यादों के कारवां में - भाग 7 Dr Yogendra Kumar Pandey द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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यादों के कारवां में - भाग 7

अध्याय 7

आज यादों के कारवां के अंतर्गत अध्याय 7 में दो कविताएं प्रस्तुत हैं :-

22. दोस्ती में इश्क़ के से एहसास

माता-पिता,भाई-बहन,पति-पत्नी,मित्र

अन्य सगे संबंधी सभी रिश्ते बंधे होते हैं प्रेम की डोर से

नाम चाहे जो हो उस प्रेम का…..

जैसे स्नेह, वात्सल्य, प्रेम,इश्क, आराधना ,भक्ति अपनापन आदि,

और जब रिश्तों की डोर उलझती है

तो उसे सुलझाया जाता है

दोस्त बनकर ही

या

कुछ रिश्तो के लिए समय निकाला जाता है सब काम छोड़कर,

जैसे

रूठे बच्चे को मां का मनुहार करके मनाना

जैसे स्कूल में दोस्त के नाराज हो जाने पर शाम उसे फोन कर कहना 'सॉरी यार'

जैसे

पापा का घर पहुंचने से पहले चौराहे की दुकान से आइसक्रीम, चॉकलेट या ऐसा ही कोई सामान ले लेना कि घर पहुंचने पर थैले में बच्चे की ढूंढती आंखें निरुत्तर न रह जाए…. और कुछ न कुछ उसके हाथ लग जाए

जैसे

किराया न देने पर मकान मालिक के घर खाली करवाने पर कोई बुला ले दोस्त को अपने कमरे में और कहे,"यार रह तू यहां, जब तक तेरा जी चाहे, जब तक न हो जाए कोई व्यवस्था तेरी…."

जैसे

प्रेम के सबसे नाजुक एहसास को टूटने देने से बचने कोई कह उठे अपने प्रिय से, अरे रे…जो तुमने कहा वही सच है और मैं हूं साथ तुम्हारे

तुम्हारे द्वारा लिए गए हर एक निर्णय में…..

और क्या तुम्हारा ह्रदय यह महसूस नहीं करता प्रिय कि सारी दुनिया तुम्हें छोड़ दे,तो भी आखिरी व्यक्ति के रूप में मैं रहूंगा साथ तुम्हारे सदा ……. और क्या तुमने बिना मेरे भेजे ही नहीं समझ लिया मेरा संदेश….

जैसे,

दांपत्य में गृहस्थी की खींचतान में कहीं आ जाए कड़वाहट तो याद आ जाए फेरे के समय एक दूसरे को दिए सातों वचन….. कि हम रहेंगे साथ हर सुख-दुख में …. और मैंने तुम्हारा हाथ एक बार जो थाम लिया है कभी न छोड़ने के लिए……चाहे जो हो……

इसीलिए,

हो दोस्ती चाहे किसी भी रिश्ते की

वह सिखा देती है इश्क करना और रखना जज़्बात इश्क़ जैसा ही…………।

23: चांद इसी से सुंदर

चांद इसी से सुंदर है

पहुंचाने करोड़ों लोगों को अन्न

हल चलाने से लेकर

फसल तैयार करने,आंधी,बारिश में भी

मेहनत में लगे हैं लाखों श्रमवीर कृषक,

पड़ती उनके श्रम-सौंदर्य की छाया

चांद इसी से सुंदर है।1/

ग्रीष्म की भरी दुपहरी में

लोगों की सुविधा-सड़क बनाने

पसीने से तरबतर बिना छांव के

लगातार खुदाई करने में लगे हैं मजदूर,

पड़ती उनकी कर्मठता की छाया

चांद इसी से सुंदर है।2/

सरहद पर बने खंदक में

सप्लाई लाइन कट जाने के बाद

कई दिनों से भूखे-प्यासे

मातृभूमि की रक्षा में चौकस हैं सैनिक,

पड़ती उनके बलिदान की छाया

चांद इसी से सुंदर है।3/

बच्चे के तपते बुखार को उतारने,

पानी में भिगो-भिगोकर कपड़े की पट्टी

उसके माथे पर रखने

रात भर जागती बैठी है मां,

पड़ती उनके त्याग की छाया

चांद इसी से सुंदर है।4/

प्रिय का प्रेरक वाक्य,चिर ईंधन सा,

जीवन भर सतत चल रही गाड़ी कर्मों की,

स्मृति क्षण भर,अंतस् में मुस्कान बारंबार,

निश्चल,पवित्र,निष्कपट प्रेम करता है प्रियतम,

पड़ती है अनूठे प्रेम की छाया

चांद इसी से सुंदर है।5/

डॉ. योगेंद्र कुमार पांडेय