। इसका एकमात्र तरीका दोनों धर्मों के लोगों का मेल जोल है। दोनों धर्म एक साथ सारे त्यौहार मनाए तो न जाने कितने करोड़ों रुपए जो दंगों में खराब होते हैं, बचाए जा सकते हैं, कितने सारे लोगों को बचाया जा सकता है। लेकिन कुछ मनुष्य प्रवृत्ति के लोग ये होने देना नहीं चाहते जिसमें उनका खुद का स्वार्थ है। इस्लाम में भी आज बुर्के की परंपरा होना अतार्किक है। बुर्के की परंपरा शायद इसलिए हुई होगी क्योंकि जहां इस्लाम शुरू हुआ, वो रेतीला प्रदेश है। रेतीले प्रदेश में ऐसे नियम होना तार्कीक बात है। धर्म में ये चीज शामिल इसलिए होती है ताकि प्रभावशाली ज्यादा हो, लेकिन समस्या ये कि धर्म के नाम पर आज भी इन्हें मानने को महिलाओं को मजबूत किया जा रहा है जोकि सरासर गलत है।'
मिस सुदेश एक बार फिर अदिति में एक दिव्य शक्ति महसूस कर पा रही थी। अदिति की वाणी में एक अकल्पनीय शक्ति उसे प्रतीत हो रही थी। दोनों icecream लेकर घर की तरफ निकल पड़ी।