खौफनाक हवेली 2
ऐसी ही वक्त गुजरता गया
वक्त के साथ साथ भैरव सिंह राजा के
जुल्म अत्याचार बढ़ते गए।।
भैरव नगर गांव का बुरा हाल था।।
सब गांव वाले राजा के अत्याचार के सामने
बेबस और लाचार थी।।
उनके रगों में खून नहीं है
राजा का डर दौड़ रहा था।।
राजा के खिलाफ जाने की किसी भी हिम्मत नहीं बची थी।।
सारे लोग चुपचाप राजा का
जुल्म सह रहे थे।।
सारे गांव वाले गुलामी की जिंदगी जी रहे थे।।
कुछ दिन और गुजर जाती है।।
अभिजीत नाम का एक मुसाफिर
भैरव नगर गांव में आ जाता है।।
अभिजीत खूबसूरत ताकतवर बहुत ही नेक किस्म का इंसान था।।
अभिजीत का अनाज का व्यापार था।।
व्यापार के सिलसिले में
मरो नगर गांव में आया हुआ होता है।।
अभिजीत भैरव नगर गांव के
छोटे से कस्बे में
अपना अनाज व्यापार शुरू कर देता है ।।
वह कस्बा भैरव नगर गांव की आखिर में था।।
इसलिए उस कस्बे में राजा का आना जाना बहुत कम था।।
इसी वजह से उस कस्बे में शांतिपूर्ण वातावरण था।।
गांव का वहीं हिस्सा था जो अब तक राजा के अत्याचार से बचा हुआ था।।
अभिजीत महीनों तक
भैरव नगर गांव के उस कस्बे में रहकर व्यापार करता है।।
कस्बे में अभिजीत का व्यापार अच्छी तरह जम जाता है।।
व्यापार की वजह से लगभग सारे गांव के लोगों से उसकी पहचान हो जाती है।।
गांव की पूरी मालूमात उसे हो जाती है।।
भैरव सिंह राजा और उसके अत्याचार से भी वह वाकिफ हो जाता है।।
अभिजीत खुशमिजाज बहुत ही अच्छे स्वभाव का था।।
उसके स्वभाव से सारा कस्बा उससे प्रभावित हो जाता है।।
अभिजीत सारे कस्बे को अपना बना लेता है।।
वहां के सारे लोगों से अपने घर का सदस्य मानने लगते है।।
इसी बीच अभिजीत की गांव के रहने वाले
रमेश की बेटी वनिता से
जान पहचान हो जाती है।।
वनिता एक बहुत ही खूबसूरत हसीन और जवान लड़की थी।।
उसे देखने वाला उसके खूबसूरती को देखता ही रह जाता था।।
उसका बदन मानो खुदा ने खुद ही अपने हाथों से तराशा हो।।
उसे देखने वाला हर कोई मदहोश हो जाता।।
वनिता ने बला का हुस्न पाया था
अभिजीत इस बला से कैसे बच पाता।।
वह भी उसके हुस्न का कायल हो चुका था।।
धीरे-धीरे दोनों की जान-पहचान बढ़ती गई।।
बार-बार दोनों की मुलाकात होती गई।।
दोनों में दोस्ती हो गई
वक्त के साथ-साथ उनकी दोस्ती भी गहरी होती गई।।
धीरे-धीरे यह दोस्ती मोहब्बत में बदल गई।।
अभिजीत और वनिता
दोनों एक दूसरे की मोहब्बत में पागल हो चुके थे।।
रोज घंटों तक हो एक दूसरे के साथ वक्त बिताने लगे।।
एक दूसरे के बिना एक पल भी उन्हें मुद्दत की तरह लगने लगा।।
वह दोनों एक दूसरे के साथ जीने मरने की कसमें खाने लगे।।
अभिजीत और वनिता के जीवन में
मोहब्बत की बारिश हो रही थी।।
हर जगह सिर्फ खुशी ही खुशी थी।।
दोनों को एक पल की भी जुदाई बर्दाश्त नहीं होती।।
वह दोनों एक दूसरे के साथ रहने के लिए तड़पते
अब उनसे दूरी बर्दाश्त नहीं होती इसीलिए
दोनों शादी करने का फैसला करते है।।
वनिता अपने और अभिजीत के प्यार के बारे में अपने घर पर बता देती है।।
अभिजीत एक बहुत ही अच्छा इंसान था।।
उसमें किसी भी तरह की कोई बुराई नहीं थी।।
इसीलिए वनिता के घर वाले राजी खुशी शादी के लिए तैयार हो जाते है।।
कुछ ही दिन बाद शादी का मुहूर्त निकलता है।।
दोनों की शादी की बात सारे कस्बे में फैल जाती है।।
सारा कस्बा शादी की तैयारी में लग जाता है।।
देखते-देखते शादी का दिन करीब आ जाता है।।
आखिरकार इंतजार की घड़ियां खत्म होती है।।
और शादी का दिन आ जाता है जिसका सबको बेसब्री से इंतजार था।।
वनिता के मामा मामी वनिता को अपने घर ले जाते है।।
वनिता की मामी उसे शादी का जोड़ा पहना देती है।।
सज संवार कर दुल्हन बना देती है।।
वनिता खुद को दुल्हन बनी देख कर
खुशी से फूल ही नहीं समाती।।
आज से वह हमेशा के लिए
अभिजीत की हो जाने वाली थी।।
वनिता बहुत बेसब्र हो रही थी अभिजीत के सामने आने।।
अभिजीत का भी यही था हाल था
वह भी बहुत बेसब्र हो रहा था
दुल्हन बनी देखने के लिए।।
यह दिन अभिजीत और वनिता
के जीवन का सबसे खुशियों
भरा दिन था ।।
दोनों अपनी शादी को लेकर बहुत खुश थे
ऐसा लग रहा था कुदरत ने कायनात की सारी खुशियां इनके कदमों में डाल दी हो।।
क्रमशः