चुड़ैल -इनविटेशन ऑफ जंगल - भाग 8 Parveen Negi द्वारा पौराणिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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चुड़ैल -इनविटेशन ऑफ जंगल - भाग 8

कहानी का भाग 8


चार खतरनाक गुंडों ने एक यात्री छोटी बस को हाईजैक कर लिया था और अब उसे लेकर उस जंगल में प्रवेश कर गए थे जहां चुड़ैल के जागे जाने की चर्चा आम थी।


शाम अब रात में तब्दील हो चुकी थी, सूरज डूब चुका था और वैसे ही जंगल में अंधेरा कुछ ज्यादा ही जल्दी होता है।


विष्णु और शंकर हाथ जोड़ते हुए,,"" हमें भी आजाद कर दो देखो भाई ,हमने आप लोगों का कुछ नहीं बिगाड़ है,""


मदन ,""क्यों बे हमारी चटनी बनाने की बात कर रहा था, अब देख हम क्या करेंगे तुझे चुड़ैल के सामने डालेंगे और फिर वह तेरी चटनी बनायेगी',


सिकंदर गाड़ी चलाते हुए," देख क्या रहे हो मारो सालों को ",,


अब तीनों गुंडे इन दोनों के ऊपर टूट पड़े थे,



विष्णु और शंकर जो दोनों गांव के आम लड़के थे जमीदारी से बचपन से ही इनका पाला पड़ा था ,अब यह दोनों समझ चुके थे कि ऐसे काम नहीं चलेगा,


मदन और जगन जैसे ही आगे बढ़े थे ,इन दोनों ने तेजी से उठ कर उन्हें टांगों से उठाकर अपने पीछे की तरफ फेंक दिया था।


बिल्ला यह देखकर एकदम गुस्से में आ गया था, पर वह अभी अपना गुस्सा उतार था ,उससे पहले इन दोनों की लात उसके चेहरे पर आ पड़ी थी और वह भी पीछे की तरफ जा गिरा था।


सिकंदर पीछे हुई गड़बड़ को देखकर सिर घुमा कर पीछे की तरफ देखता है, और इसी वक्त उसका बैलेंस बिगड़ गया था और गाड़ी सीधा एक गहरे खड्डे में जा समाई थी।


गाड़ी के अंदर यह छह लोग थे जो बहुत बुरी तरह से हिल गये थे।

विष्णु और शंकर खड़े होने की वजह से तेजी से आगे की तरह उछले थे और गाड़ी के आगे वाले शीशे से टकराए थे फिर दोनों के होश धीरे-धीरे गुम हो गए थे।


इन चारों गुंडों की भी हालत अब ऐसी ही थी ।


जंगल में अब एक दम से अंधेरा छा गया था,,,



दूसरी तरफ


इंस्पेक्टर आशुतोष जो अपने पुलिस टीम के साथ गाड़ियों में जंगल के अंदर दाखिल हो गया था ,आप जगह-जगह गिरे पड़े घायल लोगों को देखकर उनकी सहायता करने के लिए रुक गया था ,जैसा गुंडों ने सोचा था बिल्कुल वैसा ही हुआ था,


हवलदार ,,""इंस्पेक्टर साहब जल्दी से इन सब लोगों को लेकर यहां से निकलना होगा,, रात हो गई है वह चुड़ैल कभी भी इस जंगल को ब्लॉक कर सकती है'',,


इंस्पेक्टर आशुतोष ,,"ठीक कह रहे हो और फिर अपने सभी सिपाहियों को तेजी से काम करने का निर्देश देता है',


घायल पड़े लोगों को जल्दी जल्दी गाड़ी में डाला गया था, और फिर पुलिस की गाड़ियां तेजी से जंगल से बाहर निकलती चली गई थी .


इंस्पेक्टर आशुतोष और हवलदार जो इस वक्त इन गाड़ियों के सबसे पीछे थे ,अब एकदम से इनकी गाड़ी रुक गई थी ऐसा लग रहा था ,,जैसे किसी ने उसे वायु के तेज प्रभाव से रोक दिया हो।


हवलदार बाबूराम ,,अब यह देखकर एकदम से सहम गया था ,,"'यह क्या हो रहा है इंस्पेक्टर साहब, लगता है हम मुसीबत में फंस गए ,चुड़ैल का मायाजाल यहां फैल चुका है अब हम बाहर नहीं निकल पाएंगे'",,,


इंस्पेक्टर आशुतोष भी घबराया था, पर उसने अब गाड़ी के एक्सीलेटर को पूरी तरह से दबा दिया था ,,गाड़ी अपनी जगह पर ही बहुत जोर से आवाज करने लगी थी पर वह अपनी जगह से 1 इंच भी आगे नहीं गई थी.


आगे जा रही पुलिस की गाड़ियां बाहर जा चुकी थी,।


इंस्पेक्टर आशुतोष ,,''चलो जल्दी से नीचे उतरो हम पैदल ही यहां से निकल चलेंगे'',,,


हवलदार ,,"जी सर",,

और यह दोनों तेजी से पैदल ही आगे बढ़े थे पर कुछ कदम जाने के बाद ही इनका शरीर हवा में उड़ता हुआ पीछे की तरफ जा गिरा था.



इंस्पेक्टर, हवलदार अब तेजी से दोबारा खड़े हुए थे और इन्हें अब एक तेज आवाज सुनाई देने लगी थी, ऐसा लग रहा था जैसे कोई बहुत जोर से चिंघाड़ रहा हो।


हवलदार बाबूराम अब एकदम से एक झाड़ी में कूदकर दुबक गया था ,,"'जल्दी से यहां छुप जाइए सर ,,हम फंस चुके हैं, हमें सुबह तक ऐसे ही छुप कर रहना होगा,'"


इंस्पेक्टर आशुतोष अपनी रिवाल्वर निकाल लेता है और फिर हवलदार बाबूराम के साथ झाड़ी में बैठ गया था।


हवलदार बाबूराम ,,""हम बहुत बुरे फंसे इन चारों अपराधी के पीछे आकर ,अगर उस चुड़ैल की नजर हम पर पड़ गई तो हमारा बचना नामुमकिन है,, या तो हमें उसके सवालों के जवाब देने होंगे या फिर वह हमारा खून पी जाएगी ,,अब तो ऊपर वाला ही हमारा मददगार है,,""''


इंस्पेक्टर आशुतोष एक गहरी सांस लेकर ,"वे चारों अपराधी भी तो जंगल में गए हैं उनका क्या होगा ,लगता है उनका भी आखरी समय आ गया है,,'''


हवलदार बाबूराम ,,"उनकी फिक्र छोड़िए अपनी फिक्र कीजिए हमारा क्या होगा"",,,



पुलिस की सारी गाड़ियां अब जंगल पर बाहर निकल गई थी ,,और इंस्पेक्टर की गाड़ी को बाहर आया ना देख कर सब पुलिस वाले भी चिंतित हो गए थे,

,,पर वे जानते थे कि अब वे भी जंगल में नहीं जा सकते हैं क्योंकि अगर उन्होंने ऐसा किया तो मौत उनके भी सिर पर आ जाएगी।


दूसरी तरफ


पूरे जंगल में अब एकदम से सन्नाटा छा गया था ,जीव जंतु कीड़े मकोड़े तक अपनी आवाज बंद कर चुके थे पेड़ों पर बैठे पक्षी भी अब दुबक गए थे, वे भी अब अपने आप को छुपा लेना चाहते थे,।


सिकंदर उसे अब धीरे-धीरे होश आ रहा था और फिर उसने अपने आप को एकदम से संभाल लिया था ,उसके तीनों साथी भी उसी के पास आकर गिरे पड़े थे,, जो अभी तक बेहोश थे,,,,


सिकंदर ,,,"',मदन ,,जगन, बिल्ला उठो जल्दी से, रात हो गई है हमें अपने ठिकाने पर पहुंचना होगा वरना चुड़ैल हम तक पहुंच जाएगी"",


अब उसकी आवाज सुनकर उसके तीनों साथी खड़े हो गए थे और फिर किसी तरह यह उस गाड़ी से बाहर निकल आए थे।


मदन,,"" इन दोनों लड़कों का क्या करना है कहो तो इन्हें गोली मार दूँ"",,


सिकंदर,," नहीं रहने दो थोड़ी देर में चुड़ैल खुद तक पहुंच जाएगी'',,


बिल्ला ,,'पर यह तो बेहोश है और अगर ऐसे ही सुबह तक बेहोश रहे तब तो यह जिंदा बचकर यहां से निकल जाएंगे,""''


मदन हंसते हुए ,,"तो फिर इन्हें होश में लाकर छोड़ कर निकल जाते हैं"",,


सिकंदर ,,"वाह यह तो तूने बहुत अच्छा कहा, इन दोनों को भी गाड़ी से बाहर निकालो,,,"''


और अभी यह इन दोनों दोस्तों को गाड़ी से बाहर निकालते इनके कानों में चुड़ैल की तेज आवाज आने लगी थी,,,


क्रमशः


क्या विष्णु और शंकर चुड़ैल का शिकार हो जाएंगे या फिर वे जंगल से बाहर निकलेंगे, जानने के लिए बने रहे इस हॉरर के साथ