BLACK CODEX - 4 - जंगले के रस्ते Rajveer Kotadiya । रावण । द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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BLACK CODEX - 4 - जंगले के रस्ते

समीर और उसका छोटा भाई वीरू अपने मामा के घरसे.छुट्टिया बिता के घर लौट रहे थे. घर जल्दी पहुंचे इस वज़ह समीर ने जंगल वाले शोर्ट कट से जाने का निर्णय लिया. मगर वीरू उस रस्ते से आने के लिए तय्यार न था.क्योंकि बड़े-बुढो से उसने जंगले में चुडैल और भूत प्रेत की कहानिया सुन रखी थी.

वह बोला भय्या मैं जंगले के रस्ते नहीं आऊंगा. क्योंकि वहा चुडैल का साया है. समीर बोला क्यों तू बेकार मे डर रहा है. तेरा बड़ा भाई है ना तेरे साथ. और ये भूत प्रेत चुडैल कुछ नहीं होता. सिर्फ मन घडन कहनियाँ होती है. और फिर हमे घर जल्दी भी तो पहुँचेगे.

किसी तरह समझा बूझा के समीर ने उसे मना लिया और कार पक्क्की सड़क छोडके जंगल के रास्ते मोडली. तक़रीबन 10 मिनिट गाड़ी चलाते रहने के बाद उन्हें एक झोपडी दिखाई दी. जिसके आंगन में एक बुढिया झाड़ू लगा रही थी. समीर बोला देख छोटे जंगल में कोइ रहता भी है.

वीरू बोला भाई पक्का इंसान ही है ना. याफिर कोई चुडैल. समीर बोला फट्टू साले तू कही ले जाने के लायक नहीं है. तू सोजा इतना बोलके समीर उसपे हंसने लगा. आगे चलकर थोड़ी देर बाद उन्हें फिरसे वही झोपडी दिखाई दी. और वही बुढिया आंगन में बैठी थी.

वीरू बोला समीर भाई समीर भाई देखो वही बुढिया और झोपडी यहा फिरसे आ गई. लगता है आज हम मरने वाले है. समीर बोलो फिरसे होगया तेरा चालू कोई और झोपडी भी तो होसकती है. बुढिया को हमने नजदीकसे थोड़ी न देखा है.

ये बोलकर उसने वीरू का मुह बंद करा.पर थोड़ी देर बाद जब वही झोपडी फिरसे दिखी और इसबार समीर की भी फट के हात में आचुकी थी. डर से उसका चेहरा पिला पड़ने लगा. और वीरू के चेहरे पर तो हवाइयां उड़ चुकी थी. समीर वीरू से बोला मुझे तेरी घडी दे. वीरू रोते-रोते बोला क्यों मरने से पहले मरे घडी लेना चाहते हो क्या. बोला था न जंगले के रस्ते मत चलो .

समीर बोला तू सिर्फ़ घडी दे. और रोना बंद कर बाकि मैं संभलता हूँ. विरु ने घडी निकाल के गुस्से में समीर की और फैक दी. समीर ने घडी में टाइम देखा. श्याम के 5 बज चुके थे. उसने वह घड़ी कार से उस झोपड़ी के नज़दीक रस्ते मेंएक जगह ही गिरा दी.

और गाड़ी तेजी से भगाइ थोड़ी देर बाद उन्हें वह झोपडी वापस दिखी पर इसबार बुढिया वहा नहीं थी. वीरू रोते-रोते बोला भाई अब हम पक्का मरने वाले है. समीर कुछ नहीं बोला. झोपड़ी के नज़दीक पहुचकर उसी जहग उसने गाड़ी रोकदी तो उसे वीरू की घडी वही पड़ी मिली.

उसमे समय हुआ था.5 बजके 10 मिनट समीर समझ गया था. की वह किसी छलावे के फंदे में फस गए है.उसने वीरू को घडी दी उसने रोते-रोते वह पहन ली. समीर ने उससे कहा की तू गाड़ी में ही रुक में उस भूतनी से मिलकर आता हूँ. और झोपडी की और चल दिया.

वीरू चिल्ला रहा था भैया वहा मत जाव वो चुड़ैल है चुड़ैल. फिर अचानक वीरू के गाल पर एक चमाट पड़ा और आवाज़ आयी.घर आय गया छोटे उठ्जा.

और वीरू आँख मलते हुए उठा तो गाड़ी घर के आंगन खड़ी में थी.और समीर कार से सामन निकाल रहा था और जब विरुने घडी में समय देखा तो 5 बजके 10 मिनट होरहे थे. समीर ने आके उससे पूछा तू नीदं क्या बड बड़ा रहा था. बे आज हम मरने वाले है—आज हम मरने वाले है. समीर की बात सुनके वीरू खुदपे ही हसने लगा.