रात को 2:30 शशिकांत के मोबाइल की घंटी बजी.और नींद में ही उसने वह उठाया. सामने से उसे उसके फैक्ट्री सिक्यूरिटी हेड राहुल की आवाज़ आयी. वह डरा काफी हुआ था. और सिर्फ़ 3 ही लफ़्ज़ बोल पाया.
फैक्ट्री…भूत… आत्मा… उसके बाद एक दर्द भरी चीख के साथ कॉल कट्गाया. शिशिकांत की नीदं पल भर में ही उड़गई. उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या अब करू. बचपन में ही उसकी माँ उसे जन्म देते वक़्त गुजर गइ.
उसके बाद उसके पिताजी ने उसे पढाई के लिए विदेश भेज दिया था. और अब पिताजी कि मौत के बाद बस एक दिन पहले ही उसने विरासत में मिली फैक्ट्री की जम्मेदारी संभली थी.
उस फोने के बाद उसने तुरंत ही फैक्ट्री मेनेजर विश्वास को फ़ोन लगाके फैक्ट्री पर बुलाया. और ख़ुद भी फैक्ट्री की और निकल पड़ा. वो दोनों जब फैक्ट्री में पहुचे तब उन्हें मैंने गेट का गार्ड कही नहीं दिखा.
पर शशिकांत की आंखे बस राहुल को ढूंड रही थी. जिसकी दर्दनाक चीख उसके दिमाग़ में अभी भी गूंज रही थी. शशिकांत ने विश्वास को कहा की तुम पुलिस को कॉल करो. और फैक्ट्री के आगे वाले हिस्से को दिखो.
तब तक मैं गोदाम को चेक करता हूँ. जब शशिकांत गोदाम में पंहुचा. तब उसने देखा की वहापर राहुल जमीन पड़ा शांत पड़ा था . लेकिन उसकी साँस अभी भी चलरही थी. पर शरीर से कोई हलचल नहीं करपा रहा था. मानो उसने कोइ भयानक चीज देखली हो.
उसि वक़्त शशिकांत ने एक और दर्द भरी चीख सुनी जिससे उसका कलेजा कांप उठा. वह चीख थी मेनेजर विश्वास की शशिकांत ने सरपट दौड़ लगाई और फैक्ट्री में जाके दिखा. तब डरा हुआ विश्वास बाथरूम के एक कोने में बैठ के रो रहा था.
और बार-बार एक ही लाइन बोल रहा था. वह वापस आगई. वह वापस आगई. अब वह किसी को नहीं छोड़ेगी.सब मरेंगे सब मरेंगे. वह मानसिक संतुलन खो बैठा था.तब तक एम्बुलेंस और पुलिस आचुकी थी. शशिकांत ने पुलिस आने के बाद उनको अपना बयान दिया.
और घर के लिए रवाना होगया.पर जाते वक़्त उसे एक बात महसूस हो रही थी की वह अकेला नहीं है. कोइ तो उसके साथ चल रहा है.वो जब कार के पास पंहुचा. तब कार का एक दरवाज़ा खुला था.
उसे अच्छी तरह से याद था.कि उसने कार के सभी दरवाजे लॉक किये थे. शशिकांत को कार चालते वक़्त कार की पिछली सिट पर किसी के होने का एहसास होने लगा .
उसी वक़्त उसे पुलिस निरीक्षक का कॉल आया की विश्वास की अमबुलंस में ही रहस्यमय तरीके से दम घोटने से मौत होगई है. और राहुल ने भी होश में आनेके बाद एम्बुलेंस में ही एक कांच के टुकडे से खुदका गला काटलिए.
इस तरह की एक के बाद के मौत की खबरों से उसका का सिर दर्द से फटा जा रहा था. शशिकांत घर पंहुचा. इंतना सब देखके उसे नीदं तो नहीं आने वालिथी.इसलिए वह लाइब्रेरी में बैठके किताब पढने लगा.
उसे अचानक आस पास कुछ हलचल सी महसूस हुई. तभी उसे खिड़की से अन्दर आनेवाली चाँद की खुबसूरत रौशनी एक जनि पहचनी हसीन लड़की की परछाई नज़र आयी. शिशिकांत को पता नहीं पर उस परछाई से डर नहीं लग रहा था.
वह लड़की बोली कैसे हो शशि. शशिकांत हकलाते हुए बोला .क… …क….. कौन हो तुम. और मेरा पीछा क्यों कर रही हो.मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है.
वह बोली में वही हु जिसके साथ तुम्हारी बचपन की कुछ सुनहरी यादे है. जिसके साथ तुम स्कूल जाया करते थे. पूरा दिन हम साथ बिताया करते थे. क्या तुम मुझे भूल गए.
फिर शशिकांत के जुबान पर उसका नाम आया स्वाति तुम और तुम्हारी ये हालत किसने की. फिर स्वाति अपनी कहानी बताई वह बोली. मेरे पिताजी तुम्हारे पिताजी के फैक्ट्री में काम करते थे.
एक दिन वह देररात को पूरा हिसाब किताब निपटा के घर के लिए निकल रहे थे. पर जाने से पहले आखरी बार फैक्ट्री के एक चक्कर लगाने के लिए.गोडाउन पहुचे तो उन्हें वहा कुछ नए बॉक्स दिखे.
जिनपर कंपनी का लेबल नहीं था.उन्होंने वह खोलके देखे तो उसमे अफीम और नशीले पदार्थ थे.किसी की आवाज़ सुनके वह वही छुप गए. तो वहा तुम्हारे पापा और कंपनी के डायरेक्टर आये .
तब मेरे पिताजी को पता चला की कम्पनी में ड्रग्स का काला कारोबार होता है.उन्होंने पिताजी को उसरात पकड़ लिया. और मारके कम्पनी के पिछले गोदाम में दफना दिया.मरने से पहले मेरे पापा ने ये बात मुझे फ़ोन में बता दी थी
और जब मैंने पुलिस को लेकर कम्पनी में पहुची. लेकिन पुलिस भी उनके साथ मिली हुई थी. उन्होंने मेरी इज़्ज़त के साथ खेलकर. मुझेभी उसी ज़मीन में दफना दिया. जहा पर मरे पापा को दफनाया था.
और आज मैंने और पिताजी ने सबको खतम करके बदला पूरा कर लिया है. पर.पर हमारी आत्मा को मुक्ति नहीं मिल सकती. क्योंकि मेरे 6 साल का छोटे भाई विशाल का इस दुनिया में अब कोइ नहीं है. वो अनाथालय में दिन काट रहा है
इसलिए में मदत के लिए तुम्हारे पास आयी हूँ.क्योंकि में जानती हू. तुम एक अच्छे इन्सान हो. शशिकांत ने कहा की मैं मेरे पिताजी की गलती कभी सुधार नहीं सकता. पर हमारी बचपन की दोस्ती के खातिर. मैं तुम्हारे छोटे भाई के जिम्मेदारी स्वीकार ता हूँ.
और तुम्हे वादा करता हूँ मैं तुम्हारे भाई को पढ़ा लिखाकर. एक अच्छा इन्सान बनाऊंगा. उसके बाद स्वाति और उसके पिताजी की आत्मा को मुक्ति मिलगई.
दुसरे ही दिन शशिकांत ने कम्पनी के सारे ग़लत बिज़नस बंद करवा दिए.और उस अनाथालय से विशाल को गोद ले लिया .