BLACK CODEX - 2 - भानगढ़ किला 2 Rajveer Kotadiya । रावण । द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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BLACK CODEX - 2 - भानगढ़ किला 2

रत्नावती जो कि नाम के ही अनुरूप बेहद खुबसुरत थी। उस समय उनके रूप की

चर्चा पूरे राज्य में थी और साथ देश कोने कोने के राजकुमार उनसे विवाह करने इच्छुक थे। उस समय उनकी उम्र महज 18 वर्ष ही थी और उनका यौवन उनके रूप में और निखार ला चुका था। उस समय कई राज्यो से उनके लिए विवाह के प्रस्ताव आ रहे थे। उसी दौरान वो एक बार किले से अपनी सखियों के साथ बाजार में निकती थीं। राजकुमारी रत्नावती एक इत्र की दुकान पर पहुंची और वो इत्रों को हाथों में लेकर उसकी खुशबू ले रही थी। उसी समय उस दुकान से कुछ ही दूरी एक सिंघीया नाम व्यक्ति खड़ा होकर उन्हे बहुत ही गौर से देख रहा था। सिंघीया उसी राज्य में रहता था और वो काले जादू का महारथी था ऐसा बताया जाता है कि वो राजकुमारी के रूप का दिवाना था और उनसे प्रगाण प्रेम करता था। वो किसी भी तरह राजकुमारी को हासिल करना चाहता था। इसलिए उसने उस दुकान के पास आकर एक इत्र के बोतल जिसे रानी पसंद कर रही थी उसने उस बोतल पर काला जादू कर दिया जो राजकुमारी के वशीकरण के लिए किया था। क्या हुआ राजकुमारी रत्नावती के साथ राजकुमारी रत्नावती ने उस इत्र के बोतल को उठाया, लेकिन उसे वही पास के एक पत्थर पर पटक दिया। पत्थर पर पटकते ही वो बोतल टूट गया और सारा इत्र उस पत्थर पर बिखर गया। इसके बाद से ही वो पत्थर फिसलते हुए उस तांत्रिक सिंघीया के पीछे चल पड़ा और तांत्रिक को कुलद दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गयी। मरने से पहले तांत्रिक ने शाप दिया कि इस किले में रहने वाले सभी लोग जल्द ही मर जायेंगे और वो दोबारा जन्म नहीं ले सकेंगे और ताउम्र उनकी आत्माएं इस किले में भटकती रहेंगी। उस तांत्रिक के मौत के कुछ दिनों के बाद ही भानगडं और अजबगढ़ के बीच युद्ध हुआ जिसमें किले में रहने वाले सारे लोग मारे गये। यहां तक की राजकुमारी रत्नावती भी उस शाप से नहीं बच सकी और उनकी भी मौत हो गयी। एक ही किले में एक साथ इतने बड़े कत्लेआम के बाद वहां मौत की चींखें गूंज गयी और आज भी उस किले में उनकी रूहें घुमती हैं। किलें में सूर्यास्त के बाद प्रवेश निषेध फिलहाल इस किले की देख रेख भारत सरकार द्वारा की जाती है। किले के चारों तरफ आर्कियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया (एएसआई) की टीम मौजूद रहती हैं। एएसआई ने सख्त हिदायत दे रखा है कि सूर्यास्त के बाद इस इलाके किसी भी व्यक्ति के रूकने के लिए मनाही है। इस किले में जो भी सूर्यास्त के बाद गया वो कभी भी वापस नहीं आया है। कई बार लोगों को रूहों ने परेशान किया है और कुछ लोगों को अपने जान से हाथ धोना पड़ा है। इस ऐतिहासिक किले की यात्रा करने के लिए आप नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें और जानें कि आप कैसे इस जगह जा सकतें हैं किलें में रूहों का कब्जा इस किले में कत्लेआम किये गये लोगों की रूहें आज भी भटकती हैं। कई बार इस समस्या से रूबरू हुआ गया है। एक बार भारतीय सरकार ने अर्धसैनिक बलों की एक टुकड़ी यहां लगायी थी ताि इस बात की सच्चाई को जाना जा सकें, लेकिन वो भी असफल रही कई सैनिको ने रूहों के इस इलाके में होने की पुष्ठि की थी। इस किले में आज भी जब आप अकेलें होंगे तो तलवारों की टनकार और लोगों की चींख को महसूस कर सकतें है। इसके अलांवा इस किले भीतर कमरों में महिलाओं के रोने या फिर चुडियों के खनकने की भी आवाजें साफ सुनी जा सकती है। किले के पिछले हिस्सें में जहां एक छोटा सा दरवाजा है उस दरवाजें के पास बहुत ही अंधेरा रहता है कई बार वहां किसी के बात करने या एक विशेष प्रकार के गंध को महसूस किया गया है। वहीं किले में शाम के वक्त बहुत ही सन्नाटा रहता है और अचानक ही किसी के चिखने की भयानक आवाज इस किलें में गुंज जाती है। आपको यह आर्टिकल कैसा लगा कमेंट बॉक्स में अपने विचार जरूर दें।